राजनीतिक सिद्धांत के पतन से क्या तात्पर्य है ? राजनीतिक सिद्धांत का पतन एवं पुनरोत्थान क्या है ? राजनीतिक सिद्धांत मोटे रूप से दो प्रकार का है - (i) प
राजनीतिक सिद्धांत के पतन से क्या तात्पर्य है ?
- राजनीतिक सिद्धांत का पतन एवं पुनरोत्थान क्या है ?
- राजनीतिक सिद्धांत के पतन' का क्या अर्थ है? व्याख्या कीजिए।
अगस्त काम्टे जैसे फ्रांस के सिद्धांतशास्त्री ने निश्चयवाद (Positivism) की नई दिशा दिखाई और सामाजिक और राजनीतिक सिद्धांतशास्त्रियों को यह सुझाव दिया कि वे राजनीति का अध्ययन (निश्चयवादी) वैज्ञानिक अर्थों में करें। इसका परिणाम हुआ कि स्वप्नलोकीय अध्ययनों की जगह “वर्तमान जगत की असफलताओं का कठोर रूप में यथार्थवादी चित्रण प्रस्तुत गया।
राजनीतिक सिद्धांत का पतन (Decline of Political Theory)
राजनीतिक सिद्धांत मोटे रूप से दो प्रकार का है - (i) परम्परावादी राजनीतिक सिद्धांत, और (ii) आधुनिक राजनीतिक सिद्धांत। ‘परम्परावादी राजनीतिक सिद्धांत' को शास्त्रीय राजनीतिक सिद्धांत (Classical Political Theory) अथवा 'राजनीति का आदर्शी सिद्धांत (Normative Political Theory) भी कहा जाता है।
परम्परावादी राजनीतिक सिद्धांत की विशेषताएँ हैं, जैसे -
- इसके अध्ययन का आधार 'दर्शन' है।
- इसकी जड़ें 'इतिहास' (History) में हैं।
- यह राजनीति में मूल्यों (Values) के अध्ययन पर बल देता है।
- यह राजनीति के आदर्शात्मक (Normative) पक्ष पर अधिक बल देता है, इसमें इस बात पर अधिक बल दिया गया है 'क्या होना चाहिए' और यह राजनीतिक अध्ययन को नीतिशास्त्र (Ethics) के अधिक समीप ला देता है।
- इसके निष्कर्ष 'कल्पना' पर आधारित होते हैं। टी० एच० ग्रीन, हाबहाउस, जी० च० कोल, आर० एच० टानी, हेराल्ड लास्की के विचारों में राजनीति की शास्त्रीय-परम्परावादी सिद्धांत धारा का दिग्दर्शन होता है क्योंकि उनके विचारों का ध्येय नैतिक उपदेश (To pass 1 judgements) देना है। इसके विपरीत, 'आधनिक राजनीतिक सिद्धांत' राजनीति को विज्ञानं (Science) बनाना चाहता है। यह आनुभविक पद्धतियों (Empirical methods) का प्रयोग करता है तथा तथ्यों के संकल्प पर बल देता है। इसके निष्कर्ष पर्यवेक्षण, अनुभव और पर आधारित होते हैं।
राजनीतिक सिद्धांत के ह्रास (पतन) से अभिप्राय (Meaning of the Term Decline of Political Theory)
जब हम राजनीतिक सिद्धांत के ह्रास या पतन (decline) की बात करते हैं तो हमारा अभिप्राय परम्परावादी राजनीतिक सिद्धांत (Classical political theory) के ह्रास से है। परम्परावादी राजनीतिक सिद्धांत की एक लम्बी परम्परा रही है। इसका प्रारम्भ प्लेटो, अरस्तू, वेली, हॉब्स, लॉक, रूसो और लास्की जैसे दार्शनिकों के चिन्तन एवं ग्रन्थों में मिलता है। इसकी जड़ें इतिहास और दर्शनशास्त्र में निहित थीं। यह राजनीति को नैतिकता (Ethics) से जोड़ता था और मूल्यों पर आधारित (Value based) दर्शन था। कुछ विचारक इसे आदर्शी राजनीतिक सिद्धांत (Normative Political Theory) भी कहते हैं।
आज राजनीतिक दार्शनिकों की महान परम्परा का अवसान नजर आने लगा है। डेविड अलफ्रेड काबेन तथा अनेक समकालीन राजनीतिक वैज्ञानिकों की धारणा है कि उस राजनीतिक सिद्धांत का जिसका प्रबन्ध वे राजनीतिक दर्शन से जोड़ते हैं, की परम्परा का तीव्र ने ह्रास को रहा है।
डेविड ईस्टन और अलफ्रेड कॉबेन जैसे विद्वानों ने तो राजनीतिक सिद्धांत के ह्रास की कही है। वहीं पीटर लासलेट तथा रॉबर्ट डहेल ने तो राजनीतिक सिद्धांत के निधन की घोषणा भी कर दी है। आक्सफोर्ड जैसी जगहों पर जहाँ कि परंपरागत राजनीतिक सिद्धांत का -पोषण हुआ था, आज यह सुनने को मिलता है कि राजनीतिक सिद्धांत मृतप्राय हो चुका अथवा ह्रास (पतन) की प्रक्रिया से गुजर रहा है।
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