अंधा बांटे रेवड़ी फिर फिर अपने को दे का अर्थ और वाक्य प्रयोग
अंधा बांटे रेवड़ी फिर फिर अपने को दे का अर्थ - न्याय की अनदेखी कर अपनों को लाभ पहुँचाना, अपनों को अनुचित लाभ पहुँचाना।
अंधा बांटे रेवड़ी फिर फिर अपने को दे का वाक्य प्रयोग
वाक्य प्रयोग: सत्ता में आते ही खन्ना जी ने अपने सगे-सम्बन्धियों को सरकारी टेंडर दे दिए यह तो वही कहावत हो गई अंधा बांटे रेवड़ी फिर फिर अपनों को दें।
वाक्य प्रयोग: स्वार्थी स्वाभाव का व्यक्ति अनजाने का बहाना करके अपने ही लोगों का भला करता है इसीलिए कहा भी गया है कि अंधा बांटे रेवड़ी फिर फिर अपनों को दें।
वाक्य प्रयोग: भाई-भतीजावाद के कारण मंत्री जी दे अपने परिचितों को ही चुनाव की साडी टिकट बाँट दी। इसे देखकर तो बस वाली कहावत चरितार्थ होती है।
यहाँ हमने अंधा बांटे रेवड़ी फिर फिर अपने को दे का अर्थ और वाक्य प्रयोग समझाया है। अंधा बांटे रेवड़ी फिर फिर अपने को दे का अर्थ है न्याय की अनदेखी कर अपनों को लाभ पहुँचाना, अपनों को अनुचित लाभ पहुँचाना। जब कोई व्यक्ति सभी प्रकार की सुख-सुविधाएँ अपनों को ही दे या पक्षपातपूर्ण व्यव्हार करे तो अंधा बांटे रेवड़ी कहावत कहते हैं। अँधा तो असमर्थता के कारण ऐसा नहीं कर पता क्योंकि उसे दिखता नहीं परन्तु बेईमान व्यक्ति जानबूझकर ऐसा करता है।