उसकी माँ कहानी का सारांश - Uski Maa Summary in Hindi: यह कहानी स्वाधीनता संग्राम से प्रेरित कहानी है। लेखक ने देश को आज़ाद कराने के लिए कुछ युवकों द्व
उसकी माँ कहानी का सारांश - Uski Maa Summary in Hindi
उसकी माँ कहानी का सारांश: यह कहानी स्वाधीनता संग्राम से प्रेरित कहानी है। लेखक ने देश को आज़ाद कराने के लिए कुछ युवकों द्वारा दिए गए बलिदान का उसकी माँ कहानी में मर्मस्पर्शी चित्रण किया है। एक दिन दोपहर के समय लेखक आराम करने के बाद कुछ पढ़ने के विचार से पुस्तकालय जाता है तभी शहर का पुलिस सुपरिटेंडेंट उससे मिलने आता है। उसके अचानक आने से लेखक घबरा जाता है। पुलिस सुपरिटेंडेंट उसे लाल की फोटो दिखा कर, लाल के विषय में पूछताछ करता है। लेखक बताता है कि वह उसके मैनेजर रामनाथ का पुत्र है और रामनाथ की मृत्यु हो चुकी है। लाल कॉलेज में पढ़ता हे और अपनी बूढ़ी माँ के साथ एक दो मंजिले मकान में रहता है। उनका खर्च लेखक के पास रखी उसके पिता की जमापूँजी से चलता है। पुलिस सुपरिटेंडेंट लेखक को लाल से सावधान रहने को कह कर चला जाता है।
लेखक लाल की माँ को बताता है कि वह लाल को समझा दे कि लाल क्रांतिकारियों से दूर रहे अन्यथा उसे दंड भोगना पड़ेगा। तभी लाल अपनी माँ को बुलाने आता है तो लेखक उसे समझाने की कोशिश करता है कि वह ब्रिटिश सरकार के विरूद्ध षड्यंत्र करना छोड़ दे। लाल उसके साथ तर्क-वितर्क करता है। वह कहता है कि वह देश को पराधीन नहीं देख सकता और देश को स्वतंत्र कराने के लिए कुछ भी कर सकता है। जो राष्ट्र किसी अन्य राष्ट्र के नागरिकों की स्वतंत्रता का दमन करता है ऐसे दुष्ट राष्ट्र (ब्रिटिश सरकार) के सर्वनाश में वह अपने योगदान चाहता है।
एक दिन लेखक घर आता है तो अपनी पत्नी को लाल की माँ से बात करते देखता है। वह लाल की माँ से लाल के मित्रों के विषय में पूछता है। वह बताती है कि लाल के सभी मित्र मस्त एवं हँसोड़ तथा जिंदादिल है। वे सभी उसे भारतमाता कहते हैं और खूब बहस करते हैं। लेखक ने पूछा कि क्या वे लड़ने-झगड़ने, गोली, बंदूक की बातें करते हैं तो वह सरलता से कहती है कि उनकी बातों का कोई मतलब थोड़े ही होता है।
एक दिन चार-पाँच दिन बाहर रहने के बाद लेखक घर आता है तो लाल के घर में उसे सन्नाटा-सा दिखाई देता है। उसकी पत्नी उदास मुख से उसे बताती हैं कि लाल की माँ पर भयंकर विपत्ति आ गई है। पुलिस ने उसके घर की तलाशी में पिस्तौलें, कारतूस और कुछ पत्र ढूँढ निकाले थे। उन पर हत्या, षड्यंत्र और सरकारी राज्य उलटने के आरोप लगाए गए और उन पर मुकदमा चलाया गया। सरकार के डर से कोई वकील उनकी पैरवी के लिए नहीं आया। मुकदमा लगभग एक वर्ष तक चला। लाल की माँ ने घर का सामान बेचकर एक-एक वकील को उनकी पैरवी के लिए तैयार किया। वह लाल और उसके साथियों को दोषी नहीं मानती थी। वह समझती थी। कि यह पुलिस की चालबाजी है। वह उसे बचाने को निरंतर दौड़धूप करती रही। इस कारण उसका शरीर अत्यंत कमजोर हो गया था, किन्तु उसके सारे प्रयत्न एकदम व्यर्थ हो गए। अदालत ने लाल, बंगड़ और उसके दो साथियों को फाँसी तथा अन्य दस लड़कों को सात वर्ष की कड़ी सज़ा सुनाई।
जब से लाल और उसके साथी पकड़े गए थे, तक से शहर या मुहल्ले के सभी आदमी लाल की माँ से मिलने से डरते थे, क्योंकि वह एक विद्रोही की माँ थी। एक दिन लेखक अपने पुस्तकालय में मेज़िनी की कोई पुस्तक देख रहा था, जिस पर लाल के हस्ताक्षर थे। वह पुलिस सुपरिटेंडेंट की चेतावनी को याद कर रबर से उसे मिटाने की वाला था कि लाल की माँ एक पत्र लेकर उसके पास आई। वह लाल का पत्र पढ़कर सुनाता है। पत्र में लाल ने स्वयं और अपने साथियों के साथ मृत्यु के बाद माँ से मिलने की बात की थी। लाल की माँ पत्र लेकर चुपचाप चली जाती है, किंतु लेखक बेचैन हो जाता है। वह सो नहीं पाता। उसे लगता है कि लाल की माँ कराह रही है। वह लाल की माँ की खोज-खबर लेने के लिए नौकर को भेजता है। नौकर आकर बताता है कि वह हाथ में पत्र लिए घर के दरवाजे पर पाँव पसारे मृत पड़ी है।
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