यदि प्राणी नहीं होते तो निबंध: पृथ्वी एक जीवंत ग्रह है, जहाँ पेड़-पौधे, जीव-जंतु, कीट और पक्षी मिलकर पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करते हैं. कभी कल्पन
यदि प्राणी नहीं होते तो निबंध हिंदी - Yadi Prani Nahi Hote Hindi Nibandh
यदि प्राणी नहीं होते तो निबंध: पृथ्वी एक जीवंत ग्रह है, जहाँ पेड़-पौधे, जीव-जंतु, कीट और पक्षी मिलकर पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी कल्पना की है, कि अगर धरती पर प्राणी न होते, तो यह कैसी जगह होती? चारों ओर एक अजीब सी खामोशी फैली होती, जंगलों की रातें सन्नाटे में डूबी होतीं, पेड़-पौधे पक्षियों के अभाव में निर्जीव प्रतीत होते। नदियाँ बह रही होतीं और बर्फ से ढके पहाड़ भी होते - मगर उनमें जानवरों की कोई चहल-पहल नहीं होती, अगर धरती पर प्राणी न होते...
अगर प्राणी न होते तो पृथ्वी एक ऐसा ग्रह बन जाती, जहाँ हवा में पंछी कलरव नहीं करते, जंगलों में बाघ नहीं दहाड़ते, और नदियों में मछलियाँ नहीं इठलाती. अगर पृथ्वी पर जीव जंतु न होते, तो यह ग्रह एक मौन कारागार में बदल जाता. प्रकृति का रंग फीका पड़ जाता, पारिस्थितिकी का संतुलन बिगड़ जाता, और मानव सभ्यता स्वयं अपने ही अस्तित्व के लिए संघर्ष करती हुई नजर आती.
मानव सभ्यता के विकास में जीव जंतुओं का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है. घोड़ों ने सदियों से परिवहन का साधन प्रदान किया, बैलों ने खेती में मदद की, और कुत्तों ने शिकार और रखवाली में सहयोग दिया. पशुओं से प्राप्त दूध, चमड़ा, ऊन, रेशम आदि प्राकृतिक पदार्थ हजारों वर्षों से मानव सभ्यता की बुनियाद रहे हैं. इसलिए यदि पृथ्वी पर कोई प्राणी न होते, तो मानव सभ्यता का स्वरुप ही कुछ और होता.
पौधों और जंतुओं का एक और महत्वपूर्ण संबंध परागण का है. मधुमक्खी, तितलियाँ, और पक्षी फूलों से पराग कण लेकर दूसरे फूलों तक पहुँचाते हैं, जिससे पौधों का बीजोत्पादन होता है. अगर पृथ्वी पर प्राणी न होते, तो परागण का ये चक्र रुक जाता. फल लगने बंद हो जाते, धीरे-धीरे पेड़ कम होते जाते, और अंततः पृथ्वी एक निर्जन रेगिस्तान में बदल जाती.
यदि पृथ्वी पर कोई प्राणी न होते तो प्रकृति पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता. मछलियों के बिना, नदियाँ और समुद्र निर्जीव जल राशि बन कर रह जाते. प्रकृति में शिकारी, शाकाहारी और सर्वाहारी प्राणियों का एक संतुलित अनुपात होता है, जो किसी एक प्रजाति के अत्यधिक वृद्धि को रोकता है. उदाहरण के लिए, यदि शेर न हों, तो हिरणों की संख्या अनियंत्रित रूप से बढ़ सकती है, जिससे वनस्पति का विनाश हो सकता है. यदि पृथ्वी पर कोई प्राणी न होते, तो पारिस्थितिकी तंत्र समाप्त हो जाता.
पशुओं और पक्षियों का सौंदर्य और विविधता प्रकृति का एक अदुभूुत उपहार है. मोर का नाच, हंसों का प्रवास, तितलियों का रंगबिरंगा रूप, और डॉल्फिन का समुद्र में उछलना - ये सब प्रकृति की रचनात्मकता के साक्षी हैं. यदि पृथ्वी पर कोई प्राणी न होते, तो यह ग्रह एक निर्जीव संग्रहालय बन कर रह जाता.
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