अध्यापक नेतृत्व किसे कहते हैं उदाहरण सहित समझाइए: अध्यापक नेतृत्व कोई नया प्रत्यय नहीं है। लेकिन वर्तमान में इसमें परिवर्तन आया है। प्राचीनकाल अध्याप
अध्यापक नेतृत्व किसे कहते हैं उदाहरण सहित समझाइए (Adhyapak netritva Kise Kahate Hain)
अध्यापक नेतृत्व कोई नया प्रत्यय नहीं है। लेकिन वर्तमान में इसमें परिवर्तन आया है। प्राचीनकाल अध्यापक नेतृत्व सीमित था। उसमें लचीलापन नहीं था। केवल शिक्षण और प्रशासन से बाहर कुछ अधिक की आवश्यकता महसूस होने लगी, अध्यापक के व्यवसायिक विकास के लिये नेतृत्वगुण का विकास कक्षा से बाहर निकल कर विद्यालय एवं समाज के लिये भी आवश्यक गया है। शिक्षण को एक महत्वपूर्ण व्यवसाय बनाने के लिए भी अध्यापक का क्षेत्र विस्तृत होता चला जा रहा है।
वर्तमान अध्यापक में नेतृत्व गुणों का विकास कक्षा से ही आरम्भ हो जाता है। अध्यापक स्वयं के प्रयास के सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिये विभिन्न तरह से नेतृत्व गुणों का विकास करते हैं।
अध्यापक में नेतृत्व गुण एवं कौशल
अध्यापक दो तरह की भूमिका निभाता है- औपचारिक एवं अनौपचारिक। औपचारिक भूमिका में अध्यापक परम्परागत तरीके से कार्य करते हैं। ये सामान्य प्रक्रिया से चयनित होते हैं एवं नये उत्तरदायित्व के लिये प्रशिक्षण भी करते हैं।
इस भूमिका में अध्यापक विद्यालय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे पाठ्यक्रम को नये तरीके से व्यवस्थित करते हैं, अपने अध्ययन समूह बनाते हैं। वे अन्य अध्यापकों का मूल्यांकन भी करते हैं।
अनौपचारिक रूप में शिक्षक नेता उभर कर सामने आते हैं। वे स्वयं आगे बढ़कर समस्याओं का सामना करते हैं। वे चयनित नहीं होते लेकिन फिर भी उनके नेतृत्व को सभी स्वीकार करते हैं।
बहुत से मूल्य एवं गुण व्यक्ति को अध्यापक नेतृत्व के लिये तैयार करते हैं। प्रभावी अध्यापक नेता खुले विचारों वाले होते हैं और दूसरों के विचारों का आदर करते हैं। वे आशावादी एवं ऊर्जावान, आत्मविश्वासपूर्ण एवं निर्णायक भूमिका में होते हैं। वे मार्ग में आने वाली बाधाओं का सामना अलग तरीके से करते हैं।
अध्यापक नेतृत्व की आवश्यकता
अध्यापक नेतृत्व एक विचार है जिसकी आज के समय में महती आवश्यकता है। विद्यालय के हर स्तर पर कुशल नेतृत्व की आवश्यकता होती है। बहुत से विद्यालयों में आज भी सभी निर्णय प्रशासकों एवं अध्यापकों द्वारा लिये जाते हैं।
सफल विद्यालयों में विद्यालयों की नीतियों, कार्यक्रमों, शिक्षण अधिगम एवं सम्क्रमों, शिक्षण अधिगम एवं सम्प्रेषण के विकास के लिये किये गये प्रयासों में शिक्षकों का प्रशासन द्वारा आगे बढ़कर साथ दिया जाता है।
अध्यापक नेतृत्व के महत्त्व को समझते हुए यदि हम अध्यापकों में नेतृत्व के कौशल का विकास करेंगे तो हम विद्यालय एवं समाज का विकास तो कर ही सकते हैं साथ ही अध्यापक की पूर्ण क्षमता का भी विकास कर सकते हैं।
अध्यापक के नेतृत्व की भूमिकायें
कक्षा, विद्यालय एवं समाज के लिये अध्यापक को व्यापक स्तर पर भूमिकाओं का निर्वाह करना होता हैं ये भूमिकायें औपचारिक रूप से सौंपी जाती है या अनौपचारिक रूप से इसमें भागीदारी होती है। अध्यापक छात्रों का एवं समूह में विभिन्न तरीकों से नेतृत्व कर सकता है। अध्यापक निम्न भूमिकाओं का निर्वहन करके कक्षा विद्यालय एवं समाज का कुशल नेतृत्व कर सकता है।
1. अवसर उपलब्ध कराना
अध्यापक अपने सहकर्मियों एवं छात्रों को अनुदेशन स्त्रोतों से सम्बन्धित अवसर प्रदान करता हैं वह वेबसाइट, अनुदेशन सामग्री एवं अन्य स्त्रोतों की साझेदारी सह-अध्यापकों एवं छात्रों के साथ करता है।
2. अनुदेशन विशेषज्ञ
अनुदेशन विशेषज्ञ के रूप में नेतृत्वकर्त्ता अपने अध्यापकों को प्रभावी शिक्षण व्यूह रचना में मदद करता है। इसके लिये वह अनुसंधान आधारित कक्षा व्यूह रचनाओं का अध्ययन करता है तथा यह निर्धारित करता है कि कौन सा तरीका विद्यालय के लिये अच्छा है।
3. पाठ्यक्रम विशेषज्ञ
पाठ्यवस्तु को समझना उसके विभिन्न अवयवों को एक दूसरे से सम्बन्धित करना, पाठ्यक्रम अन्तरण की योजना बनाना एवं उस पर सभी अध्यापकों की सहमति बनाना भी अध्यापक नेतृत्व की विशेष भूमिका ।
4. कक्षा सहायक
कक्षा में अध्यापक शिक्षण करने वाले अध्यापकों की मदद नये विचारों को लागू करने में करना। इससे अध्यापक की स्वयं की योग्यता की बढ़ती है एवं अन्य व्यक्तियों के साथ करने में सामंजस्य के साथ-साथ आगे बढ़ने का विकल्प भी खुल जाता है।
5. अधिगम की परिस्थिति उत्पन्न करना
विभाग के सदस्यों को व्यवासायिक अधिगम के अवसर प्रदान करना अध्यापक का विशिष्ट नेतृत्व गुण है। इसमें अध्यापक एक दूसरे से भी सीखते हैं। उनका व्यवसायिक अधिगम अधिक सापेक्षिक होता है। इस तरह अधिगम से विद्यालय एवं समाज में व्याप्त पृथककरण दूर होता है।
छात्रों की आवश्यकता के अनुसार, अध्यापकों के समसामयिक ज्ञान से सम्पूर्ण वर्ष की अधिगम एवं व्यवसायिक विकास की योजना बनायी जा सकती है।
6. निर्देशक
नेतृत्व गुण वाले अध्यापक नये अध्यापकों के लिये दिशा निर्देशक का कार्य करते हैं। उनका व्यवहार आदर्श व्यवहार होता है। नवान्गतुक अध्यापकों को विद्यालय के वातावरण में स्थापित करना उन्हें अनुदेशन, पाठ्यक्रम, अधिगम अन्तरण के बारे में राय देना अध्यापक नेतृत्व का कार्य है। इस तरह वे नये अध्यापकों के विकास में योगदान देते हैं।
7. विद्यालय नेता
विद्यालय के नेता के रूप में विद्यालय को समाज में प्रतिबिम्बित करते हैं। अध्यापक नेता के रूप में समाज में परिवर्तन का प्रेरक होता है। हमेशा अच्छे रास्तों की ओर अग्रसर करता है एवं प्रगति के लिये सतत् प्रयास करता है।
8. अधिगमकर्त्ता
जिस दिन अध्यापक सीखना बंद कर देगा उस दिन वह अपने विकास को रोक देगा। जीवन पर्यन्त सीखना अध्यापक नेतृत्व को नयी ऊर्जा प्रदान करता है एवं समाज के लिये उदाहरण प्रस्तुत करता है।
नेतृत्व के लिये आवश्यक दशायें
अध्यापक में नेतृत्व के लिये कई परिस्थितियाँ आवश्यक हैं-
- दूरदर्शिता
- कार्य करने का तरीका
- कार्य का समय
- कार्य कौशल
अध्यापक का कौशल कक्षा में बाहर तक सीमित नहीं रहता है। वरन् समुदाय एवं समाज में फैलता है। अध्यापक जानता है कि उसका नेतृत्व केवल अध्यापक व छात्रों से अन्तः क्रिया करने में ही नहीं रहता है। वरन् सम्पूर्ण समाज में बदलाव लाता है।
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