रुपये की आत्मकथा पर निबंध : मेरे जन्म की कहानी बहुत रोचक है। मैं विभिन्न अवस्थाओं से गुजरकर इस वर्तमान अवस्था में आया हूँ। वास्तव में मेरा जन्म विभिन्न धातुओं के मिश्रण से हुआ है। बाल्यावस्था से ही मुझे विचरण के लिए बाहर भेज दिया जाता है। टकसाल से मुझे भारत की राष्ट्रीय बैंक रिजर्व बैंक में भेज दिया जाता है।
रुपये की आत्मकथा पर निबंध। Essay on Rupaye ki Atmakatha
परिचय - मेरे जन्म की कहानी बहुत रोचक है। मैं विभिन्न अवस्थाओं से गुजरकर इस वर्तमान अवस्था में आया हूँ। वास्तव में मेरा जन्म विभिन्न धातुओं के मिश्रण से हुआ है। सबसे पहले धातुओं को पृथ्वी से निकाला जाता है फिर इन्हे शुद्ध किया जाता है। उसके बाद मुझे टकसाल भेजा जाता है जहां मुझे गलाया और मिश्रित किया जाता है। फिर मुझे बहुत सी मशीनों से गुजारा जाता है और आकर्षक रूप दिया जाता है। मेरी सुंदरता को और भी अधिक बढ़ाने के लिए मेरे निर्माता मेरे दोनों ओर सुन्दर चित्र और मूल्य अंकित करते हैं। मेरे अनेक भाई बहन हैं। वे भी मेरे समान सुन्दर और आकर्षक हैं।
मेरी बाल्यावस्था : बाल्यावस्था से ही मुझे विचरण के लिए बाहर भेज दिया जाता है। टकसाल से मुझे भारत की राष्ट्रीय बैंक रिजर्व बैंक में भेज दिया जाता है। मैं यहां अकेला नहीं आता हूँ बल्कि मेरे साथ मेरे कई भाई-बहन भी आते हैं। यहां से हम सभी को बाजार भेज दिया जाता है। यहाँ मैं कभी सब्जी वाले के हाथ में तो कभी मिठाई वाले के हाथ में बस इधर से उधर घूमा करता हूँ। इस प्रकार लोगों के साथ-साथ मैं भी घूम लेता हूँ।
विनिमय की समस्या : मेरे लिए सबसे कठिन समय तब आ जाता है जब मैं एक हाथ से दुसरे हाथ घुमते हुए किसी दुष्ट और लालची आदमी की हाथ लग जाता हूँ। उसके पास मेरे भाई-बहनों का भण्डार होता हूँ। वह हम सबको बड़ी सी अलमारी में सुरक्षित रखता है। वह हमें कभी भी बाजार लेकर नहीं जाता है। मेरी कैद का यह समय मेरे लिए सबसे मुश्किल होता है। सिर्फ महीने में एक बार ही वह कंजूस और लालची आदमी हमें गिनने की लिए बाहर निकालता है। मुझे इस दिन का बड़ी ही बेसब्री से इन्तजार रहता है। धीरे-धीरे मेरे और भी भाई बहन इस कंजूस की जेल में आ जाते हैं।
मेरी स्वतंत्रता का दिन : आखिरकार मेरी स्वतंत्रता का दिन भी आ जाता है। एक रात कुछ नकाबपोश लोग जो देखने में चोर या डाकू लग रहे थे, हथियारों के साथ आते हैं और मुझे थैले में भरकर ले गए। उन लोगों को पुलिस ने पकड़ लिए और हमें वापस बैंक भेज दिया। वहाँ से हमें फिर बाजार भेजा गया। इस बार मैं एक धनवान आदमी के हाथ जाता हूँ। वह मुझे अपने छोटे पुत्र को देता है। वह अपने मित्रों के साथ घूमने जाता है। वे सब नदी में तैरने का निश्चय करते हैं। जब मेरा स्वामी कमीज उतारता है तो मैं उसकी जेब से नदी में गिर जाता हूँ। मैं सोचता हूँ की पुराने दिन ही अच्छे थे। परन्तु तभी एक मछुआरे को मैं मिलता हूँ और मुझे पुनः जीवनदान मिल जाता है।
उपसंहार : जैसे-जैसे समय गुजरता है, मेरा रंग भद्दा होता जाता है। लोग मुझे स्वीकार करने में संकोच करने लगते हैं। कई लोग तो मुझे असली मानने से इंकार कर देते हैं। मैं इस बदनामी और कठिन जीवन से थक जाता हूँ और ईश्वर से मौत की प्रार्थना करने लगता हूँ। आखिरकार वह दिन भी आ जाता है जब मैं बैंकर के हाथ लगता हूँ और वह मेरे दो टुकड़े कर देता हूँ और मैं मर जाता हूँ।
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