हमारी मातृभाषा हिंदी पर निबंध : In This article, We are providing हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध and Hindi Bhasha Ka Mahatva Par Nibandh for Students an
हमारी मातृभाषा हिंदी पर निबंध : In This article, We are providing हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध and Hindi Bhasha Ka Mahatva Par Nibandh for Students and teachers.
हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध
Hindi Bhasha Ka Mahatva Par Nibandh : हिंदी सिर्फ भाषा नहीं, बल्कि हिन्दुस्तान की धड़कन है। यह जनसंचार का सबसे सशक्त माध्यम है। बालीवुड से लेकर पत्रकारिता तक, विज्ञापन से लेकर राजनीति तक सबने हर दिन नए शब्द गढ़े, नई परंपराएं और नई शैली विकसित की। फिर भी हिंदी जीवंत है। भारत में करोड़ों लोगों की मातृभाषा हिंदी है। इसलिए भारतवासियों के लिए हिंदी भाषा का बड़ा महत्व है।
हिंदी ऐसी समृद्ध भाषा है कि इसका महत्व कभी कम नहीं हो सकता। यह सच है कि लंबे अंतराल के बाद भाषा के स्तर पर परिवर्तन होते रहते हैं किन्तु हिंदी में इस परिवर्तन को भी सहज स्वीकार करने की क्षमता है। हिंदी तोड़ना नहीं बल्कि जोड़ना सिखाती है। यह किसी भाषा की दुश्मन नहीं, बल्कि सखी भाषा है।
हिंदी सदियों से इस देश की संपर्क भाषा का काम करती रही है, और प्रशासन में भी इसका उपयोग होता रहा है, इसे विशेष स्थान मिला है देश की आजादी के बाद, जब यह औपचारिक रूप से आजाद भारत की राजभाषा अंगीकार की गई। भारतीय संविधान में हिंदी को कार्यालयी भाषा का दर्जा दिया गया है।
हिंदी भाषा के विकास की जब भी बात आती है तो हिंदी साहित्य के पितामह कहे जाने वाले महान साहित्यकार भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की दो पंक्तियां याद आती हैंः-
'निज भाषा उन्नति रहे, सब उन्नति के मूल।
बिनु निज भाषा ज्ञान के, रहत मूढ़-के-मूढ़।।'
उपरोक्त दोहे से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि आधुनिक हिंदी के जनक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र को अपनी भाषा हिंदी से कितना लगाव था। यदि हम हिंदी भाषा के विकास की बात करें तो यह कहना गलत नहीं होगा कि पिछले सौ सालों में हिंदी का बहुत विकास हुआ है और दिन-प्रतिदिन इसमें और तेजी आ रही है। हिंदी भाषा का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना माना गया है।
संस्कृत भारत की सबसे प्राचीन भाषा है, जिसे आर्य भाषा या देवभाषा भी कहा जाता है। हिंदी इसी आर्य भाषा संस्कृत की उत्तराधिकारिणी मानी जाती है, साथ ही ऐसा भी कहा जाता है कि हिंदी का जन्म संस्कृत की ही कोख से हुआ है।
ऐसा कहा जाता है कि हिंदी का जो विकास हुआ है वह अपभ्रंश से हुआ है और इस भाषा से कई आधुनिक भारतीय भाषाओं और उपभाषाओं का जन्म हुआ है, जिसमें शौरसेनी (पश्चिमी हिंदी, राजस्थानी और गुजराती), पैशाची (लंहदा, पंजाबी), ब्राचड़ (सिन्धी), खस (पहाड़ी), महाराष्ट्री (मराठी), मागधी (बिहारी, बांग्ला, उड़िया और असमिया), और अर्ध मागधी (पूर्वी हिंदी) शामिल है।
हिंदी विश्व की लगभग 3,000 भाषाओं में से एक है। इतना ही नहीं हिंदी आज दुनिया की सबसे बड़ी आबादी द्वारा बोली और समझे जानी वाली भाषा है। भाषाई सर्वेक्षणों के आधार पर दुनिया की आबादी का 18 प्रतिशत इसे समझता है, जबकि अन्य भाषा की बात करें तो चीनी भाषा मैंडरीन समझने वालों की संख्या 15.27 और वहीं अंग्रेजी समझने वालों की संख्या 13.85 प्रतिशत कही गई है।
हिंदी को हम भाषा की जननी, साहित्य की गरिमा, जन-जन की भाषा और राष्ट्रभाषा भी कहते हैं। ऐसे में यह कहना कतई गलत नहीं होगा कि हिंदी भविष्य की भाषा है। हां, एक बात जरूर है कि हम इस भाषा का प्रयोग वास्तविक जीवन में जरूर करते है लेकिन यह रोजगार और महत्वाकांक्षी की भाषा बनने में थोड़ी कारगर नहीं बन पाई।
अक्सर देखने में आता है पढ़ा-लिखा युवा वर्ग जो बड़ी-बड़ी कंपनी में नौकरियां कर रहा है उसे आज के समय में न तो हिंदी का कोई भविष्य न ही, हिंदी में अपना भविष्य दिखाई देता है। वह भी सही हैं क्योंकि वह अपने आस-पास के दायरे में रहकर सोच रहा है जो दायरा हमनें उसको दिया है। उसे एक सफल भविष्य चाहिए जिसमे नौकरी, पैसा व नाम हो उसके लिए हिंदी का होना जरूरी नहीं लगता। लेकिन जब वही युवा एक क्षितिज पर खड़ा होकर देश के भीतर झांकता है तो उसे अपने ही लोगों के बीच एक खाई नजर आती है।
यह खाई इन पढ़े-लिखे युवाओं को ही अकेला खड़ा कर देती है क्योंकि देश में आज भी हिंदी भाषाई ज्यादा है। इन पढ़े-लिखे युवाओं में तकनीकी एकता भले ही हो लेकिन मानवीय एकता के लिए हमें अपनी मातृभाषा की ही जरूरत है।
COMMENTS