प्रशुल्क और अभ्यंश में अंतर: प्रशुल्क या टैरिफ़, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में लगाया जाने वाला कर है जबकि अभ्यंश, आयात कोटा है. जब कोई देश अपने आयातों पर
प्रशुल्क और अभ्यंश में अंतर - Difference between Tariff and Quota in Hindi
प्रशुल्क और अभ्यंश में अंतर: प्रशुल्क या टैरिफ़, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में लगाया जाने वाला कर है जबकि अभ्यंश, आयात कोटा है. जब कोई देश अपने आयातों पर अभ्यंश लगाता है। प्रशुल्क की दर का निर्धारण देश की संसद करती है जबकि अभ्यंश का निर्धारण विदेशी व्यापार निदेशालय द्वारा किया जाता है।
प्रशुल्क और अभ्यंश में अंतर
प्रशुल्क (Tariff) | अभ्यंश (Quota) |
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प्रशुल्क में आयात शुल्क का भुगतान करके असीमित मात्रा में आयात करने की सम्भावना बनी रहती है। | अभ्यंश द्वारा एक निश्चित मात्रा के बाद आयातों को रोक दिया जाता है। |
प्रशुल्क में आयात की मात्रा बाजार की मांग एवम् पूर्ति शक्तियों द्वारा निर्धारित होती है। | अभ्यांश में आयात की मात्रा सरकार द्वारा तय कर दी जाती है। |
प्रशुल्क तुलनात्मक रूप में कम संरक्षणात्मक होते हैं। | आयात अभ्यंश तुलनात्मक रूप से अधिक संरक्षणात्मक होते हैं। |
प्रशुल्क लगाकर सरकार को प्रत्यक्ष रूप से राजस्व मिलता है। | अभ्यांश द्वारा अतिरिक्त उत्पादित वस्तु के मूल्य में वृद्धि होने के कारण राजस्व में वृद्धि होती है। |
प्रशुल्क का अकुशल विदेशी उत्पादकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है । | अभ्यंश कुशल एवम् अकुशल दोनों प्रकार के विदेशी उत्पादकों को प्रभावित करता है। |
प्रशुल्क में घरेलू उत्पादकों को प्रतियोगिता के साथ संरक्षण दिया गया है। | अभ्यंश में प्रतियोगिता को समाप्त करके घरेलू अकुशल उत्पादकों को प्रतियोगिता से बचाने का प्रयास किया जाता है। |
प्रशुल्क या टैरिफ़, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में लगाया जाने वाला कर है | अभ्यंश, आयात कोटा है. जब कोई देश अपने आयातों पर अभ्यंश लगाता है |
प्रशुल्क की दर का निर्धारण देश की संसद करती है अतएव इसमें बार-बार परिवर्तन करना सम्भव नहीं होता। | अभ्यंश का निर्धारण विदेशी व्यापार निदेशालय द्वारा किया जाता है, अतएव आवश्यकतानुसार अनुमति पत्र दिये जा सकते हैं। |
प्रशुल्क प्रणाली में विदेशी प्रतिक्रिया द्वारा व्यापार शर्तों में सुधार होता है। | कोटा के अन्तर्गत विदेशों को मूल्य कम करके निर्यात को पूर्ववत् रखने का अवसर नहीं मिलता। |
प्रशुल्क लगाने की दशा में सरकार केवल प्रशुल्क की दर निर्धारित करती है। व्यापार कहीं से कितना ही माल आयात करने के लिए स्वतन्त्र होता है। अतः प्रशुल्क को मूल्य बाजार तन्त्र से हस्तक्षेप नहीं समझा जाता। | अभ्यंश बाजार की कार्य प्रणाली पर प्रत्यक्ष रोक लगाता है। प्रो० ऐल्सवर्क इसे ‘पूर्ण निषेध की ओर आधी मंजिल’ कहते हैं। |
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