चीफ की दावत कहानी का उद्देश्य क्या है?
चीफ की दावत कहानी का उद्देश्य
चीफ की दावत कहानी का उद्देश्य: चीफ की दावत भीष्म साहनी द्वारा रचित प्रमुख कहानी है। चीफ की दावत कहानी का उद्देश्य मध्यमवर्गीय समाज के खोखलेपन तथा दिखावटीपन को दर्शाना है। उनके द्वारा रचित कहानी आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी उस समय थी। इस कहानी का केन्द्र बिन्दू मिस्टर शामनाथ व उसकी बूढ़ी माँ है।
शामनाथ दफ्तर में नौकरी करता है। वह धीरे धीरे उच्च पद पाने की महत्वाकांक्षा रख ने लगता है। अपनी महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए वह विदेश चीफ की खुशामदी कर ता है। शामनाथ चीफ को अपने घर दावत पर आमन्त्रित करता है। शामनाथ के घर उसकी पत्नी तथा बूढ़ी मां है। परन्तु वह अपनी माँ की अनावश्यक समान की तरह उपेक्षा करता है। वह अपनी निरक्षर व बूढ़ी माँ को कहीं छुपाना चाहता है। वह सोचता है कि चीफ उसकी माँ के साक्षात से नाराज न हो जावें। जब शामनाथ माँ को छिपा नहीं पाया तो माँ को ही प्रदर्शन की वस्तु (शो पीस) बनाने से परहेज नहीं करता।
कथा में शामनाथ के माध्यम से शिक्षित पीढ़ी के अशिक्षित आचरण को जीवंतता के साथ पेश किया गया है। आज के शिक्षित युवा वर्ग अपने माता पिता को बोझ समझते हैं। व्यक्ति अपनी सुख सुविधा के लिए अपने माता पिता को छोड़ देते हैं। वे यह तक भूल जाते हैं कि आज जिस समाज मे तुम रह रहे हो उनकी बदौलत है। अपने बच्चो को काबिल बनाने के लिए माता पिता अपना सर्वस्व समर्पित कर देते हैं। उनका पूरा जीवन अपने बच्चों की खुशी के लिए बलिदान में व्यतीत हो जाता है। चीफ की दावत एक ऐसी ही कहानी है, जिसमें स्वार्थी बेटे शामनाथ को अपनी विधवा बूढ़ी माँ का बलिदान फर्ज ही नजर आता है।