स्वतंत्रता के पश्चात् भारत में शारीरिक शिक्षा एवं खेल के विकास की विवेचना कीजिए: स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में शारीरिक शिक्षा एवं खेल के क्षेत्र
स्वतंत्रता के पश्चात् भारत में शारीरिक शिक्षा एवं खेल के विकास की विवेचना कीजिए।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में शारीरिक शिक्षा एवं खेल के क्षेत्र में बड़ी तेजी से महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए। शारीरिक शिक्षा, खेल एवं मनोरंजन के विकास हेतु भारत सरकार ने भी अनेक योजनाएँ आरम्भ कीं । स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद शारीरिक शिक्षा, खेल एवं मनोरंजन के क्षेत्र में हुए बदलाव, घटनाओं व प्रयासों को वर्षवार निम्न क्रमानुसार देखा जा सकता है -
सन् 1948: भारत सरकार द्वारा ताराचन्द्र कमेटी का गठन किया गया जिसने शारीरिक- शिक्षा एवं खेल के विकास हेतु संस्तुतियाँ दीं। इसमें केन्द्रीय शारीरिक शिक्षा व मनोरंजन संस्थान की स्थापना का प्रस्ताव मुख्य था ।
सन् 1950: भारत सरकार को शारीरिक शिक्षा से जुड़े विषयों पर परामर्श देने हेतु केन्द्रीय सलाहकार परिषद् का गठन किया गया।
सन् 1951: नई दिल्ली में प्रथम एशियाई खेल आयोजित किये गये जिससे भारतीय युवा खेलों में भाग लेने हेतु प्रेरित व आकर्षित हुए। इन खेलों के जन्म में भारत की अग्रणी भूमिका थी ।
सन् 1953:तत्कालीन भारतीय स्वास्थ्य मंत्री राजकुमारी अमृत कौर ने भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तत्वावधान में खेलों के लिए कोचिंग स्कीम प्रारम्भ की। इसका मुख्य उद्देश्य उदीयमान खिलाड़ियों को उचित खेल प्रशिक्षण देना था। उस समय व्यावहारिक रूप से योग्य प्रशिक्षक नहीं थे अतः प्रशिक्षण का कार्य तत्कालीन महान खिलाड़ियों द्वारा किया गया। कुछ विदेशी कोचों की सेवायें भी अनुबंध के तौर पर की गयीं । स्थायी प्रशिक्षण केन्द्र न होने से विभिन्न स्थानों पर शिविर लगाये जाते थे। इस योजना का नाम राजकुमारी अमृत कौर स्पोर्ट्स कोचिंग स्कीम था ।
सन् 1954: विभिन्न राष्ट्रीय खेल संघों व सरकार के बीच समन्वय स्थापित करने हेतु अखिल भारतीय खेल परिषद् की स्थापना हुई। राज्य तथा जिला स्तर पर भी खेल संघों की इकाइयों का गठन प्रारम्भ किया गया । यह परिषद् सरकार के माध्यम से विभिन्न खेलों के संघों की सहायता उपलब्ध कराती है।
सन् 1956: केन्द्रीय सलाहकार परिषद् के देश में स्वदेशी व परम्परागत खेलों के विकास हेतु व लोकप्रिय बनाने हेतु राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा व मनोरंजन योजना बनायी गयी । सन् 1956-57 खेलों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले विश्वविद्यालय के लिए मौलाना अबुल कलाम आजाद ट्राफी प्रारम्भ की गयी। मौलाना अबुल कलाम आजाद स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षामंत्री थे।
सन् 1957: भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा शारीरिक शिक्षा में तीन वर्षीय डिग्री कोर्स प्रारम्भ करने हेतु ग्वालियर (म.प्र.) में लक्ष्मीबाई कॉलेज ऑफ फिजिकल एजूकेशन की स्थापना की गयी, बाद में इसी में शारीरिक शिक्षा में दो वर्षीय स्नातकोत्तर कोर्स भी शुरू किया गया। इसके पश्चात् इस कालेज के स्तर को बढ़ाते हुए इसका नाम लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा महाविद्यालय कर दिया गया। फिर 1995 ई. में इस महाविद्यालय को विश्वविद्यालय का दर्जा (डीम्ड यूनिवर्सिटी) दे दिया गया तथा इसका नाम लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान कर दिया गया।
इस संस्थान की स्थापना 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की महानायिका झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के नाम पर की गयी थी । वर्तमान में इस संस्थान में शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में स्नातक, स्नातकोत्तर, एम. फिल., पी.एच डी., कोचिंग डिप्लोमा आदि कोर्स संचालित किये जा रहे हैं जिसमें देश-विदेश के छात्र-छात्राएँ अध्ययन हेतु प्रवेश लेते हैं।
सन् 1958: देश में शारीरिक शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए शिक्षा मन्त्रालय द्वारा खेल एवं युवा कल्याण विभाग प्रारम्भ किया गया ।
सन् 1959: शिक्षा मंत्रालय द्वारा विभिन्न राज्यों के शैक्षणिक संस्थाओं में शारीरिक शिक्षा एवं खेल का स्तर व सुविधाओं के मूल्यांकन करने के लिए तदर्थ समिति का गठन किया गया। भारतीय लोगों का शारीरिक स्वस्थता स्तर देखने के लिए राष्ट्रीय शारीरिक योग्यता अभियान पुरुष, महिला, लड़कों व लड़कियों के लिए चलाया गया जोकि शिक्षा मन्त्रालय द्वारा प्रायोजित था ।
सन् 1961: देश में श्रेष्ठ प्रशिक्षक तैयार करने के लिए एडहॉक इन्क्वायरी कमेटी की संस्तुति पर मोतीबाग पटियाला में नेताजी सुभाष राष्ट्रीय खेल संस्थान की स्थापना की गयी । इसका मुख्य उद्देश्य खेल के कुशल तकनीकी विशेषज्ञ व कोच तैयार करना है। बाद में बंगलौर, कोलकाता व गांधीनगर में भी इस केन्द्र की शाखाएँ खोली गयी।
खेल में लगातार श्रेष्ठ प्रदर्शन कर देश के लिए सम्मान अर्जित करने वाले खिलाड़ियों के लिए अर्जुन पुरस्कार प्रारम्भ किया गया।
सन् 1961: अर्जुन पुरस्कार प्रतिवर्ष 29 अगस्त, जोकि महानतम भारतीय हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचन्द्र का जन्मदिन है, को भारतीय राष्ट्रपति द्वारा वितरित किये जाते हैं। 29 अगस्त राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
सन् 1965- नेशनल फिटनेस कोर का गठन हुआ जिसने शारीरिक शिक्षा अध्यापकों के मार्ग निर्देशन हेतु शारीरिक शिक्षा व खेल की निर्देशिका का निर्माण किया ।
सन् 1971 राष्ट्रीय ग्रामीण खेल प्रारम्भ किये गये जिसका प्रमुख उद्देश्य गाँवों में खेलों का विकास व ग्रामीण प्रतिभाओं को सामने लाना था तथा उन्हें छात्रवृत्ति देने की योजना थी ।
इसी वर्ष राष्ट्रीय प्रतिभा खोज योजना प्रारम्भ की गयी जिसका प्रमुख उद्देश्य छिपी हुई खेल प्रतिभाओं को सामने लाना था। इस योजना के अन्तर्गत राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर चयनित खिलाड़ी को छात्रवृत्ति देने का प्रावधान था ।
सन् 1973 - विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नयी दिल्ली द्वारा स्नातक स्तर पर शारीरिक शिक्षा को वैकल्पिक विषय के रूप में चलाने का आदेश दिया जो केवल इच्छुक विश्वविद्यालयों हेतु था ।
सन् 2006 - भारतीय ओलम्पिक संघ ने भारत सरकार के सहयोग से 2010 के राष्ट्रमण्डल खेल दिल्ली में आयोजित करने का अधिकार प्राप्त किया ।
वर्तमान में इण्डियन ओलम्पिक एसोसिएशन पहले एफ्रो एशियाई खेल भारत में करवाने हेतु प्रयासरत है जोकि देश में खेलों को एक नयी गति व दिशा प्रदान करेगा।
COMMENTS