जहांगीर की पत्नी नूरजहां का संबंध किस वस्त्र कला से था?
जहाँगीर की पत्नी 'नूरजहाँ' का संबंध चिकनकारी से था। भारत में चिकनकारी के काम की शुरुआत के बारे में दो लोकप्रिय कहानियां हैं, लेकिन दोनों ही कहानियां नूरजहां से जुड़ी हैं। एक कहानी के अनुसार मुग़ल बादशाह जहाँगीर की पत्नी नूरजहाँ इस कला को सीखने के बाद ईरान आई थी। जिसके बाद उन्होंने इसे लखनऊ के लोगों को पढ़ाया और भारत में इसे लोकप्रिय बनाया। दूसरी ओर, एक अन्य कहानी के अनुसार, जब नूरजहाँ का बंदी बिस्मिल्लाह दिल्ली से लखनऊ आया, तो उसने अपनी कला का प्रदर्शन किया। जिससे नूरजहाँ ने चिकनकारी की कला भी सीखी और लोगों को सिखाने के साथ-साथ इसे लोकप्रिय भी बनाया। अतः जहांगीर की पत्नी नूरजहां का संबंध चिकनकारी नामक वस्त्र कला से था।
चिकनकारी (कढ़ाई) ईरान से उत्पन्न हुई है। ऐसा माना जाता है कि सासानियन साम्राज्य के दौरान कढ़ाई की शुरुआत ईरान में हुई थी। वहीं, बगदाद के बीजान्टिन राजदूत ने 917 ईस्वी में सोने की ईरानी कढ़ाई का वर्णन किया है। वहीं, यह भी माना जाता है कि 9वीं शताब्दी में जब अरबों ने ईरान पर विजय प्राप्त की थी, तब उस दौरान ईरान में तिराज कढ़ाई की शुरुआत हुई थी।
चिकनकारी एक रिवायत (संस्थागत ज्ञान) है जिसे लखनऊ ने सावधानीपूर्वक संरक्षित किया है। 'चिकन' शब्द फ़ारसी के 'चिकिन' या 'चिकेन' से आया है, जिसका अनुवाद नाजुक-कढ़ाई वाला कपड़ा है। कुछ लोग इस शब्द को 'चिकेन'/'सिकिन' शब्द के विकृत संस्करण से जोड़ते हैं, जो चार रुपये के मूल्य का एक सिक्का था जिसे नूरजहाँ फ़ारसी कारीगरों को कढ़ाई के लिए वेतन के रूप में देती थी।