महाराणा प्रताप से शक्ति सिंह की अनबन क्यों हुई?
शक्ति सिंह सिसोदिया, जिन्हें शक्ति तथा सगत नामों से भी जाना जाता था, राणा उदय सिंह द्वितीय तथा रानी सज्जा बाई सोलंकिनी के पुत्र तथा महाराणा प्रताप के छोटे भाई थे। अपने पिता से शत्रुतापूर्ण सम्बन्धों के कारण शक्ति सिंह ने मुग़ल शासक अकबर के पाले में चले गये तो इसी कारण महाराणा प्रताप से शक्ति सिंह की अनबन हुई। बाद में अकबर ने उन्हें "मीर" की उपाधि प्रदान की गयी।
१५६७ ईस्वी में जब अकबर ने शक्ति सिंह को चित्तौड़गढ़ पर कब्जा करने की अपनी योजना के बारे में बताया और उन्हें मेवाड़ की राजगद्दी की पेशकश की, इस उम्मीद में कि अगर शक्ति सिंह की ताजपोशी हुई मेवाड़ के लोग अकबर का विरोध नहीं करेंगे, तो वह आधी रात को अपने पिता को अकबर की योजना के बारे में सूचित करने के लिए धौलपुर से भाग गया। जिससे अकबर बहुत नाराज हो गया।
1576 में हल्दीघाटी के युद्ध में शक्ति सिंह अपने भाई महाराणा प्रताप के पक्ष में शामिल हो गए। शक्ति सिंह के 17 में से 11 पुत्र अपने देश मेवाड़ के लिए बाद में महाराणा अमर सिंह प्रथम के नेतृत्व में मुगलों के खिलाफ लड़ते हुए शहीद हो गए। शक्ति सिंह के वंशज शक्तवत नाम से जाने जाते हैं।