दूरदर्शन का समाज पर प्रभाव निबंध। Doordarshan ka Mahatva in Hindi Essay
दूरदर्शन विज्ञान के अत्यंत मनमोहक आविष्कारों में से एक है। वायरलेस और रेडियो को विज्ञान के महान चमत्कारों में गिना जाता था। हजारों मील बाहर से आवाज सुनकर लोगों में सनसनी पैदा हो जाती थी और वे यह आश्चर्य करते थे कि ऐसा कैसे संभव हो सकता है किंतु जब दूरदर्शन के पर्दे पर सैकड़ों मील दूर से मनुष्य की आवाज के साथ साथ उसकी तस्वीर भी दिखाई पड़ने लगी हमारे आश्चर्य का ठिकाना ना रहा और यह निःसंदेह ही सिद्ध हो गया कि मनुष्य की आविष्कार करने की शक्ति पर कोई सीमा नहीं लगाई जा सकती।
दूरदर्शन ने पूरे विश्व में क्रांति ला दी है। उन्नत देशों में तो लगभग प्रत्येक घर में टेलीविजन सेट है। वहां पर ग्रामीण क्षेत्रों में टेलीविजन देखने की सुविधा प्रदान कर दी गई है। अधिकतर लोगों के लिए टेलीविजन उनके जीवन का अंग बन गया है। भारत में दूरदर्शन की स्थापना 15 सितंबर 1959 को हुई किंतु अधिकतर जनता तक इसको पहुंचने तक बहुत से वर्ष लग गए। विज्ञान के ऐसे चमत्कारिक आविष्कार के कारण हमें मनोरंजन की सुविधा इतनी आसानी से आज इसके द्वारा उपलब्ध हो पाती है। हमारी सरकार को कम से कम समय में दूरदर्शन प्रत्येक घर में पहुंचाने में काफी दिक्कत हुई लेकिन अब यह संभव हो चुका है।
भारत में दूरदर्शन का बड़ा सामाजिक महत्व है वास्तव में यदि हम भारत को एक आधुनिक समाज बनाने और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में प्रगति की गति को तीव्र करने के लिए हमको दूरदर्शन स्टेशनों का जाल बिछाना बहुत जरूरी था और शीघ्र से शीघ्र समस्त जनता तक टेलीविज़न पहुंचाना भी जरूरी था। टेलीविजन मनोरंजन का अच्छा साधन है यह जनसंचार के बहुत ही प्रभावी साधनों में से एक है। सरकार टेलीविजन के माध्यम से जन संचार के अन्य माध्यमों की अपेक्षा नीति और कार्यक्रमों को अधिक से अधिक जनता तक अधिक प्रभावी रूप में पहुंचाती है¸ वांछित तरीके से जनता को शिक्षित भी करती है। ग्रामीण भारत के आधुनिकीकरण में टेलीविजन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। खेतों की उपज बढ़ाने के लिए खेती के आधुनिक तरीकों का प्रचार टेलीविजन के माध्यम से किया जाता है। अनाज के भंडारण¸ बागवानी¸ पशुपालन¸ रेशम के कीड़ों का पालन¸ सफाई रोगों से इलाज के लिए सादे घरेलू नुस्खे¸ परिवार नियोजन के तरीके आदि विषयों में नवीनतम जानकारी ग्रामीण लोगों को उपलब्ध कराई जा सकती है। सरकार की उन योजनाओं की जानकारी जिनके द्वारा सरकार गरीबी की रेखा से नीचे के स्तर से समाज के एक बहुत बड़े वर्ग को निकालना चाहती है¸ टेलीविजन के माध्यम से जनता को उपलब्ध कराई जा सकती है। रोजगार के अवसरों और विभिन्न क्षेत्रों में वर्तमान रिक्तियों के विषय में दूरदर्शन पर समाचार देकर सरकार बेरोजगार लोगों को उनके लिए आवेदन करने में सहायता दे सकती है क्योंकि टेलीविजन में श्रव्य और दृश्य दोनों सुविधाओं का सम्मेलन होता है जिसका प्रभाव जनसंचार के अन्य साधनों से अधिक होता है। नाटकों¸ प्रहसनों के द्वारा टेलीविजन बहुत प्रभावी ढंग से उन बहुत सी बुराइयों को दूर करने में सहायता कर सकता है जिन्होंने भारत समाज को खोखला कर रखा है। टेलीविजन के द्वारा जनता को अच्छी राजनीतिक शिक्षा प्रदान की जा सकती है। टेलीविजन के माध्यम से वोट के महत्व एवं इसका बुद्धिमतापूर्ण प्रयोग करने के प्रत्येक नागरिक के कर्तव्य की जानकारी बहुत प्रभावी ढंग से कराई जा सकती है। कुटीर एवं लघु उद्योगों के लिए आधुनिक तकनीकी का प्रचार टेलीविजन की सहायता से किया जा सकता है और लोगों में जोखिम उठाने की भावना को प्रोत्साहित करके देश के अधिक से अधिक औद्योगीकरण के लिए वातावरण पैदा किया जा सकता है। टेलीविजन का शैक्षिक महत्व स्वयं स्पष्ट है। टेलीविजन स्कूलों और कॉलेजों के लिए विभिन्न विषयों पर कार्यक्रम प्रसारित कर अध्यापक के बोझ को हल्का कर सकता है। भारतीय दूरदर्शन द्वारा प्रसारित ‘कंट्री वाइट क्लास रूम’ कार्यक्रम ने अनेक एकेडमिक विषयों पर हमारे युवा विद्यार्थियों को लाभ पहुंचाया है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों प्रकार के रोजमर्रा के समाचारों की जानकारी टेलीविजन बराबर दे सकता है। टेलीविजन अभिप्रेरण की बहुत सी प्रभावी भूमिका अदा कर सकता है। जब हम आंखों से बड़े लोगों को बड़े कार्य करते हुए देखते हैं तो उसी प्रकार के बड़े कार्य करने की हमारी महत्वकांक्षाएं जग जाती हैं। हमारे दृष्टिकोण को अंतरराष्ट्रीय एवं विश्वव्यापी बनाने में दूरदर्शन की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका है। यह हमको संकुचित चिंतन के संकुचित पलकों से बाहर निकालता है और ज्ञान की नई धूप और ताजी हवा में हमें प्रविष्ट कराता है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में होने वाले समाचारों और घटनाओं को देखकर हमें ज्ञान ज्ञान होता है कि सारा विश्व अपनी समस्याओं का सामना कर रहा है और उन्हीं अनुभवों से गुजर रहा है जिनसे होकर हम गुजर रहे हैं। इससे उनके साथ अधिक घनिष्ठता स्थापित करने में हमें सहायता मिलती है। हम उनमें और अपने में मुश्किल से ही कोई अंतर पाते हैं। इससे निश्चय ही हमारा दृष्टिकोण मानवीय और व्यापक बनता है। दूरदर्शन खिलाड़ियों¸ साहसी कार्य में रुचि लेने वाले खेल प्रेमियों के लिए तो वरदान के रूप में अवतरित हुआ है। संपूर्ण विश्व में होने वाले खेल कार्यक्रमों का दूरदर्शन पर प्रसारण किया जाता है। खेल के क्षेत्र में नवोदित प्रतिभाएं महान खेल व्यक्तित्व से उनकी खेल तकनीकी की बारीकियों के बारे में काफी कुछ सीख सकते हैं। सचेत दर्शक अपने खेलों की उपलब्धि में महान खिलाड़ियों द्वारा अपनाई तकनीकी के आधार पर अभ्यास कर काफी सुधार कर सकते हैं। दर्शकों को यह संतुष्टि एवं आनंद मिलता है कि विश्व की विविध जिंदगी एवं संस्कृति को साक्षात देख सकते हैं इससे उनके दृष्टिकोण में व्यापकता एवं सार्वभौमिकता का विकास होता है। इसके अतिरिक्त भारतीय दर्शक अपनी पारंपरिक अंधविश्वासी प्रवृत्ति को समस्त विश्व के आधुनिक विचारों के लोगों को पर्दे पर देखकर समाप्त कर सकते हैं।
कुछ लोगों का यह कहना है कि टी.वी. देखना आंखों के लिए ही नहीं मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है। अंधाधुंध संख्या में तथ्य और अंधाधुंध टी.वी. चैनल और उन पर प्रसारित किए जाने वाले अत्यधिक संख्या में कार्यक्रम दर्शकों को निश्चित रूप से एक दिन दिग्भ्रमित कर देंगे और सामान्य से नीचे का मानव बना देंगे। दूरदर्शन के विरुद्ध एक आरोप यह है कि इसने सामान्य रूप से जनता की और विशेष रूप से छात्रों की अध्ययन करने की आदत पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है और इसने ध्यान केंद्रित करने वाली हमारी मानसिक शक्ति को प्रभावित किया है जिससे कि हम वह गहरा चिंतन नहीं कर सकते जो हमारी सृजनात्मक शक्तियों के विकास के लिए आवश्यक है। यह सब आरोप बेबुनियाद हैं क्योंकि उपर्युक्त वर्णित टी.वी. के हानिकारक प्रभाव को टी.वी. के मत्थे ना मढ़कर टी.वी. के प्रति हमारे दृष्टिकोण पर मढ़ा जाना चाहिए। हमें टी.वी. को अपना सहायक बनाना चाहिए ना कि स्वामी¸ साधन बनाना चाहिए¸ ना कि अपने में एक साध्य। अच्छे नतीजों के लिए हमें दूरदर्शन देखने हेतु उचित नियोजन और खाली समय का विवेक युक्त सदुपयोग करना चाहिए। टी.वी. ने दुनिया को रहने के लिए एक अच्छा स्थान बना दिया है और यह हमारी दृष्टि को व्यापक बनाने¸ सामान्य जानकारी बढ़ाने और विश्वव्यापी मानवता के संदर्भ में सोचने और संकुचित क्षेत्रीयता का त्याग हेतु साधन के रूप में सिद्ध हुआ है। अतः स्पष्ट है कि भारत में टेलीविजन का बड़ा सामाजिक महत्व है
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