सहनशीलता पर निबंध: सहनशीलता एक ऐसा गुण है जो इंसान को बड़ा बनाता है। यह वह शक्ति है जो हमें दूसरों के विचार, आचरण और विश्वास को समझने और स्वीकार करने
सहनशीलता पर निबंध - Sahanshilta Essay in Hindi
सहनशीलता पर निबंध: सहनशीलता एक ऐसा गुण है जो इंसान को बड़ा बनाता है। यह वह शक्ति है जो हमें दूसरों के विचार, आचरण और विश्वास को समझने और स्वीकार करने की क्षमता देती है। जब कोई हमसे अलग सोचता है, अलग तरीके से जीता है, तब भी अगर हम उसे सहन करते हैं, उसकी बात को सुनते हैं, और शांत रहते हैं — यही सच्ची सहनशीलता है। आज के समय में, जब हर व्यक्ति अपनी बात को सबसे सही मानने लगा है, तब सहनशीलता पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरी हो गई है।
भारत एक ऐसा देश है जो सदियों से विविधताओं का देश रहा है — धर्म, भाषा, जाति, संस्कृति, पहनावा और विचार, हर स्तर पर भिन्नताएँ हैं। लेकिन इन सबके बावजूद भारत एकजुट रह सका, क्योंकि यहाँ सहनशीलता को हमेशा महत्व दिया गया। हमारे ऋषि-मुनियों ने कहा था — “एकं सद् विप्रा बहुधा वदन्ति”, यानी सत्य एक है, लेकिन उसे लोग अलग-अलग तरीके से समझते और व्यक्त करते हैं। यह भावना सहनशीलता की सबसे सुंदर व्याख्या है।
लेकिन आज के दौर में यह मूल्य धीरे-धीरे कम होता दिखाई दे रहा है। सोशल मीडिया, राजनीति, धर्म और विचारधाराओं के नाम पर लोग एक-दूसरे से भिड़ने लगे हैं। असहमति का मतलब अब शत्रुता मान लिया जाता है। लोग दूसरों की बात सुनने के लिए तैयार नहीं होते, और हर चीज़ को “अपना बनाम दूसरा” के चश्मे से देखने लगे हैं। इसी कारण समाज में तनाव, नफ़रत और हिंसा बढ़ रही है।
सहनशीलता का अर्थ यह नहीं है कि हम अन्याय या असत्य को भी मौन समर्थन दें। सहनशीलता से आशय केवल इतना है कि हमें असहमति के स्वर को भी सुनने का धैर्य और विवेक होना चाहिए। जब हम केवल अपने विचारों को सर्वोच्च मानते हैं और दूसरों को बोलने तक का अवसर नहीं देते, तब समाज में विभाजन और वैमनस्य बढ़ता है।
हमारे देश ने जब-जब सहनशीलता से हटकर रास्ता अपनाया है, तब-तब उसे नुकसान उठाना पड़ा है। इतिहास गवाह है कि सांप्रदायिक दंगे, भाषा के विवाद, जाति के संघर्ष — ये सभी तब ही बढ़े जब सहनशीलता की भावना कमजोर पड़ी। वहीं दूसरी ओर, जब देश ने मिल-जुलकर काम किया, एक-दूसरे की बात सुनी, तब बड़ी से बड़ी समस्याओं को भी हल किया जा सका।
इसलिए हमें यह समझना ज़रूरी है कि अगर कोई हमसे अलग सोचता है, तो जरूरी नहीं कि वह गलत है। सहनशीलता का मतलब ही है कि हम दूसरों की बात को भी उतनी ही इज्ज़त दें जितनी अपनी। भारत जैसे विविधता से भरे राष्ट्र में यह मूल्य और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि यहां सहनशीलता केवल सह-अस्तित्व का माध्यम नहीं, बल्कि एकता और अखंडता की शर्त है।
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