रचनात्मक आंकलन की परिभाषा और विशेषताएं (Formative Assessment in Hindi) रचनात्मक आंकलन को प्रारंभिक आंकलन भी कहते हैं। यह एक ऐसा उपकरण है जो शिक्षक द्व
रचनात्मक आंकलन की परिभाषा और विशेषताएं (Formative Assessment in Hindi)
रचनात्मक आंकलन की परिभाषा: रचनात्मक आंकलन को प्रारंभिक आंकलन भी कहते हैं। यह एक ऐसा उपकरण है जो शिक्षक द्वारा विद्यार्थी की नियमित प्रगति देखने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। यदि रचनात्मक आंकलन का अच्छी तरह प्रयोग किया जाय तो छात्र की उपलब्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उसकी उपलब्धि में लगातार वृद्धि होती जाती है, जिससे उसके आत्म सम्मान में वृद्धि होती है। रचनात्मक आंकलन की दो प्रमुख विशेषताएँ होती हैं :
कारणों का पता लगाना ( Diagnostic): बच्चा जब विद्यालय में प्रवेश लेता है तो वह बहुत कुछ अपने साथ लेकर आता है । शिक्षक को यह पता लगाना होता है बच्चे में क्या- क्या विशेषताएँ हैं, उसे किस विधि से अधिगम कराया जाय । यहाँ पर शिक्षक की भूमिका एक डाक्टर की तरह होती है इसे एक उदहारण से समझते हैं । करन कक्षा 5 का विद्यार्थी है । वह पढाई में सामान्य बच्चा है । उसे गणित विषय में परेशानी होती है। अब शिक्षक को उसकी इस कमजोरी के कारणों का पता लगाना है तो वह कई तरह की निदानात्मक परीक्षाएं लेता है। जैसे कोई मरीज डाक्टर के पास जाता है तो डाक्टर मरीज के कई टेस्ट करता है ताकि सही बीमारी का पता चल सके। शिक्षक भी कई तरह के टेस्ट लेकर छात्र की कमजोरी का पता करता है। ये टेस्ट मौखिक या लिखित हो सकते हैं। इस प्रकार शिक्षक पता लगा लेता है कि करन को गणित विषय में अभ्यास की कमी है घर पर भी उसके माता-पिता कम पढ़े लिखे हैं इसलिए वह गणित विषय में अधिक ध्यान नहीं दे पता है और इस कारण उसका उपलब्धि स्तर कम होते जाता है।
उपचारात्मक (Remedial): जिस प्रकार एक डाक्टर मरीज की बीमारी पता चलने पर इलाज शुरू कर देता है। ठीक उसी प्रकार एक शिक्षक भी छात्र की कमजोरी पता करके विभिन्न विधियों की सहायता से उसका इलाज शुरू कर देता है। जैसे- शिक्षक करन को गणित विषय में बहुत अभ्यास करने को कहता है और करन का उचित मार्गदर्शन करता है तो बहुत हद तक करन की समस्या का समाधान हो जाता है। करन न्यूनतम अधिगम स्तर तक तो कर ही लेता है। इस प्रकार शिक्षक की भूमिका एक डाक्टर की तरह होती है।
कारणों का पता लगने के पश्चात शिक्षक उपचार करता है, जिससे उसे विद्यार्थियों का पृष्ठपोषण (Feedback) मिलता रहता है और छात्र अधिगम के समय सक्रिय भागीदारी निभाते हैं । रचनात्मक आंकलन को विद्यालयों में सख्ती से लागू किया जाता है। यह सिर्फ पेपर- पेंसिल तक ही सीमित नही है वरन इसमें दूसरे तरह की परीक्षा भी शामिल है। जैसे- क्विज, साक्षात्कार, मौखिक, दृश्य, प्रोजेक्ट, सत्रीय कार्य, प्रयोग कार्य, बातचीत, निबंध लेखन, वाद-विवाद प्रतियोगिता, आदि शामिल है।
रचनात्मक आकलन की विशेषताएं (Characteristics of Formative Assessment in Hindi)
- रचनात्मक आकलन नैदानिक और सुधारात्मक है।
- रचनात्मक आकलन वह प्रभावी प्रतिक्रिया के लिए प्रावधान करता है ।
- रचनात्मक आकलन छात्रों के स्वयं सीखने में उनकी सक्रिय भागीदारी के लिए मंच प्रदान करता है ।
- वह शिक्षकों को आकलन के नतीजों को ध्यान में रखते हुए अध्यापन को समायोजित करने में सक्षम करता है।
- वह उस अगाध प्रभाव की पहचान करता है जो आकलन छात्रों की प्रेरणा और आत्म-सम्मान, जिनके सीखने की प्रक्रिया पर महत्वपूर्ण प्रभाव होते हैं, पर डलता है।
- वह छात्रों की स्वयं का आकलन करने और सुधार करने के तरीके को समझने में सक्षम होने की जरूरत की पहचान करता है।
- वह जो कुछ पढ़ाया जाना है उसकी परिकल्पना के लिए छात्रों के पूर्व ज्ञान और अनुभव की नींव पर विकसित होता है।
- कैसे और क्या पढ़ाया जाना है यह तय करने के लिए सीखने की विभिन्न शैलियों को समाविष्ट करता है।
- छात्रों को वे मापदंड समझने को प्रोत्साहित करता है जिनका उपयोग उनके काम को परखने के लिए किया जाता है।
- छात्रों को प्रतिक्रिया के बाद उनके काम को सुधारने का अवसर प्रदान करता
- छात्रों की उनके समकक्षों की सहायता करने, और उनके द्वारा सहायता किए जाने में मदद करता है।
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