पंच परमेश्वर कहानी का सारांश और उद्देश्य लिखिए: पंच परमेंश्वर जुम्मन शेख और अलगू चौधरी की मित्रता की कहानी है। उन दोनों का परस्पर विश्वास था, उनमें ग
पंच परमेश्वर कहानी का सारांश
पंच परमेश्वर कहानी का सारांश: पंच परमेंश्वर जुम्मन शेख और अलगू चौधरी की मित्रता की कहानी है। उन दोनों का परस्पर विश्वास था, उनमें गाढ़ी दोस्ती थी। जुम्मन शेख के एक बूढ़ी खाला थी। धीरे-धीरे जुम्मन ने चिकनी-चुपड़ी बातें करते हुए खाला की सारी जायदाद हड़प ली। जुम्मन और उसकी पत्नी खाला को रोटियाँ कम और कडुवी बातें ज्यादा खिलाने लगे। खाला सब कुछ सहती रही। लेकिन जुम्मन के कठोर व्यवहार से वह तंग आ चुकी। उसने उसके खिलाफ पंचायत करने की ठान ली। परंतु उसे एक भी सुयोग्य पंच नहीं मिला। आखिर उसने अलगू चौधरी का नाम सुझाया। अलगू कानूनी आदमी था उसने सोच समझकर अपना फैसाला सुनाया कि जुम्मन खालाजान को उसका माहवार खर्चा दें। जुम्मन ने पंचों का फैसला स्वीकार तो किया लेकिन वह मन-ही-मन अलूग को कोसने लगा। उसके मन में बदले की भावना पनपने लगी। ऐसा मौका उसे जल्दी ही मिल गया। अलगू चौधरी के पास दो बैल थे। एक बैल को किसी ने अर्थात जुम्मन ने विष देकर मार दिया। अलगू ने कुछ नहीं कहा उसने अपना एक बैल समझू साहू को बेच दिया। समझू ने उसके दाम नहीं चुकाए। इस दौरान ढेर सारा काम ढोते—ढोते वह बैल भी मर चुका। अलगू पैसे माँगने गया तो समझू ने इन्कार कर दिया। मामला पंचायत में दाखिल हो गया। चालाक समझू साहू ने जुम्मन को पंच के रूप में चुना। जुम्मन तो खुश था। प्रतिशोध के लिए उसे एक अच्छा मौका मिल गया। परंतु प्रत्यक्ष्य पंच के पद पर विराजमान होते ही उसके मन का मैल धीरे-धीरे छँटने लगा, विवेक जागृत हुआ। वह तटस्थ भाव से विचार करने लगा। उसने फैसला सुनाया कि समझू का यह दायित्व है। कि वह अलगू को बैल का मूल्य चुका दें और अलगू की यह भलमानसी है कि वह समझू को कुछ रियायत दें। फैसला सुनने के बाद सभी ने पंचों की जयजयकार की।
पंच परमेश्वर कहानी का उद्देश्य
पंच परमेश्वर कहानी का उद्देश्य : प्रेमचंद कहानी के माध्यम से तत्कालीन ग्रामीण न्याय पद्धति पर प्रकाश डालते हुए यही कहना चाहते हैं कि 'पंच', 'परमेश्वर' के समान होते हैं। उनके सामने कोई छोटा-बड़ा, मित्र - शत्रु इस कदर भेद नहीं होता। वे सत्य का पक्ष लेते हैं। बिल्कुल तटस्थ होकर न्यायदान का कार्य करते हैं। पंच जो सुनाता है वह उसकी 'देववाणी' होती है। दूसरी बात कि मनुष्य सद्गुणों का पुतला नहीं होता। परिस्थिति के कारण वह बुरा व्यवहार करता है। परंतु विवेक जागृत हो तो वह सत्य की राह पर चल पड़ता है। मनुष्य का हृदय परिवर्तन होता है। प्रेमचंद को मनुष्य और जीवन के प्रति आस्था है ।
COMMENTS