सांकेतिक भाषा वह भाषा है, जिसमें विभिन्न संकेतों पर प्रयोग करके अपनी बात को समझाया जाता है। सांकेतिक भाषा के अंतर्गत हाथों व उंगलियों से इशारे, चेहरे
सांकेतिक भाषा किसे कहते हैं?
सांकेतिक भाषा वह भाषा है, जिसमें विभिन्न संकेतों पर प्रयोग करके अपनी बात को समझाया जाता है। सांकेतिक भाषा के अंतर्गत हाथों व उंगलियों से इशारे, चेहरे के हाव-भाव, किस चीज को देखकर या आँखों से इशारा करके अपनी बात समझाई जाती है। इस प्रकार सांकेतिक भाषा बिना शब्दों का प्रयोग करे अपने विचारो तथा भावनाओ को व्यक्त करने का माध्यम है।
सांकेतिक भाषा का प्रयोग ज्यादातर मूकबधिर बच्चों द्वारा किया जाता हैं। ऐसे बच्चे सांकेतिक भाषा का प्रयोग करके अपने लिए बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। सांकेतिक भाषा कि व्याकरण मौखिक भाषा से भिन्न होती है। इसमें एक ही इशारे के कई मतलब हो सकते हैं। संकेत भाषाओं में हस्तचालित वर्णमाला (अंगुली वर्तनी) का प्रयोग किया जाता है।
सांकेतिक भाषा का इतिहास
सांकेतिक भाषा का इतिहास मौखिक भाषा जितना ही पुराना है। सांकेतिक भाषा को मौखिक भाषा की पूरक भाषा माना जाता है। मौखिक भाषा में सांकेतिक भाषा का सम्मिश्रण होता है जैसे रुकने के लिए हाथ का इशारा करने हुए रुकने का आदेश देना। किसी विषय पर सहमती जताते हुए अपने मुंह को ऊपर-नीचे हिलाना या असहमति के लिए सर को दांये-बांये हिलाना। इसी प्रकार कई और उदहारण भी है जो यह प्रमाणित करते हैं कि सांकेतिक भाषा मौखिक भाषा जितनी ही पुरानी है।
पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व प्लेटो के क्रैटिलस अभिलेखों मे सुकरात कहते हैं: "यदि हमारे पास आवाज या जीभ नहीं होती, और हम एक दूसरे से संवाद करना चाहते थे, तो क्या हम अपने हाथ, सिर और अपने शरीर के बाकी भागों को हिलाकर संकेत करने की कोशिश नहीं करते हैं, जैसा कि गूंगे करते हैं?"
स्पष्ट है कि कि सुकरात जिस भाषा कि बात कर रहे थे वह सांकेतिक भाषा ही थी।
सांकेतिक भाषा का विकास
सांकेतिक भाषा के उदहारण
सांकेतिक भाषा के उदहारण इस प्रकार हैं -
- ट्रैफिक पुलिस द्वारा हाथों से इशारा करके ट्रैफिक नियंत्रित करना।
- उँगलियों से एक, दो तीन आदि इशारा करके किसी वस्तु की मात्र या गिनती समझाना।
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