विक्रय और विक्रय के ठहराव में अंतर - Vikray aur Vikray ke Thahrav mein Antar: विक्रय एक निष्पादित अनुबन्ध है जबकि विक्रय के ठहराव निष्पादनीय अनुबन्ध ह
विक्रय और विक्रय के ठहराव में अंतर - Vikray aur Vikray ke Thahrav mein Antar
विक्रय और विक्रय के ठहराव में अंतर: विक्रय एक निष्पादित अनुबन्ध है जबकि विक्रय के ठहराव निष्पादनीय अनुबन्ध है। विक्रय में माल का स्वामित्व अनुबन्ध होते ही क्रेता के पास चला जाता है जबकि विक्रय ठहराव की दशा में एक अवधि के पश्चात् अथवा कुछ शर्तों के पूर्ण होने पर माल का स्वामित्व विक्रेता से क्रेता के पास हस्तान्तरित होता है।
विक्रय और विक्रय के ठहराव में अंतर
आधार | विक्रय | विक्रय का ठहराव |
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परिभाषा | जब विक्रय अनुबन्ध के अनुसार माल के स्वामित्व का विक्रेता से क्रेता को हस्तान्तरण किया जाता है, तो उस अनुबन्ध को विक्रय कहते हैं। | जब माल के स्वामित्व का हस्तान्तरण भविष्य में किसी तिथि को अथवा कुछ शर्तों को पूरा करने के बाद किया जाता है, तो वह अनुबन्ध विक्रय का ठहराव कहलाता है। |
आधार | विक्रय में अनुबन्ध का निष्पादन पहले ही हो जाता है। दूसरे शब्दों में, यह एक निष्पादित अनुबन्ध है। | विक्रय के ठहराव का निष्पादन होना शेष रहता है। अतः यह निष्पादनीय अनुबन्ध है। |
माल का प्रकार | विक्रय की दशा में माल निश्चित होता है। | विक्रय ठहराव की दशा में माल अनिश्चित भी हो सकता है। |
स्वामित्व का हस्तान्तरण | विक्रय में माल का स्वामित्व अनुबन्ध होते ही क्रेता के पास चला जाता है। | विक्रय ठहराव की दशा में एक अवधि के पश्चात् अथवा कुछ शर्तों के पूर्ण होने पर माल का स्वामित्व विक्रेता से क्रेता के पास हस्तान्तरित होता है। |
मूल्य के लिए वाद | इसमें क्रेता यदि मूल्य न दे, तो विक्रेता उस पर मूल्य वसूल करने के लिए अभियोग चला सकता है। | इसमें विक्रेता केवल हर्जाने के लिए ही वाद कर सकता है। मूल्य वसूल करने के लिए वाद नहीं कर सकता। |
जोखिम | माल का विक्रय हो जाने पर माल की क्षति की जोखिम क्रेता पर होती है। | इसमें जोखिम विक्रेता पर ही रहता है। |
विक्रेता का दिवालिया होना | इसमें विक्रेता के दिवालिया होने की दशा में क्रेता राजकीय रिसीवर से माल प्राप्त कर सकता है, क्योंकि उसको स्वामित्व को हस्तान्तरण हो जाता है। | क्रेता माल पर दावा नहीं कर सकता। वह चुकाए गए मूल्य के लिए आनुपातिक अंशदान की माँग कर सकता है। |
क्रेता का दिवालिया होना | विक्रेता को माल राजकीय प्रापक को दिवालिया होना सुपुर्द करना आवश्यक है, क्योंकि माल का स्वामित्व क्रेता को हस्तान्तरित हो जाता है। | विक्रेता राजकीय प्रापक को माल सुपुर्द करने के लिए बाध्य नहीं है। चाहे क्रेता ने सम्पूर्ण मूल्य का भुगतान कर दिया हो। |
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