आषाढ़ का एक दिन' नाटक के आधार पर विलोम का चरित्र-चित्रण कीजिए: मोहन राकेश द्वारा रचित नाटक "आषाढ़ का एक दिन" में विलोम एक जटिल और बहुआयामी चरित्र है।
आषाढ़ का एक दिन' नाटक के आधार पर विलोम का चरित्र-चित्रण कीजिए।
मोहन राकेश द्वारा रचित नाटक "आषाढ़ का एक दिन" में विलोम एक जटिल और बहुआयामी चरित्र है। वह नाटक में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, कालिदास के चरित्र को उभारने और कहानी को आगे बढ़ाने में सहायक होता है। विलोम के चरित्र में निम्नांकित विशेषताएँ दिखाई देती हैं-
(1) तर्कशील: विलोम एक तर्कशील और व्यावहारिक व्यक्ति है। वह भावनाओं में बहने के बजाय तर्क और बुद्धि के आधार पर निर्णय लेता है। एक आलोचक का मानना है कि - " विलोम के तर्कों में ही नहीं, उसकी पूरी जीवन-दृष्टि में एक ऐसी आवश्यकता और अनिवार्यता है कि उसकी गिनती हिन्दी नाटक के कुछ अविस्मरणीय पात्रों में होगी। कई प्रकार से विलोम मोहन राकेश की एक अनुपम नाटकीय चरित्र सृष्टि है । "
(2) यर्थाथवादी: विलोम यथार्थवादी सोच रखने वाला व्यक्ति है। वह जीवन को आदर्शवादी दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि उसकी कठोर वास्तविकताओं के साथ देखता है। उसे स्थितियों की पूरी-पूरी समझ है। यही कारण है कि वह कालिदास के उज्जयिनी जाने से पूर्व मल्लिका के विषय में कोई निर्णय लेने का प्रस्ताव रखता है। वह अपनी आशंका को व्यक्त करते हुए कहता है - " राजधानी के वैभव में जाकर ग्राम-प्रांतर को भूल तो नहीं जाओगे ? सुना है वहाँ जाकर व्यक्ति बहुत व्यस्त हो जाता है। वहाँ के जीवन के कई तरह के आकर्षण हैं..... रंगशालाएँ हैं, मदिरालय और तरह-तरह की विलास भूमियाँ...।"
(3) मल्लिका का हितैषी: मल्लिका के मन में विलोम के लिए बहुत घृणा है, परंतु विलोम हमेशा उसकी भलाई ही चाहता है । वह जानता है कि एक दिन कालिदास मल्लिका को धोखा दे देगा। इसीलिए वह मल्लिका को बार-बार सावधान भी करता है, लेकिन मल्लिका विलोम को हमेशा गलत समझती है। विलोम मल्लिका से कहता है- मेरा एक-मात्र दोष यही है कि मैं जो अनुभव करता हूँ उसे स्पष्ट कह देता हूँ। कालिदास जब उज्जयिनी जाने लगता है तब भी विलोम कहता है कि कालिदास तो राजकवि के रूप में उज्जयिनी रहेगा। इसीलिए उसके जाने से पहले मल्लिका और उसका विवाह होना जरूरी है। जिससे मल्लिका को किसी प्रकार का कोई अभाव न हो।
(4) एकांगी प्रेम: विलोम भी कालिदास की तरह एक कवि है और मल्लिका के प्रति आसक्त है। विलोम मल्लिका से एकांगी प्रेम करता है। वह इस एकतरफा प्रेम को अंत तक खींचता चला जाता है, परंतु मल्लिका की ओर से उसे उपेक्षा, उदासीनता व तिरस्कार ही प्राप्त होता है। वह कालिदास को उस तिरस्कार का एकमात्र कारण समझता है।
(5) स्पष्टवादी: विलोम बिना किसी की परवाह किए जो कुछ सोचता है, तुरन्त ही कह देता है। जब उसे पता चलता है कि कालिदास राजकीय सम्मान प्राप्त करने उज्जयिनी जा रहा है तो विलोम कालिदास से साफ सीधे शब्दों में पूछता है कि वह अकेला ही उज्जयिनी जाएगा या मल्लिका को भी ले जाएगा, क्योंकि उसी के कारण समाज में मल्लिका की बदनामी हुई है।
(6) धृष्टता: विलोम स्पष्टवादी तो है ही साथ ही साथ धृष्ट भी है। उसकी धृष्टता नाटक में कई स्थानों पर दिखाई देती है। जब वह पहली बार अम्बिका के कमरे में आता है और अम्बिका उसे चले जाने को कहती है तो वह अम्बिका से कहता है कि उसका इस समय अम्बिका के पास रहना जरूरी है।
(7) अनचाहा अतिथि: विलोम स्वयं को अनचाहा अतिथि बताता है। वास्तव में वह मल्लिका की मानसिकता के प्रसंग में ऐसा कहता है। उसे मल्लिका का प्रेम पाने की आतुरता थी, परंतु वह उसे हमेशा अनचाहे अतिथि की तरह दुत्कारती रहती है। वह एक बार कहता भी है - " अनचाहा अतिथि संभवत: फिर कभी आ पहुँचे।" परंतु वह अनचाहा अतिथि स्वयं नहीं आता बल्कि वही मल्लिका उसे बुलाकर लाती है। इस अनचाहे अतिथि ने उसे वह सब कुछ दिया जो वह वास्तव में कवि कालिदास से चाहती थी।
इस प्रकार स्पष्ट हो जाता है कि विलोम 'आषाढ़ का एक दिन' नाटक का एक ऐसा पात्र है जो यथार्थवादी, व्यवहारिक और जीवन-मूल्यों के प्रति जागरूक है। विलोम अपने साथ-साथ अन्य पात्रों को भी इस बात के लिए विवश करता है कि वे सच्चाइयों को जानने का प्रयास करे। वह कालिदास के प्रतिद्वन्दी के रूप में हमारे सामने आता है। वह कालिदास के बाहरी और आन्तरिक सत्यों को प्रकट करता है। विलोम निर्भीक, सच्चा और स्पष्टवादी है। अपने इन्हीं गुणों के कारण वह पाठकों पर अपनी छाप छोड़ता है।
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