आवृतबीजी पौधे के बीजाण्ड की संरचना तथा भ्रूण के विकास का वर्णन कीजिए: बीजाण्ड एक छोटी-सी संरचना है, जो बीजाण्डवृन्त (Funicle or funiculus) द्वारा बीजा
आवृतबीजी पौधे के बीजाण्ड की संरचना तथा भ्रूण के विकास का वर्णन कीजिए
बीजाण्ड की संरचना (Structure of Ovule) – बीजाण्ड एक छोटी-सी संरचना है, जो बीजाण्डवृन्त (Funicle or funiculus) द्वारा बीजाण्डासन से जुड़ी रहती है। बीजाण्ड का वह भाग, जिससे बीजाण्डवृन्त जुड़ा होता है, नाभिक (Hilum) कहलाता है। बीजाण्ड के भीतर का अधिकांश भाग, जो मृदूतकीय कोशिकाओं (Parenchymatous cells) का बना होता है, बीजाण्डकाय (Nucellus) कहलाता है।
बीजाण्डकाय एक या दो आवरणों से ढका होता है, जिन्हें अध्यावरण (Integuments) कहते हैं । यह अध्यावरण बीजाण्ड को एक छोटे से रन्ध्र को छोड़कर चारों ओर से घेरे रहता है, इस रन्ध्र को बीजाण्डद्वार (Micro Pyle) कहते हैं। बीजाण्डद्वार सिरे के ठीक विपरीत स्थित भाग निभाग (Chalaza ) होता है। बीजाण्डकाय के मध्य में एक थैलीनुमा संरचना भ्रूणकोष (Embryo sac) उपस्थित होती है, इसे मादा युग्मकोद्भिद (Female gametophyte ) भी कहते हैं।
बीजाण्ड से सम्बन्धित कुछ अन्य संरचनाएँ (Some Other Structures Related with Ovule)
- अन्तःचूचुक या अन्तः कला (Endothelium)
- बीजचोलक (Caruncle)
- हाइपोस्टैस (Hypostase)
- एरिल (Aril)
(i) अन्तःचूचुक या अन्तः कला (Endothelium)— कुछ एक अध्यावरणी बीजाण्ड में बीजाण्डकाय जल्दी ही नष्ट हो जाता है। तथा अन्तः अध्यावरण की कोशिकाएँ मण्ड व वसा युक्त जाती हैं। इस विशिष्ट कोशिकाओं के स्तर को अन्तः कला कहते हैं।
(ii) बीजचोलक (Caruncle)— यह यूफोर्बिएसी (Euphorbiaceae) कुल के अरण्डी (Recanus communis) के बीजाण्ड के एक सिरे पर उपस्थित उभार हैं जिसका निर्माण बीजाण्डद्वार की तरफ स्थित बाह्य अध्यावरण की कोशिकाओं के प्रसार द्वारा होता है। इसका कार्य बीज अंकुरण के समय जल का अवशोषण करना होता है ।
(iii) हाइपोस्टैस (Hypostase)— भ्रूणकोष के नीचे बीजाण्डकाय में लिग्निनयुक्त कोशिकाओं का समूह हाइपोस्टैस कहलाता है। यह जल का सन्तुलन बनाकर भ्रूणकोष को सिकुड़ने से बचाता है। यह एमेरीलिडेसी, लिलिएसी, यूफोर्गिएसी तथा जिन्जीओसी कुल में पाया जाता है।
(iv) एरिल (Aril)— कुछ बीजाण्डों में एक कॉलरनुमा अतिवृद्धि (Outgrowth) पाई जाती है, जो एक तीसरा आवरण बनाती है, जिसे एरिल कहते हैं। यह बीजाण्ड के आधार पर उत्पन्न होती है; उदाहरण- लीची, जायफल, एस्फोडेलस आदि ।
आवृतबीजी पौधे के भ्रूणकोष के विकास की प्रक्रिया
आवृतबीजी पौधे के भ्रूणकोष के निर्माण की प्रक्रिया में बीजाण्डकाय की अधोस्तरीय (Hypodermal) कोशिका आकार में बड़ी होकर अन्य कोशिकाओं से भिन्न हो जाती है, जिसे प्राथमिक प्रप्रसु कोशिका (Primary archesporial cell) कहते हैं। इस कोशिका का कोशिकाद्रव्य सघन एवं केन्द्रक अधिक स्पष्ट होता है, जो परिनत (Periclinal) विभाजन करके बाहर की ओर प्रारम्भिक भित्तीय कोशिका (Primary parietal cell) तथा अन्दर की ओर गुरुबीजाणुजनन कोशिका का निर्माण करता है। अब गुरुबीजाणु मातृ कोशिका द्वारा चार अगुणित गुरुबीजाणु कोशिकाएँ (Megaspore cells) बनती है। इसमें से सबसे नीचे की कोशिका आकार में बड़ी होकर सक्रिय गुरुबीजाणु कोशिका बनाती है, शेष तीनों कोशिकाएँ नष्ट हो जाती हैं। यह सक्रिय गुरुबीजाणु कोशिका परिवर्धन के उपरान्त भ्रूणकोष या मादा युग्मकोद्भिद् (Female gametophyte) का निर्माण करती है।
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