कर्ण का चरित्र चित्रण। character sketch of karna in hindi : डॉ गंगासहाय प्रेमी द्वारा लिखित नाटक सूतपुत्र के नायक कर्ण के चरित्र में निम्नलिखित विशेषताएं मौजूद हैं। कर्ण सच्चा गुरु भक्त है। वह अपने गुरु के लिए सर्वस्व त्याग करने को तत्पर है। अत्यधिक कष्ट सहकर भी वह अपने गुरु परशुराम की निद्रा को बाधित नहीं करना चाहता। गुरु द्वारा श्राप दिए जाने के बावजूद वह अपने गुरु की निंदा सुनना पसंद नहीं करता। द्रौपदी स्वयंवर के समय उसकी गुरुभक्ति स्पष्ट रूप से दिखती है।
कर्ण का चरित्र चित्रण। character sketch of karna in hindi
डॉ गंगासहाय प्रेमी द्वारा लिखित नाटक सूतपुत्र के नायक कर्ण के चरित्र में निम्नलिखित विशेषताएं मौजूद हैं:-
गुरुभक्ति : कर्ण सच्चा गुरु भक्त है। वह अपने गुरु के लिए सर्वस्व त्याग करने को तत्पर है। अत्यधिक कष्ट सहकर भी वह अपने गुरु परशुराम की निद्रा को बाधित नहीं करना चाहता। गुरु द्वारा श्राप दिए जाने के बावजूद वह अपने गुरु की निंदा सुनना पसंद नहीं करता। द्रौपदी स्वयंवर के समय उसकी गुरुभक्ति स्पष्ट रूप से दिखती है।
प्रवीण धनुर्धारी : कर्ण धनुर्विद्या में अत्यधिक प्रवीण है। वह अपने समय का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धारी है, जिसके सामने अर्जुन को भी टिकना मुश्किल लगता है। इसलिए इंद्र देवता ने अर्जुन की रक्षा के लिए कर्ण से ब्राह्मण वेश धारणकर कवच-कुंडल मांग लिए।
प्रबल नैतिकतावादी : कर्ण उच्च स्तर के संस्कारों से युक्त है। वह नैतिकता को अपने जीवन में विशेष महत्व देता है। इसी नैतिकता के कारण वह द्रौपदी के अपहरण संबंधी दुर्योधन के प्रस्ताव को अस्वीकार कर देता है।
दानवीरता : कर्ण अपने समय का सर्वश्रेष्ठ दानवीर था। उसकी दानवीरता अद्वितीय है। युद्ध में अर्जुन की विजय को सुनिश्चित करने के लिए इंद्र ने कवच-कुंडल मांगे। सारी वस्तु-स्थिति को समझते हुए भी कर्ण ने इसका दान दे दिया। इतना ही नहीं युद्धभूमि में मृत्यु शैया पर पड़े कर्ण ने श्री कृष्ण द्वारा ब्राह्मण वेश में सोना दान में मांगने पर कर्ण ने अपने सोने का दांत उखाड़ कर दे दिया।
महान योद्धा : कर्ण एक महान योद्धा है। वह एक सच्चा महारथी है। वह अर्जुन के रथ को अपनी बाण वर्षा से पीछे धकेल देता है। जिस पर स्वयं भगवान श्री कृष्ण बैठे हुए थे।
नारी के प्रति श्रद्धा भाव : नारी जाति के प्रति कर्ण में गहरी निष्ठा एवं श्रद्धा है। वह नारी को विधाता का वरदान मानता है।
सच्चा मित्र : कर्ण अपने जीवन के अंत समय तक अपने मित्र दुर्योधन के प्रति गहरी निष्ठा रखता है। दुर्योधन के प्रति उसकी मित्रता को कोई भी व्यक्ति कम नहीं कर सका।
अंतः कहा जा सकता है कि कर्ण का व्यक्तित्व अनेक श्रेष्ठ मानवीय भावों से परिपूर्ण है।
Kay first sarg hai avam vardan kay hai
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