हिंदी उपन्यास में कितने प्रकार के पात्र होते हैं ?
हिंदी उपन्यास में पात्रों के प्रकार
हिंदी उपन्यास में पात्रों का दो प्रकार से वर्गीकरण किया जाता है- (१) कथानक की दृष्टिसे, (२) चरित्र-चित्रण की दृष्टि से।
(1) कथानक की दृष्टिसे
- प्रधान पात्र
- नायक - नायिका
- प्रतिनायक प्रतिनायिका
- पताकानायक - पताका नायिका
- गौण पात्र
(2) चरित्र-चित्रण की दृष्टि से
- स्थिर पात्र
- विकसनशील पात्र
डा. प्रतापनारायण टण्डन द्वारा प्रस्तावित वर्गीकरण इस प्रकार है
- प्रमुख पात्र
- सहायक पात्र
- खल-यात्र
भरत मुनि के नाट्यशास्त्र के अन्तर्गत दिया गया भारतीय परम्परागत पात्र वर्गीकरण इस प्रकार है
- सद्-प्रवृत्तियों से युक्त देव पात्र।
- असद् प्रवृत्तियों से युक्त दानव पात्र।
- मानव प्रवृत्तियों से युक्त मानव पात्र।
उपन्यासों में चरित्र-चित्रण का महत्व इस कारण से भी है कि वस्तुत: इसी तत्व के माध्यम से उपन्यास में प्रतिबिम्बित होने वाले मानव जीवन का सम्यक परिचय प्राप्त करते है । सफल बरित्र चित्रण में उपन्यास कारकी दृष्टि की सूक्ष्मता और प्रतिमा का भी परिचय मिलता है। उपन्यास में भिन्न भिन्न पात्रांका नियोजन मूलत: विविध मानवीय भावनासा और क्षेत्रीय प्रतीकों के रूपमें होता हैं। इस दृष्टि से कोई चरित्र केवल वैयक्तिक रूपसेही हमें प्रभावित नहीं करता, वरन वह किसी वर्ग विशेषका प्रतिनिधित्व भी करता है।