धर्म और संप्रदाय में अंतर - Difference between Religion and Sect in Hindi
धर्म और संप्रदाय में अंतर - सामान्य अर्थों में संप्रदाय का तात्पर्य धर्म की शाखा से लगाया जाता है। जिस प्रकार एक पेड़ की कई शाखाएँ होती हैं, उसी प्रकार प्रत्येक धर्म की भी अनेक शाखाएँ होती हैं, जोकि संप्रदाय कहलाती हैं। जैसे - हिन्दू धर्म के संप्रदाय हैं - शैव संप्रदाय व वैष्णव संप्रदाय आदि, इस्लाम धर्म के प्रमुख दो संप्रदाय हैं - शिया और सुन्नी तथा ईसाई धर्म के भी प्रमुख दो सम्प्रदाय हैं - रोमन कैथोलिक तथा प्रोटोस्टेन्ट। इन दोनों के अंतर को निम्न प्रकार भी स्पष्ट किया गया है -
धर्म और संप्रदाय में अंतर
क्र.सं. | धर्म | सम्प्रदाय |
---|---|---|
1. | धर्म संस्कृति पर आधारित है। | सम्प्रदाय को धर्म की शाखाओं के रूप में जाना जाता है। |
2. | धर्म शब्द का जन्म "धृ" धातु से हुआ है, जिसका अर्थ है - धारण करना, पालन करना व आलम्बन देना। | सम्प्रदाय का जन्म धर्म से हुआ है। धर्म की शाखाओं को ही सम्प्रदाय कहा जाता है। |
3. | धर्म के अनुयायियों की संख्या अधिक होती है क्योंकि धर्म एक संगठित रूप है। | सम्प्रदाय के अनुयायियों की संख्या कम होती है क्योंकि यह शाखाओं के रूप में बंट जाता है। |
4. | धर्म संस्कृति पर आधारित है। | सम्प्रदाय धर्म पर आधारित है। |
5. | धर्म वह मानदण्ड है, जो विश्व को धारण करता है। | सम्प्रदाय धर्म द्वारा दिये गये निर्देशों को धारण करता है। |
6. | धर्म का क्षेत्र अपेक्षाकृत व्यापक है। | इसका क्षेत्र अपेक्षाकृत संकुचित है। |
7. | धर्म अपेक्षाकृत अधिक शक्तिशाली है क्योंकि यह मूल है। | सम्प्रदाय धर्म की शाखा होने के कारण अपेक्षाकृत कम शक्तिशाली है। |
8. | धर्म के सम्प्रदाय अनेक हो सकते हैं। | एक सम्प्रदाय का धर्म के रूप में कोई भाग नहीं हो सकता है। |