सर्वोच्च न्यायालय की आवश्यकता एवं महत्व को स्पष्ट कीजिए। सर्वोच्च न्यायालय भारत का शीर्ष न्यायालय है जिसे आरम्भिक और अपीलीय दोनों प्रकार के अधिकार प्र
सर्वोच्च न्यायालय की आवश्यकता एवं महत्व को स्पष्ट कीजिए।
सर्वोच्च न्यायालय की आवश्यकता एवं महत्व
सर्वोच्च न्यायालय भारत का शीर्ष न्यायालय है जिसे आरम्भिक और अपीलीय दोनों प्रकार के अधिकार प्राप्त हैं। भारतीय सर्वोच्च न्यायालय भारतीय संसदीय शासन व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण अंग के रूप में है। इसके महत्व तथा आवश्यकता को निम्नलिखित रूप में व्यक्त किया जा सकता है -
- भारतीय संविधान का रक्षक - संविधान भारत की सर्वोच्च न्यायिक अभिलेख अर्थात सर्वोच्च विधि है जिसकी रक्षा करना अनुपालन करना सर्वोच्च न्यायालय के दायित्व के अन्तर्गत आता है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपने निर्णयों के माध्यम से संविधान की व्याख्या का भी महत्वपूर्ण कार्य किया जाता है।
- संघात्मक शासन व्यवस्था का पोषक - भारतीय संविधान ने संघात्मक शासन व्यवस्था के अन्तर्गत केन्द्र और राज्यों के मध्य शक्तियों का बंटवारा किया है। दोनों ही सरकारें अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में रहते हुए किसी के अधिकारों पर आवश्यक अतिक्रमण न करने पाये यह उत्तर दायित्व सर्वोच्च न्यायालय को दिया गया है।
- मौलिक अधिकारों का रक्षक - भारतीय संवैधानिक व्यवस्था के अन्तर्गत नागरिकों को उनके व्यक्तित्व के विकास की दृष्टि से मौलिक अधिकार प्रदान किये गये हैं संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदत्त यह अधिकार न्याय योग्य हैं अर्थात इन मौलिक अधिकारों का किसी व्यक्ति समुदाय, संगठन अथवा सरकार के द्वारा उल्लंघन या हनन होने पर व्यक्ति सर्वोच्च न्यायालय की शरण ले सकता है तथा न्यायालय द्वारा इनकी रक्षा के लिए पाँच प्रकार के आदेश निर्देश व लेख बन्दी प्रत्यक्षीकरण परमादेश प्रतिषेध उत्प्रेषण तथा अधिकार पृच्छा-जारी किए जाते हैं।
- सर्वोच्च न्यायालय : सलाहकार निकाय के रूप में - भारत का सर्वोच्च न्यायालय सलाहकार निकाय के रूप में भी कार्य करता है आवश्यकता पड़ने पर या अपेक्षा किये जाने पर यह राष्ट्रपति को परामर्श देता है। राष्ट्रपति किसी भी काननी विवाद के सम्बन्ध में सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श ले सकते हैं, परन्तु राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के परामर्श को मानने के लिए बाध्य नहीं है।
- एकीकृत न्यायालय - भारतीय संविधान के अन्तर्गत सम्पूर्ण देश में एकीकृत न्यायपालिका की व्यवस्था की गई है जोकि अन्य देशों की संवैधानिक व्यवस्था में देखने को प्रायः नहीं मिलता है। देश की न्यायिक व्यवस्था में सर्वोच्च न्यायालय का स्थान सबसे ऊपर है और इसके निर्णय भारत के सभी न्यायालयों के लिए मान्य है। वह देश के सभी न्यायालयों के आदेशों तथा निर्णयों पर पुनर्विचार कर सकता है यद्यपि सर्वोच्च न्यायालयों के निर्णयों के बाद यदि कोई चाहे तो वह राष्ट्रपति से मर्सी अपील कर सकता है
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