जैव विविधता की परिभाषा महत्व एवं संरक्षण समझाइए। जैव विविधता को जैव + विविधता नामक दो शब्दों से लिया गया है, जैव विविधता का तात्पर्य जीवित प्राणियों
जैव विविधता की परिभाषा महत्व एवं संरक्षण समझाइए।
जैव विविधता (Biodiversity ) : जैव विविधता जीवों का मिश्रण है। किसी स्थान की जैव विविधता में अनेकों प्रकार (प्रजातियाँ) के पौधे, जीव-जन्तु सूक्ष्म जीव आदि पाये जाते हैं। जितने जीव उतनी विभिन्नताएँ एवं उतने उनके आनुवंशिक लक्षण होते है। जैव विविधता पारिस्थितिकी का खाद्य जाल निर्मित करता है।
जैव विविधता को जैव + विविधता नामक दो शब्दों से लिया गया है, जहाँ जैव शब्द का अर्थ पेड़, पौधे, मनुष्य, कीट, कीट इत्यादि है और विविधता का अर्थ है विभिन्नता। सरल शब्दों में, हम कह सकते हैं कि "जैव विविधता का तात्पर्य जीवित प्राणियों में पाए जाने वाले अंतरों से है"।
1985 में डब्ल्यू जी रोसेन द्वारा जैव विविधता शब्द पहली बार गढ़ा गया था। हालांकि अमेरिकी जैव विविधता फोरम में 1986 में वैज्ञानिक विल्सन द्वारा इस शब्द की अवधारणा की गई थी।
वन्य जीव (Wild animal) : जब हम वन्य जीव की बात करते हैं, तो हम स्तनधारी, पक्षी, मत्स्य, मेढक, जीवाणु, विषाणु आ की बात करते हैं, जो जैव विविधता में समाहित हैं।
जैव विविधता का महत्व - Importance of Biodiversity in Hindi
(i) भोजन के स्रोत - हरे पादप भोजन के प्रमुख स्रोत हैं। अनेक जीव, जैसे - मछली, झींगा आदि का प्रयोग भोजन के रूप में होता है। जन्तुओं से हमें दूध, अण्डा, माँस प्राप्त होता है।
(ii) आय का स्रोत - वन संसाधन केन्द्र व राज्य सरकार दोनों के लिए पर्याप्त आय का स्रोत हैं।
(iii) पर्यावरण सन्तुलन - वन पर्यावरणीय सन्तुलन को स्थापित करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये प्रदूषण को कम करते हैं तथा जैव-विविधता बनाए रखते हैं।
(iv) विभिन्न प्रकार के तेल एवं औषधियों की आपूर्ति- चन्दन, नीम, महुआ, आदि तेलों के उत्पादन में वनों का काफी महत्त्व है। इनमें हमें अनेक लाभदायक औषधियाँ भी प्राप्त होती हैं।
(v) ऑक्सीजन की पूर्ति - हरे पादप प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया के द्वारा समस्त जीवों हेतु प्राणदायक ऑक्सीजन का निर्माण करते हैं।
(vi) घरेलू उपयोग के वस्तुओं की प्राप्ति - प्रकृति हमें दैनिक जीवन की उपयोगी वस्तुएँ व पशुओं के लिए, ईंधन आदि प्रदान करती हैं।
(vii) उद्योगों हेतु कच्चा माल - वनों से उद्योगों हेतु कच्चा माल, जैसे - कागज, रबर, कत्था, माचिस, तारपीन का तेल आदि प्राप्त होते हैं।
अतः जैव विविधता पारितंत्र एवं जीवमण्डल के संतुलन को बनाए रखने का सर्वोत्तम साधन है
जैव विविधता संरक्षण की विधियां
- स्व-स्थाने संरक्षण (In-situ conservation)
- बाह्य स्थाने संरक्षण (Ex-situ conservation)
(1) स्व-स्थाने संरक्षण (In-situ conservation)- स्वस्थाने संरक्षण के अंतर्गत विभिन्न जीव जातियों को उनके प्राकृतिक आवास से संरक्षण प्रदान किया जाता है, जैसे- वनों, चरागाहों तथा मैदानों में ही संरक्षण प्रदान किया जाता है। इस संरक्षण में इस प्रकार के उपाय किए जाते हैं कि जीवों को वे सभी सुविधाएं प्रदान की जाए, जिससे वे बिना संघर्ष किए अपनी संख्या को बढ़ा सके। स्वस्थाने संरक्षण जैव-विविधता को बचाए रखने की सबसे अच्छी विधि है। स्व-स्थाने संरक्षण के अन्तर्गत निम्न विधियां हैं-
- राष्ट्रीय उद्यान
- वन्यजीवी अभयारण्य
- जैव मंडल
- पवित्र वन
- जैव संवेदी क्षेत्र
- अन्तः स्थलीय आर्द्रभूमि ।
(2) बाह्य स्थाने संरक्षण (Ex-situ conservation)— इसके अंतर्गत, संकटग्रस्त पादपों व जन्तुओं को उनके प्राकृतिक आवास से अलग विशेष स्थान पर सावधानीपूर्वक संरक्षित किया जाता है। इसके अंतर्गत निम्न विधियां शामिल हैं-
- चिड़ियाघर
- वनस्पति उद्यान
- जीन बैंक
- बीज बैंक
- निम्नतापीय संरक्षण
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