यदि वायु न होती तो हिंदी निबंध: यदि पृथ्वी पर वायु का नामोनिशान न होता, तो यह एक भयानक और अकल्पनीय दुनिया बन जाती। वायु पृथ्वी पर जीवन का आधार है। वाय
यदि वायु न होती तो हिंदी निबंध - Yadi Vayu Na Hoti To Hindi Nibandh
यदि वायु न होती तो हिंदी निबंध: यदि पृथ्वी पर वायु का नामोनिशान न होता, तो यह एक भयानक और अकल्पनीय दुनिया बन जाती। वायु पृथ्वी पर जीवन का आधार है। वायु से ही हमारे वायुमंडल का निर्माण हुआ है, जिसके बिना हम सांस नहीं ले सकते, पत्ते हिल नहीं सकते और पक्षी आकाश में नहीं उड़ सकते। परंतु कल्पना कीजिए, यदि धरती पर वायु न होती तो हमारा नीला ग्रह कैसा दिखाई देगा?
यदि पृथ्वी पर वायु न होती: तो जीवन का कोई अस्तित्व समाप्त हो जाता। वायुमंडल पृथ्वी के प्राण समान है। यह ऑक्सीजन का भंडार है, वह जीवनदायी तत्व जिसके बिना पौधे प्रकाश संश्लेषण नहीं कर पाएंगे और न ही पशु-पक्षी श्वास ले सकेंगे। हमारी सांसों का लयबद्ध चलना, पत्तियों का हिलना और पक्षियों का उड़ना - ये सभी क्रियाएं वायु पर निर्भर हैं। वायु के बिना, धरती एक विशाल कब्रिस्तान बन जाएगी, जहां कभी जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र मौजूद थे।
यदि वायु न होती: तो पृथ्वी पर मौसम का अस्तित्व भी न होता। हवा का दबाव और तापमान का अंतर ही मौसम को जन्म देता है। पृथ्वी के चारों ओर लगातार घूमने वाली वायु ही बादलों को इधर-उधर ले जाती है और वर्षा लाती है। वायु के अभाव में बादल न बन पाते और वर्षा का अस्तित्व ही खत्म हो जाता। इस प्रकार पृथ्वी सूखे और निर्जीव रेगिस्तान में बदल जाएगी।
यदि पृथ्वी पर वायुमंडल न होता: तो जल भी अपना तरल रूप खो देता। वायुमंडल का दबाव ही जल को तरल अवस्था में रखता है। बिना दबाव के, जल तुरंत वाष्प में परिवर्तित हो जाता और अंतरिक्ष में विलीन हो जाता। नदियां, झीलें, और महासागर सूखे गड्ढों में बदल जाते। पृथ्वी का वह जीवनदायी जल, जो कभी अस्तित्व का पर्याय था, मात्र एक स्मृति बनकर रह जाता।
यदि पृथ्वी पर वायु न होता: तो ध्वनि का अस्तित्व ही नष्ट हो जाता। ध्वनि तरंगें हवा के माध्यम से यात्रा करती हैं। बिना वायुमंडल के, ध्वनि तरंगों के प्रसार का कोई माध्यम नहीं होता। पक्षियों का कलरव, नदियों का संगीत और मनुष्यों की वाणी, यहां तक कि हमारी अपनी आवाज - ये सब खामोशी के सागर में खो जाती। पृथ्वी एक ऐसे मूक नाटक का मंच बन जाती, जहां अभिनेता सिर्फ इशारों से संवाद करने को बाध्य होते।
यदि वायु न होती: तो धरती का वायुमंडल भी न होता। यह वायुमंडल सौर विकिरण से हमारी रक्षा करता है। वायुमंडल के अभाव में, सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणें बिना किसी बाधा के पृथ्वी की सतह तक पहुंच जाती। ये पराबैंगनी किरणें डीएनए को क्षतिग्रस्त करती, जिससे जीवित रहना असंभव हो जाता।
यदि पृथ्वी पर वायुमंडल न होता: तो धरती पर अंतरिक्ष से आने वाले उल्कापिंड और धूमकेतु की बारिश होती। वायुमंडल इन खगोलीय पिंडों के प्रवेश को रोकने में एक ढाल के समान कार्य करता है। घर्षण के कारण इन उल्कापिंडों का अधिकांश भाग वायुमंडल में ही जल जाता है। बिना वायुमंडल के, ये खगोलीय पिंड पृथ्वी की सतह से टकराते, जिससे लगातार विनाश होता रहेगा।
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