जनजाति विवाह की प्रमुख समस्यायें
भारतीय जनजातियों में विवाह सम्बन्धी अनेक समस्यायें परम्परागत हैं। विवाह सम्बन्धी अनेक रूढ़ियों और परम्पराओं के कारण अधिकांश जनजातियाँ आज भी दुर्गम स्थानों और अविकसित समाज में रहने के लिए विवश हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में रोजगार न होने के कारण जनजातियों के सदस्य आर्थिक दधि से निर्बल हैं। अपनी अधिकांश आवश्यकताओं के लिए वे वनों पर निर्भर हैं। आर्थिक दृष्टि से संपन्न जनजातियों के सदस्य बहविवाह करते हैं। जनजातियों में प्रचलित सेवा विवाह भी उनकी विपन्नता का परिचायक है। अच्छी शिक्षा और अज्ञानता के कारण इनमें विवाह सम्बन्धी अनेक समस्यायें पायी जाती हैं, जैसे:-
- परसंस्कृतिग्रहण की समस्या,
- कन्या मूल्य का प्रचलन,
- विवाहेत्तर यौन सम्बन्धों की समस्या।
जो जनजातियाँ आधुनिक सभ्यता और संस्कृति के संपर्क में आयी हैं, उनमें विवाह सम्बन्धी समस्यायें खत्म होने की स्थिति में आ गयी हैं। पूर्णरूपेण समाप्त करने में काफी वर्ष लगेंगे। जनजातियों में तलाक के अपने परम्परागत तरीके हैं जो काफी सरल हैं। जनजातीय समाज में स्त्री और पुरुष दोनों को विवाह विच्छेद के समान अधिकार प्राप्त हैं।