गुलाबी का चरित्र चित्रण - Gulabi Ka Charitra Chitran
रानी माँ का चबूतरा कहानी में 'गुलाबी' का चरित्र-चित्रण: 'गुलाबी' उग्र, कठोर, स्पष्टवादी, नास्तिक, कर्मठी, स्वाभिमानी, अशिक्षित किंतु रुदिमुक्त आदर्शवादी नारी है। 'रानी माँ का चबूतरा कहानी' में 'गुलाबी' पति शराबी है जिसे वह छोड़ देती है। वह अपने बच्चों की परवरिश मेहनत मजदूरी करके करती है। मजदूरी करने के लिए वह अपने बच्चों को घर पर अकेले छोड़ कर जाती है। नौ साल की छोटी लड़की मेवा और दो साल के बच्चे को वह कोठरी में बंद करके बहार काम करने जाती है जिससे कि उसका मन बेचैन रहता है। “शाम को वह लौटी तो क्लांत हाथों से उसने अपनी कोठरी का दरवाजा खोल देखा, मेवा एक कोने में लुढकी पड़ी सो रही है और दो साल का वह मांस का लोथड़ा, मैले में सना हुआ 'मिमिया रहा था।”
'गुलाबी' अपने बच्चों की परवरिश भी मजदूरी करके व्यवस्थित रूप से नहीं कर सकती है। गरीबी आज के समय की ज्वलंत समस्या है। मादक वस्तुओं का सेवन करने वाला आदमी समाज में हेय समझा जाता है और इससे परिवार में विकृति भी आती है। मादक वस्तुओं का परिणाम आदमी के साथ-साथ पूरे परिवार को झेलना पड़ता है। 'गुलाबी' के एक कथन के माध्यम से इसे स्पष्ट करते हैं। “तुम्हीं माँ बन बनकर लाड लड़ाओ अपने बच्चे के और दीया जलाओ चबूतरे पर । मैं तो कसाइन हूं हत्यारिन हूं। जब सब नाशपीटे मर जाएंगे उस दिन इकठ्ठा ही दीया जलाऊंगी। बड़ी सब गुलाबी की चिंता कर-कर के मरी जा रही है चुड़ैल !”” गुलाबी के इस तरह के चरित्र निर्माण में उसकी परिस्थितियाँ ही कहीं न कहीं जिम्मेदार हैं।