मानाथ का चरित्र चित्रण - Ramanath ka Charitra Chitran: रमानाथ मध्यम वर्ग का टाइप चरित्र है। वह अपने समूचे वर्ग का प्रतिनिधि है। रमानाथ अपनी बाल्यावस्थ
रमानाथ का चरित्र चित्रण - Ramanath ka Charitra Chitran
रमानाथ का चरित्र चित्रण - रमानाथ मध्यम वर्ग का टाइप चरित्र है। वह अपने समूचे वर्ग का प्रतिनिधि है। रमानाथ अपनी बाल्यावस्था से ही परिस्थिति का दास होना स्वीकार करता है। उसमें इतना दिखावा और विडम्बना है कि वह अपनी पत्नी से भी घर की असल हालत छिपाता और अपने धनी होने की डींग हाँकता है। इसी कारण वह हैसियत से बढ़कर खर्च करता है, रिश्वत लेता है, गहने कर्ज के रूप में लेता है, और गबन के आरोप में फँसकर लज्जा के मारे घर से भाग जाता है। न चाहते हुए भी पुलिस का मुखबिर बन जाता है। रिश्वत, झूठ, मर्यादा बनाए रखने के लिए दाँव-घात - ये सब रमा के चरित्र की विशेषताएँ हैं जो संपत्ति की पूजा करने वाले समाज में पैदा हुई हैं। परिस्थितियाँ उसे गहरे खड्डे की ओर घसीटती ले जा रही थीं, जिसे वह स्वयं अनुभव कर रहा था लेकिन उसमें वह साहस, दिलेरी, परिस्थितियों की विजय–कामना ही नहीं थी जो मनुष्य के जीवन का आभूषण है। फिर भी वह दोषों ही दोषों का भण्डार नहीं है। कहीं इंसानियत के अंकुर उसके हृदय में दबे पड़े हैं। जालपा की फटकार सुनकर अपना बयान वापस लेने का निश्चय कर लेता है। उसके चरित्र में काफी परिवर्तन होता है।
जब नदी में एक स्त्री अपनी बच्ची को लिए हुए डूबती दिखाई देती है, तब रमा एक बार फिर अपनी कायरता का परिचय देता है। 'जोहरा' कूदने को तैयार होती है, तब वह लजाकर कहता है- "जाने को मैं तैयार हूँ, लेकिन वहाँ तक पहुँच भी सकूँगा, इसमें संदेह है। जब जोहरा डूबने लगती है तो रमा भी पानी में कूदता है और ज़ोर-ज़ोर से पुकारने लगा - जोहरा ! जोहरा मैं आता हूँ। किनारे पर जालपा खड़ी हाय-हाय कर रही थी। यहाँ तक कि वह भी पानी में कूद पड़ी। रमा आगे न बढ़ सका। एक शक्ति आगे खींचती थी, एक पीछे। आगे की शक्ति में अनुराग था, निराशा थी, बलिदान था। पीछे की शक्ति में कर्तव्य था, स्नेह था, बन्धन था। बन्धन ने रोक लिया। वह लौट पड़ा।
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