मेरा प्रिय स्थान पर निबंध: मनुष्य चाहे जहाँ भी चला जाए, कितनी भी ऊँचाइयों को छू ले, पर कुछ स्थान ऐसे होते हैं, जो जीवन भर उसके मन में बसे रहते हैं। मे
मेरा प्रिय स्थान पर निबंध (Mera Priya Sthan Essay in Hindi)
मेरा प्रिय स्थान पर निबंध: मनुष्य चाहे जहाँ भी चला जाए, कितनी भी ऊँचाइयों को छू ले, पर कुछ स्थान ऐसे होते हैं, जो जीवन भर उसके मन में बसे रहते हैं। मेरे लिए ऐसा ही एक स्थान है — मेरा गाँव। शहर में भले ही आधुनिक सुख-सुविधाएँ मिलती हों, लेकिन वहाँ की ज़िंदगी बहुत अकेली और भागदौड़ भरी होती है। गाँव की मिट्टी में एक अपनापन है, जो शहर की चमचमाती इमारतों में नहीं मिलता। जब भी मैं तनाव में होता हूँ या किसी उलझन में होता हूँ तो मन बार-बार वहीं लौट जाना चाहता है — अपने गाँव, अपनी मिट्टी, अपने लोगों के बीच।
मेरा गाँव बहुत सुंदर और शांत जगह पर बसा है। चारों ओर हरियाली, खेतों में लहलहाती फसलें, आम के बाग़, और एक पगडंडी जो खेतों के बीच से होती हुई नदी तक जाती है – यह सब मेरे गाँव को और भी खूबसूरत बनाता है। गाँव की सुबह की बात ही अलग होती है। मुर्गे की बाँग, मंदिर की घंटी, और चूल्हे की खुशबू — सब मिलकर एक अनोखा वातावरण बनाते हैं।
बचपन में गांव में बिताया समय मेरे जीवन का सबसे खूबसूरत हिस्सा था। दिनभर दोस्तों के साथ खेलना, आम के पेड़ों पर चढ़ना, तालाब में नहाना और रात को छत पर लेटकर तारों की गिनती करना – ये सब मेरी यादों में आज भी ताज़ा हैं। वहाँ न टीवी की ज़रूरत थी, न मोबाइल की। प्रकृति ही हमारी सबसे बड़ी दोस्त होती थी।
गाँव का जीवन भले ही शहर जितना तेज़ न हो, लेकिन वहाँ की सादगी और अपनापन मन को बहुत भाता है। वहाँ लोग एक-दूसरे को नाम से नहीं, रिश्तों से पहचानते हैं — जैसे कोई चाचा, कोई दादी, कोई भैया। गाँव के लोग मेहनती होते हैं, वे सूरज उगने से पहले खेतों में पहुँच जाते हैं और ईमानदारी से काम करते हैं। उनके चेहरे पर एक अलग ही शांति और संतोष होता है।
निष्कर्षतः, मेरा गाँव केवल एक प्रिय स्थान नहीं बल्कि मेरा संसार है। गाँव में रिश्ते खून से नहीं, भावनाओं से बनते हैं। वहाँ का हर इंसान, हर बुज़ुर्ग, हर बच्चा मेरे दिल के बहुत करीब है। जीवन में चाहे मैं जहाँ भी चला जाऊँ, कितनी भी सफलता पा लूँ, मेरा दिल हर बार उसी पगडंडी की ओर लौटता है जो मुझे मेरे गाँव ले जाती है।
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