राजनीतिक सिद्धांत और राजनीतिक चिंतन में अंतर बताइए। राजनीतिक चिंतन उन सभी व्यक्तियों अथवा किसी समुदाय के विशिष्ट व्यक्तियों के सिद्धांतों, मूल्यों और
राजनीतिक सिद्धांत और राजनीतिक चिंतन में अंतर बताइए।
राजनीतिक सिद्धांत और राजनीतिक चिंतन में अंतर
राजनीतिक चिंतन उन सभी व्यक्तियों अथवा किसी समुदाय के विशिष्ट व्यक्तियों के सिद्धांतों, मूल्यों और विश्वासों का सामान्य चिंतन होता है जो राज्य की दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों, नीतियों और निर्णयों के प्रति अपने विचार व्यक्त करते हैं और जिनका प्रभाव हमारे अपने समय के राजनीतिक जीवन पर दिखाई देता है। ये लोग दार्शनिक, लेखक, पत्रकार, कवि, राजनीतिक टीकाकार कुछ भी हो सकते हैं। राजनीतिक चिंतन का कोई निश्चित रूप नहीं होता। यह कोई लेख, प्रस्ताव, कविता, टिप्पणी, भाषण आदि किसी भी रूप में हो सकता है। चिंतन के बारे में महत्वपूर्ण बात यह है कि यह 'समयबद्ध' होता है। समय और परिस्थितियों में परिवर्तन आने से इसमें भी परिवर्तन आ जाता है। उदाहरण के लिये, हम ग्रीक राजनीतिक चिंतन, रोमन राजनीतिक चिंतन या मध्य युग के राजनीतिक चिंतन की बात करते हैं।
इसके विपरीत, राजनीतिक सिद्धांत किसी एक व्यक्ति का क्रमबद्ध चिंतन होता है जो विशिष्ट रूप से राज्य अथवा राजनीतिक समस्याओं के बारे में चर्चा करता है। यह चिंतन कुछ परिकल्पनाओं (Hypothesis) पर आधारित होता है जो तर्कसंगत और युक्तियुक्त हो भी सकते हैं और नहीं भी, तथा जिनकी भरपूर आलोचना भी की जा सकती है। सिद्धांत राजनीतिक
वास्तविकता की व्याख्या करने का एक मॉडल प्रदान करते हैं जैसा कि सिद्धांतकार उसे ठीक समझता है। परिणामस्वरूप, एक ही यग में विभिन्न प्रकार के राजनीतिक सिद्धांत समानान्तर चल सकते हैं। इसके अतिरिक्त, राजनीतिक सिद्धांत किसी विशिष्ट विषय पर आधारित होते हैं जैसे दर्शनशास्त्र, इतिहास, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र आदि। और अन्त में, क्योंकि राजनीतिक सिद्धांतों का उद्देश्य केवल राजनीतिक वास्तविकता की व्याख्या करना ही नहीं बल्कि उसमें परिवर्तन लाना (या उसे रोकना) भी होता है, अतः सिद्धांत संकीर्णवादी, सुधारवादी अथवा क्रान्तिकारी कुछ भी हो सकते हैं जैसा कि बार्कर लिखते हैं, राजनीतिक चिंतन किसी भी युग का सर्वव्यापी चिंतन होता है जबकि राजनीतिक सिद्धांत किसी व्यक्ति विशेष का चिंतन होता है। इसी तरह जहाँ राजनीतिक चिंतन अस्पष्ट तथा सामाजिक जीवन में घुला-मिला और अन्तर्निहित होता है, वहीं राजनीतिक सिद्धांत सुस्पष्ट और सुव्यक्त होते हैं और किसी समय विशेष की राजनीतिक वास्तविकता से ऊपर उठे हुए भी हो सकते हैं।
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