प्रदत्त व्यवस्थापन का अर्थ तथा परिभाषा बताइये।
प्रदत्त व्यवस्थापन का अर्थ है - विधि बनाने की अपनी सत्ता का व्यवस्थापिका द्वारा कार्यपालिका को हस्तान्तरण। इस प्रकार कार्यपालिका द्वारा निर्मित विधि को प्रदत्त व्यवस्थापन, प्रत्यायोजित विधान या प्रतिनिहित विधान कहते है। कार्यपालिका द्वारा निर्मित होने के कारण इसे "कार्यकारिणी कानून" भी कहा जाता है। चूंकि ऐसी विधि का संसदीय के अनुकूल होना आवश्यक होता है अतः इसे अधीनस्थ विधान भी कहते हैं। आधुनिक लोक कल्याणकारी राज्यों में राज्य के कार्य अत्यधिक बढ़ गए हैं। अत: इस व्यस्तता के दुष्प्रभाव से बचने व जनसमस्याओं के त्वरित निवारण हेतु एक नवीन प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है, इसे 'प्रदत्त व्यवस्थापन' के रूप में वर्णित किया जा सकता है। वस्तुतः विधियों का निर्माण करना विधायिका का कार्य होता है और इनका क्रियान्वयन कार्यपालिका कार्य है। वर्तमान में कार्यों की अधिकता के कारण विधायिका विभिन्न विधियों का मोटा-मोटा मसविदा तैयार कर कार्यपालिका को हस्तान्तरित कर देती है और कार्यपालिका उस मसौदे के अनुसार विस्तृत प्रावधानों का निर्माण कर उन्हें क्रियान्वित करती है। उस स्थिति को ही प्रदत्त विधायन कहा जाता है। प्रदत्त विधायन के अन्तर्गत अपने विधि निर्माण सम्बन्धी विशेषाधिकार का विकेन्द्रीकरण कार्यपालिका के पक्ष में तथा कार्यपालिका के उच्च प्राधिकारी निम्न प्राधिकारियों के पक्ष में करते हैं। इस प्रकार प्रदत्त व्यवस्थापन लोकतान्त्रिक विकेन्द्रीकरण की एक महत्त्वपूर्ण प्रवृत्ति है।