आपका बंटी उपन्यास का सारांश - 'आपका बंटी' उपन्यास और 'बंटी की कहानी' आत्मकथा अंश इनका अंतः संबंध है। उपन्यास का केंद्रीय पात्र नौ साल का बंटी है। उसके
आपका बंटी उपन्यास का सारांश - Aapka Bunty Summary in Hindi
आपका बंटी उपन्यास का सारांश - 'आपका बंटी' उपन्यास और 'बंटी की कहानी' आत्मकथा अंश इनका अंतः संबंध है। उपन्यास का केंद्रीय पात्र नौ साल का बंटी है। उसके माता-पिता शकुन और अजय दांपत्य जीवन के तनाव के कारण संबंध विच्छेद कर लेते हैं। लेकिन वे अपने संतान के बारे में नहीं सोचते। बंटी का चरित्र मनोवैज्ञानिक है। लेखिका को उपन्यास लेखन कई कठिनाइयाँ आई। एक तो यह धर्मयुग मासिक पत्रिका में धारावाहिक रूप में प्रकाशित हो रहा था। अतः लेखन में गति लाना जरूरी था। प्रत्यक्ष लेखिका को अपने परिवार और टिंकू से दूर रहना पड़ा था। इधर उपन्यास के अंश पढ़कर पाठकों की प्रतिक्रियाएँ मिल रही थीं। कई स्त्रियों ने बंटी के प्रति करुणा, सहानुभूति प्रगट की थी। लेखिका का उद्देश्य था कि जैसे पाठक बंटी को देखते है वैसे ही शंकुन की ओर बिल्कुल तटस्थ होकर क्यों नहीं देखते ? क्यों नहीं सोचते ? पाठक वर्तमान समाज का एक अंग है। समाज परंपरा रूप में ही सोच रहा है। स्त्री अस्मिता उसका सामाजिक स्थान, उसकी पीड़ा पर उसकी दृष्टि नहीं है। लेखिका की इच्छा उसकी अपेक्षा सच्चे अर्थो में उपेक्षित रह गई। इस सत्य का उद्घाटन मन्नू भंडारी ने अपनी आत्मकथा में किया है। वास्तव में शंकुन-अजय- बंटी की कहानी स्वयं लेखिका के जीवन के समानांतर ही है। राजेंद्र यादव- मन्नू भंडारी - टिंकू उसी यंत्रणा से गुजर रहे हैं जिसका चित्रण उपन्यास में हुआ है। वास्तव में लेखिका पारिवारिक स्तर पर माँ, पत्नी की भूमिका निभाते हुए लड़ रही है। दूसरी तरफ उसमें छिपा हुआ साहित्यकार ऊपर आने के लिए सृजन के लिए तड़प रहा है। लेखिका को स्वीकार है कि वह अपनी बेटी टिंकू पर अन्याय कर रही है। उपन्यास की शकुन का द्वंदव मातृत्व और व्यक्तित्व के बीच का है। वही उनके जीवन का यथार्थ भी है। लेखिका को एक बात खटकती है कि समाज अपना परंपरागत दृष्टिकोण छोड़ना नहीं चाहता। जैसे हर घर में एक बंटी होता है वैसे ही सभी घरों में शकुन होती है। ये स्त्रियाँ अपनी अस्मिता की रक्षा करना चाहती हैं। अतः वे संतान के प्रति कठोर सी लगती है। काश पाठकों की समीक्षा के आलोक में बंटी और शकुन साथ-साथ आ जाते है। लेखिका के मन की यह पीड़ा उसका आत्मसम्मान और आत्म-संघर्ष उनके आत्मकथांश में व्यक्त हुआ है।
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