भारत में ग्रामीण समुदाय के तीन वर्ग पाये जाते हैं - 1. मालिक वर्ग - जो भूमि का मालिक होता है तथा मजदूरों से काम कराता है। 2. साहूकार वर्ग - जो ग्रामवा
ग्रामीण भारत में वर्ग व्यवस्था की स्थिति पर टिप्पणी कीजिए।
ग्रामीण भारत में वर्ग व्यवस्था
डेनियल थार्नर के अनुसार, भारत में ग्रामीण समुदाय के तीन वर्ग पाये जाते हैं -
1. मालिक वर्ग - जो भूमि का मालिक होता है तथा मजदूरों से काम कराता है।
2. साहूकार वर्ग - जो ग्रामवासियों की मदद के लिए रुपया पैसा ऋण देता है और साहूकारी करता है।
3. मजदूर वर्ग - जो श्रम करके मजदूरी करके अपना भरण-पोषण करता है।
कोटोवस्की ने ग्रामीण समुदाय के चार वर्ग बताए हैं (i) बुर्जुआ पूँजीपति भू-स्वामी (ii) सम्पन्न किसान (iii) भूमिहीन किसान (iv) कृषक मजदूर वर्ग आदि।
संक्षेप में ग्रामीण समुदाय के प्रमुख वर्ग इस प्रकार हैं -
1. मालिक-जमींदार एवं साहकार वर्ग - इस वर्ग के अन्तर्गत उन व्यक्तियों को रखा जाता है, जिनके पास पर्याप्त जमीन तथा जिनके पास आर्थिक सम्पन्नता होती है तथा जिनकी समाज में ऊँची स्थिति होती है।
2. कृषक वर्ग - इस वर्ग के सदस्यों की संख्या सबसे अधिक है तथा इस वर्ग की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती है।
3. मजदूर वर्ग - इस वर्ग में उन लोगों को शामिल किया जाता है जो मजदूरी लेकर दूसरों के लिए काम करते हैं। इनकी आर्थिक स्थिति अत्यन्त निम्न होती है, जिसके कारण ग्रामीण समुदाय में इनका सबसे नीचे स्थान होता है ये कृषकों तथा भूस्वामियों के गुलाम होते हैं और इनकी जीविका का मुख्य साधन शारीरिक श्रम होता है।
ग्रामीण भारत में वर्ग व्यवस्था का स्वरूप या लक्षण
भारत की सामाजिक व्यवस्था जाति प्रधान है। अतः इसका प्रभाव वर्ग प्रणाली पर पड़ता है। ग्रामीण भारत की वर्ग व्यवस्था के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं -
1. ग्रामीण भारत की वर्ग प्रणाली जाति व्यवस्था पर आधारित है। एक ही वर्ग के लोग अनेकों जातियों एवं उपजातियों में बटे हुए हैं जैसे - किसान वर्ग के अन्तर्गत सभी लोग आ जाते हैं। इस सम्बन्ध में एक प्रमुख विद्वान ने लिखा है कि -
"प्रायः यह स्पष्ट रेखा खींचना कठिन है कि जातिगत स्तरीकरण का सिद्धान्त कहाँ समाप्त होता है और वर्ग सिद्धान्त कहाँ प्रारम्भ होता है। - योगेन्द्र सिंह
2. भारत की ग्रामीण वर्ग प्रणाली शोषण पर आधारित है। जमींदारों द्वारा कृषकों व भमिहीनों का शोषण किया जाता है। वर्तमान समय में भी शोषण प्रवृत्ति को दूर नहीं किया जा सकता है। आज भी पूँजीपतियों द्वारा श्रमिक वर्ग का शोषण किया जा रहा है।
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