अगुणित और द्विगुणित लिंग निर्धारण क्या है? मधुमक्खी में लिंग निर्धारण की क्रियाविधि को समझाइए— माता एवं पिता के गुणसूत्रों के आधार पर सन्तान के लिंग क
अगुणित और द्विगुणित लिंग निर्धारण क्या है? मधुमक्खी में लिंग निर्धारण की क्रियाविधि को समझाइए।
लिंग निर्धारण (Sex - determination)— माता एवं पिता के गुणसूत्रों के आधार पर सन्तान के लिंग का पता लगाना लिंग निर्धारण कहलाता है। इस विधि में पिता का गुणसूत्र अधिक महत्वपूर्ण होता है।
मनुष्य में गुणसूत्रों की संख्या 46 होती हैं, जो स्त्री एवं पुरुष में सामान्य होती हैं। 23 जोड़ी गुणसूत्रों में 22 जोड़ी गुणसूत्र समजात (समान) ऑटोसोम्स कहलाते हैं तथा एक जोड़ी गुणसूत्र (पुरुष) में भिन्न होता है, जिसे लिंग गुणसूत्र कहा जाता है। हालांकि स्त्री में लिंग गुणसूत्र ऑटोसोम्स के ही समरूप होता है । अतः (22 जोड़ी + एक जोड़ी XX लिंग गुणसूत्र स्त्री ) तथा : ( 22 जोड़ी + एक जोड़ी XY लिंग गुणसूत्र पुरुष ) में होता है।
माता-पिता से संतान को कौन-सा लिंग गुणसूत्र प्राप्त होगा, यह लैंगिक जनन की प्रक्रिया पर निर्भर करता है। मादा में युग्मक जनन क्रिया में अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा निर्मित अण्डाणु में X-गुणसूत्र तथा पुरुषों में शुक्राणुओं में 50% X - गुणसूत्र तथा 50% Y-गुणसूत्र की संभावना होती है। इस प्रकार शुक्राणु में [22 A + Y] तथा [22 A + X] गुणसूत्रों की संख्या होती है। अब निषेचन के समय यदि शुक्राणु [22 A + Y] मादा अण्डाणु से निषेचित होता है, तो पुत्र एवं यदि शुक्राणु [22 A+ X ] मादा अण्डाणु से निषेचित होता है, तो पुत्री का जन्म होता है । इस प्रक्रिया को लिंग निर्धारण कहा जाता है। अतः हम कह सकते हैं कि लिंग निर्धारण अर्थात् पुत्र या पुत्री का जन्म, पुरुष लिंग गुणसूत्रों पर निर्भर करता है न कि मादा गुणसूत्र पर अतः समाज में पुत्री पैदा होने पर स्त्रियों को दोष देना उचित नहीं है।
मधुमक्खियों में लिंग निर्धारण - मधु मक्खियों में लिंग निर्धारण मधुप ड्रोन द्वारा प्राप्त क्रोमोसोम की समुच्चय संख्या पर आधारित होती है। रानी मधुमक्खी का निर्माण शुक्राणु एवं अण्डाणु के निषेचन के फलस्वरूप होता है तथा नर मधुप ( नर - ड्रोन) का निर्माण अनिषेचित अण्डे से होता है। मादा द्विगुणित होती है, जिसमें गुणसूत्रों की संख्या 32 होती है, एवं नर अगुणित होता है, जिसमें गुणसूत्रों की संख्या 16 होती हैं। इस प्रकार लिंग निर्धारण की इस प्रणाली को अगुणित- द्विगुणित लिंग निर्धारण प्रणाली कहा जाता है। नर में समसूत्री विभाजन द्वारा शुक्राणु का निर्माण होता है। यह विधि मधु मक्खियों के अतिरिक्त, ततैया, चींटियाँ, दीमक आदि में भी पायी जाती है।
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