घड़ियाल पर निबंध / Essay on Gharial in Hindi. घड़ियाल को मछली खानेवाला मगरमच्छ भी कहते हैं यह मगरमच्छ जैसा सरीसृप होता है। घड़ियाल एक विलुप्तप्राय प्र
Hindi Essay on Gharial, "घड़ियाल पर निबंध" for Students
घड़ियाल पर निबंध / Essay on Gharial in Hindi
घड़ियाल पर निबंध : घड़ियाल को मछली खानेवाला मगरमच्छ भी कहते हैं यह मगरमच्छ जैसा सरीसृप होता है। घड़ियाल एक विलुप्तप्राय प्रजाति है। घड़ियाल के सबसे पुराने ज्ञात चित्रण लगभग 4,000 वर्ष पुराने हैं और सिंधु घाटी में पाए गए थे। हिंदू इसे देवी गंगा नदी का वाहन मानते हैं।
घड़ियाल मीठे पानी के मगरमच्छों से बड़े होते हैं लेकिन खारे पानी के मगरमच्छों से छोटे होते हैं। इसके अलावा, उनका थूथन बहुत लंबा होता है। नर घड़ियाल के थूथन की नोक पर एक वृद्धि होती है जिसे 'घड़ा' कहा जाता है क्योंकि यह दिखने में एक घड़े की भाँती लगता है। घड़ियाल के लंबे थूथन में ऊपर और नीचे की ओर बहुत लंबे, तेज, नुकीले दाँत होते हैं, जो मुँह बंद करने पर इस प्रकार बैठ जाते हैं कि उसकी पकड़ से किसी भी शिकार का छूट निकलना आसान नहीं होता। इसके ऊपरी थूथन में ऊपर की ओर हर तरफ 27-29 दाँतों की पंक्ति रहती है।
घड़ियाल मगरमच्छों की जीवित प्रजातीयों में सबसे लंबा (11 से 15 फुट) होते है। इनका औसत भार १५० - २५० किलोग्राम होता है। ये गहरे या हल्के जैतूनी रंग के होते हैं और लगभग 20 साल की आयु पर इनकी पृष्ठीय सतह गहरे भूरे-काले रंग की हो जाती है। यह सबसे कुशल जलीय मगरमच्छ है। यह केवल धूप सेंकने और घोंसलों के निर्माण के लिए निकलता है। इनकी संख्या कुछ सैकड़ों में ही सिमट गई है और ये तेजी से लुप्त हो रहे हैं।
पूर्व में घड़ियाल इरावड्डी नदी (म्याँमार) से पश्चिम में सिंधु नदी तक, भारतीय उपमहाद्वीप की सभी प्रमुख नदियों में पाए जाते थे, लेकिन उनकी जनसंख्या अब पूर्व क्षेत्रफल की तुलना में केवल 2% तक में ही सीमित रह गई है। आज बहुत कम संख्या में घड़ियाल सोन नदी, गिरवा नदी, गंगा, महानदी और चंबल नदी में पाए जाते हैं। राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य भारत में एकमात्र स्थान है जहाँ घड़ियाल की एक बड़ी जंगली आबादी पाई जाती है।
COMMENTS