राष्ट्रीय न्यायालय प्रबंधन प्रणाली योजना : भारत की न्याय प्रणाली विश्व, की सबसे बड़ी न्यायायिक प्रणालियों में से एक है। यहां की अदालतों में (31 दिसंबर, 2011 की स्थिति के अनुसार) 3 करोड़ से ज्यादा मामले हैं और न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या कोई 18,871 है। इस प्रणाली का पिछले तीन दशकों में तेजी से विस्तार हुआ है, जिससे इस अवधि के दौरान भारत के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास का पता चलता है। न्यायिक प्रणाली में ऐसी व्यवस्था करने की तत्काल आवश्यकता है जिसमें मुकदमे पांच साल से पुराने न हों। सभी मुकदमों की औसत अवधि कम करने की भी अत्यधिक आवश्यकता है। इसका तात्पर्य है कि प्रत्येक अदालत में खर्च होने वाला समय ही नहीं बल्कि कुल मिलाकर न्यायिक प्रणाली में खर्च होने वाला कुल समय कम करने की आवश्यकता है ताकि प्रत्येक अदालत में खर्च होने वाला समय औसतन लगभग एक वर्ष से अधिक न हो। उसे व्यवस्थापूर्ण बनाये रखने और न्याय की गुणवत्ता तथा प्रतिक्रियाशीलता बढ़ाने के प्रयास भी जारी रहने चाहिए।
राष्ट्रीय न्यायालय प्रबंधन प्रणाली योजना
- राष्ट्रीय न्यायालय उत्कृष्टता संरचना (एनएफसीई) जो गुणवत्ता, प्रतिक्रियाशीलता और समयबद्धता के मामले निपटाने वाली भारतीय अदालतों के लिए निष्पादन मानकतय करेगी।
- गुणवत्ता,प्रतिक्रियाशीलता और समयबद्धता के बारेमें एनएफसीई में स्थापित निष्पादन मानदंडों पर नजर रखने और उन्हें बढ़ाने की प्रणाली।
- न्यायिक प्रणाली की प्रयोक्ता मित्रता बढ़ाने के लिए मुकदता प्रबंधन प्रणाली।
- समूचे देश में न्यायिक आंकड़ों के अभिलेखन और रख-रखाव के लिए सामान्य राष्ट्रीय मंच उपलब्ध कराने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक सांख्यिकी प्रणाली (एनएसजेएस)। एनएसजेएस को मुकदमों और अदालतों के बारे में सही आंकड़े उपलब्ध कराने चाहिए। इससे अदालतों में न्याय प्रणाली के मुख्य कारकों जैसे गुणवत्ता, समयबद्धता और कुशलता आदि के सुव्यस्थित विशलेषण प्राप्त हो सकेंगे। इससे पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी।
- न्यायालय विकास आयोजन प्रणाली- इससे भारतीय न्यायपालिका के भावी विकास के लिए सुव्यवस्थित पंचवर्षीय योजनाओं की रूपरेखा प्राप्त होगी। आयोजन प्रणाली में सभी अदालतों के लिए व्यक्तिगत न्यायालय विकास योजनाएं शामिल हैं।
- मानव संसाधन विकास रणनीति- इससे अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायाधीशों के चयन और प्रशिक्षण के मानक तक होंगे।
- भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा मनोनीत 4 कार्यरत न्यायाधीश (भारत में प्रत्येक क्षेत्र से एक)
- उच्चतम न्यायालय का महासचिव (पदेन)।
- भारत सरकार में न्याय विभाग के संयुक्त सचिव और मिशन निदेशक (पदेन)।
- मुख्य न्यायाधीश द्वारा मनोनीत 3 उच्च न्यायालयों के महा पंजीयक।
- राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी के निदेशक।
- भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा मनोनीत वकालत करने वालेदो अधिवक्ता।
- भारत के मुख्य सांख्यिकीविद् द्वारा मनोनीत विशेषज्ञ सांख्यकीविद्।
- भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा मनोनीत निर्णय प्रणाली प्रबंधन का विशेषज्ञ।
- भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा मनोनीत न्यायालय प्रबंधन से संबद्ध कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी का विशेषज्ञ।
- भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा मनोनीत न्याय तक पहुंच में सुधार के लिए काम करने वाले एक गैर-सरकारी संगठनका एक प्रतिनिध।
- श्री न्यायमूर्ति डी. मुरूगेसन
- श्री न्यायमूर्ति ए.एम. खानविल्कर।
- श्री न्यायमूर्ति अमिताव रॉय।
- श्री न्यायमूर्ति बी.डी. अहमद।
- गुजरात उच्च न्यायालय का महापंजीयक
- कलकत्ता उच्च न्यायालय का महापंजीयक और
- कर्नाटक उच्च न्यायालय का महांपजीयक
- श्री न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर, भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश।
- श्री न्यायमूर्ति पी. सदाशिवम, उच्च्तम न्यायालय के न्यायाधीश और
- श्री न्यायमूर्ति पी.सी. तातिया, झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश।
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