डौली का चरित्र चित्रण: आदमी का बच्चा कहानी का सृजन प्रगतिवादी कथाकार यशपाल ने बालमन की जिज्ञासाओं को केन्द्र में रख कर किया है। डौली एक चीफ इंजीनियर क
आदमी का बच्चा कहानी के आधार पर डौली का चरित्र चित्रण कीजिये।
डौली का चरित्र चित्रण: आदमी का बच्चा कहानी का सृजन प्रगतिवादी कथाकार यशपाल ने बालमन की जिज्ञासाओं को केन्द्र में रख कर किया है। डौली एक चीफ इंजीनियर की बेटी है। अपने माँ-बाप की इकलौती सन्तान है। चूंकि वह उच्च वर्ग से संबंधित है अतः उसकी देख-रेख के लिए एक आया रखी गई है। डौली का अधिकांश समय अपनी आया के साथ व्यतीत होता है। शाम के समय जब बग्गा साहब के पास पांच-सात मिन्ट का समय होता है तो सजी-संवरी लाडली डौली माँ-बाप के सम्पर्क में आती हैं, उनसे बतियाती है। डौली की आया को निर्देश दिया गया है कि वह माली या धोबी की कोठरी में नहीं जाएगी, उनके बच्चों से नहीं खेलेगी और उनसे दूरी बनाए रखेगी।
डौली का बालमन संवेदनशील है। यद्यपि माँ-बाप ने उसकी सुख-सुविधाओं व भविष्य को ध्यान में रखकर अन्य सन्तान की इच्छा नहीं की लेकिन उसके बालमन के हमउम्र बच्चों के साथ खेलने की जिज्ञासा प्रबल करती है। डौली आया की नज़र से बच कर कभी माली के नवजात शिशु से खेलने चली जाती है फिर कुत्तिया डैनी के पिल्लों से खेलना पसन्द करती है। उसके बालमन के आहत का परिचय तब मिलता है जब वह बिन्दी से बार-बार प्रश्न दोहराती है। "आया, पिल्लों को गरम पानी में डुबो कर क्यों मार दिया ?"
डौली का बालमन सांसारिक व्यवहार ज्ञान की बात नहीं जानता। उसके लिए संसार में हर एक चीज़ के लिए एक ही नियम है। जब माली का बच्चा रोता है तो माँ से कहती है- 'मामा, माली का बच्चे को मेहतर से गरम पानी में डुबवा दो तो फिर नहीं रोएगा।" जब माँ और आया उसे समझाते हैं कि आदमी के बच्चे के लिए ऐसे नहीं कहते तो बार-बार वह एक ही प्रश्न दोहराती है तो आदमी का बच्चा कैसे मरता है ?" अथवा "आया, हम भी भूख से मर जाएंगे ?"
संक्षेप में कहा जा सकता है कि कहानी में डौली के बालमन की चंचलता का चित्रण नहीं मिलता बल्कि समाज की ऊंच-नीच वाली वर्ग सभ्यता के कारण उसका सहमा व संकोचशील व्यक्तित्व चित्रित हुआ है।
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