एनसीसी की स्थापना तथा छात्रों के लिए एनसीसी लाभ
राष्ट्रीय केडेट कोर
(एनसीसी) की स्थापना 16 जुलाई, 1948 को तब की गई जब संसद ने इसके लिए एक
कानून पास किया। शायद यह भारत में छात्र समुदाय के लिए एक अनोखा अवसर था। 1948 में
कश्मीर युद्ध के बाद भारत ने एक महत्वपूर्ण सबक यह सीखा कि आजादी की रक्षा के
लिए शक्तिशाली सशस्त्र बल की जरूरत पड़ती है। इसके बाद तुरंत कर्रावाई यह की गई
कि सिफारिशों पर आधारित कुंजरू समिति का गठन किया गया,
जिसे एक विधेयक का मसौदा तैयार करना था, जो उन सिफारिशों पर आधारित हो जो 13 मार्च 1948
को संविधान सभा के सामने पेश की गई थीं और जिन्होंने इस सभा के सदस्यों में गहरी
दिलचस्पी और उत्साह पैदा किया था। उचित जांच और बहस तथा कई संशोधनों के पश्चात
सभा द्वारा एक विधेयक 08 अप्रैल, 1948 को तैयार किया गया। केंद्र सरकार ने इस
मामले में राज्य सरकार की यह राय मंजूर कर ली जिसके अनुसार एक केडेट कोर का गठन
किया जाना था और जिसे बाद में नेशनल केडेट कोर (एनसीसी) कहा गया। कुंजरू समिति ने
भी समिति ने भी ऐसी ही सिफारिश की थी। इस विधेयक को 16 अप्रैल,
1948 को गवर्नर जनरल का अनुमोदन मिल गया और इस तरह से राष्ट्रीय केडेट कोर
(एनसीसी) अस्तित्व में आया।
एनसीसी का विकास
एनसीसी को विकसित होने
में कई वर्ष लग गए। शुरू-शुरू में एनसीसी राइफल्स का गठन एक पैदल सेना की बटालियन
की तर्ज पर किया गया और बाद में इसी को सामान्य यूनिट में बदल दिया गया। चीन के
साथ युद्ध के बाद 1963 में एनसीसी को सभी छात्रों के लिए अनिवार्य बना दिया गया।
इसके परिणामस्वरूप उनकी संख्या 17.16 मिलियन तक पहुंच गई। इस भारी संख्या को
अव्यावहारिक माना गया और इसी बात को ध्यान में रखते हुए 1969 में इसे स्वैच्छिक
बनाने की सिफारिश की गई, जो आज तक चल रही है।
एनसीसी तीनों सेनाओं
द्वारा चलाई जाती है। इसका प्रमुख महानिदेशक होता है,
जिसका रेंक लेफ्टिनेंट जनरल का होता है। एनसीसी यूनिटों के नियंत्रण और उनमें
दाखिले तथा ट्रेनिंग के लिए 17 क्षेत्रीय निदेशालय हैं और इनके प्रमुख अतिरिक्त
महानिदेशक या उप महानिदेशक होते हैं। इनका रेंक मेजर जनरल या ब्रिगेडियर अथवा
नौसेना और वायु सेना में इनके समकक्ष पदों वाला होता है। वर्तमान में 1960 एनसीसी
ग्रुप हेडक्वाटर हैं और इनके नीचे 800 यूनिटें हैं, जो देश के 633 जिलों
में एनसीसी का काम देखती हैं।
आज एनसीसी दुनिया का स्वैच्छिक
रूप से गठित सबसे बड़ा यूनिफार्म पहनने वाला युवा संगठन है और इसके कैडेटों की
संख्या 13.4 लाख है। सरकार ने वर्ष 2015 तक एनसीसी कैडेटों की संख्या बढ़ाकर 15
लाख करने के आदेश जारी किए हैं। भारत की तर्ज पर अनेक देशों ने युवा आदान-प्रदान
कार्यक्रम के अंतर्गत नियमित रूप से युवा वर्ग की की एक-दूसरे देश को आवाजाही
सुनिश्चित की है। यह हकीकत है कि एनसीसी कैडेटों की कवायद और उनके चुस्त-दुरूस्त
कैडेटों का होना हर भारतीय के लिए गर्व की बात है और जो उन्हें फिर से भरोसा
दिलाता है कि हमारे राष्ट्र का भविष्य उज्जवल और महान है।
एनसीसी का आदर्श वाक्य
– एकता और अनुशासन
किसी व्यक्ति का व्यक्तित्व
उसके शुरूआती वर्षों में बनता है। युवा वर्ग की तुलना कच्ची मिट्टी से की गई है,
जिसे मनचाहे आकार में मोड़ा जा सकता है। इसके लिए जरूरत होगी सही प्रशिक्षण और
दिशा निर्देशों की। प्रचीन काल में भारत के युवा संत महात्माओं और विद्वानोंके
सान्निध्य में रहते थे और उनसे अनेक अच्छी बातें सीखते थे। आश्रमों और गुरुकुलों
में उन्हें कारपोरेट ढंग के जीवन बिताने की शिक्षा मिलती थी। इसी की तर्ज पर आज
देश के युवा वर्ग को सही दिशा देने के लिए एनसीसी का गठन किया गया है। इसके संपर्क
में युवा वर्ग को सही दिशा देने के लिए एनसीसी का गठन किया गया है। इसके संपर्क
में युवा वर्ग तक आते हैं, जब वे अपने सीखने के वर्षों में होते हैं। यहां
उन्हें मित्र, विद्वान और मार्गदर्शक मिलते हैं,
जिनके प्रतिभाओं से वे सही दिशा पकड़ सकते हैं और वे भविष्य के नेता बन जाते हैं।
एनसीसी प्रशिक्षण के जरिए हम अपने युवा वर्ग में ऊर्जा का संचार करते हैं और उनमें
स्वावलंबन और अच्छे गुण पैदा करते हैं। उनकी रचनात्मकता उत्साह और मानवीयता को
सही दिशा दी जाती है, ताकि वे एनसीसी के आदर्श वाक्य,
एकता और अनुशासन के अनुरूप चल सके।
एनसीसी का मौजूदा
उद्देश्य देश के युवाओं को संभावित नेताओं, देशभक्त नागरिकों में परिणीत करने पर जोर देना
है, जो सशस्त्र बल में अपना कैरियर चुनने के लिए प्रेरित हैं।
मैजूदा विचार को ध्यान में रखते हुए एनसीसी की प्रशिक्षण गतिविधियां चार वृहत
श्रेणियों विभाजित हैं, जिसमें संस्थागत प्रशिक्षण,
समाज सेवा, सामुदायिक विकास कार्यक्रम और युवा आदान-प्रदान
कार्यक्रम शामिल हैं।
प्रशिक्षण के स्वरूप
संस्थागत प्रशिक्षण का
अयोजन कालेज और स्कूल स्तर पर होता है। यह एनसीसी प्रशिक्षण का मुख्य आधार है
और इसका आयोजन संबंधित एनसीसी अधिकारियों और थल सेना,
नौसेना और वायु सेना जैसे तीनों सेवाओं से सैनिक सशस्त्र बल के जवानों (एनसीसी
में जो प्रतिनियुक्ति पर हैं) द्वारा किया जाता है।
शिविर प्रशिक्षण- इस प्रशिक्षण का उद्देश्य कैडेटों को सैन्य दल
के रूप में विकसित करना है। वार्षिक प्रशिक्षण शिविर के अतिरिक्त कैडेटों को राष्ट्रीय
स्तर के विशेष राष्ट्रीय एकीकरण शिविर, राष्ट्रीय एकीकरण शिविर तथा नेतृत्व शिविर
जैसे शिविरों में भी भेजा जाता है, जहां वे सभी राज्यों और संघ-शासित प्रदेशों के
कैडोटों से वार्ता-लाप और भेंट कर सकते हैं और उनके दल और नेतृत्व कौशल को समझ
सकते हैं।
समाज सेवा और सामुदायिक
विकास- प्रौढ़ शिक्षा
संवर्द्धन, पोलियोरोधी अभियान,
ग्रामीण विकास परीक्षण परियोजना, एड्स जागरूकता, वृक्षरोपण और ड्रगरोधी
कार्यक्रम जैसे अभियानों में भागीदारी कर कैडेटों में नैतिक औैर सामाजिक
प्रतिबद्धता लाना है ताकि वे राष्ट्र निर्माण में सहयोग दे सकें।
युवा आदान-प्रदान
कार्यक्रम- इस कार्यक्रम के तहत
चयनित कैडेटों को विदेश में राज्य-अतिथि तथा देश के ब्रांड दूत के रूप में यात्रा
करने का अवसर प्राप्त होता है।
साहस आधारित पाठ्यक्रम-
इन कैडेटों को नई साहसिक
गतिविधियों में शामिल किया जाता है, ताकि वे अपने जीवन और नेतृत्व कौशल में और
सुधार ला सकें। माउन्टेन ट्रेक तथा अभियान, पैरासेलिंग और कूद-फांद,
नौकायन यात्रा तथा माइक्रो लाइट फ्लाइंग जैसे कार्यक्रम नियमित तौर पर एनसीसी
द्वारा किया जाता है।
खेल- एनसीसी टीमें नियमित तौर पर सुब्रोतो कम फुटबाल,
नेहरू कप हाकी तथा राष्ट्रीय शूटिंग चौम्पियनशिप जैसी प्रतियोगिताओं में भाग
लेती हैं।
व्यक्तिगत विकास- एनसीसी की संशोधित प्रशिक्षण दर्शन का उद्देश्य
कैडेटों के जीवन कौशल में सुधार लाने के साथ-साथ जीवन में आगे बढ़ने के लिए उन्हें
सक्षम बनाना है।
छात्रों के लिए एनसीसी कैसे मदद करता
है?
रक्षा सेवाओं में
एनसीसी ‘सी’ प्रमाणपत्र धारक कैडेटों को शामिल करने के लिए
तीनों सेवाओं में रिक्तियां आरक्षित रहती है।
(1) थल
सेना: भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए)
देहरादून में प्रति पाठ्यक्रम 32 रिक्तियां होती हैं,
जो यूपीएससी और एसएसबी साक्षात्कार के जरिए भरे जाते हैं।
(2) ओटीए
चेन्नई तथा गया: गैर-तकनीकी श्रेणियों
में शार्ट सर्विस कमीशन के लिए प्रति वर्ष पचास रिक्तियां होती हैं। ये रिक्तियां
एसएसबी साक्षात्कार के द्वारा भरी जाती हैं।
(3) नौसेना:
प्रति पाठ्यक्रम 6 रिक्तियां
होती हैं और इनमें चयन एसएसबी साक्षात्कार के जरिए होती हैं,
इसमें एनसीसी ‘सी’ प्रमाणपत्र धारकों को आयु में दो साल की छूट
होती है।
(4) वायु
सेना: फ्लाइंग प्रशिक्षण पाठ्यक्रम
सहित सभी पाठ्यक्रमों में दस प्रतिशत रिक्तियां होती हैं और इसमें चयन एसएसबी
साक्षात्कार के जरिए होता है। अन्य रैंको, नाविक तथा एयरमेन को भर्तियों में पांच से दस
प्रतिशत बोनस अंक दिये जाते हैं।
अन्य
अर्धसैनिक बलों में
भर्तियां: इसमें भर्ती के लिए दो
से दस प्रतिशत बोनस अंक दिये जाते हैं।
दूरसंचार विभाग: इसमें भर्ती के लिए विशेष बोनस अंक दिया जाता है।
एनसीसी में: सिविलियन ग्लाइडिंग प्रशिक्षक/गर्ल कैडेट
प्रशिक्षक/एनसीसी में पूर्णकालिक लेडी अधिकारियों की नियुक्ति में ‘सी’
प्रमाणपत्र धारकों को प्राथमिकता दी जाती है।
राज्य सरकार में: पुलिस, प्रशासन, वन, उत्पाद और परिवहन विभाग जैसे राज्य सेवाओं
में प्राथमिकता मिलती है।
स्कालरिशिप
छात्रवृत्ति: कैडेट वेलफेयर सोसाइटी
तथा सहारा छात्रवृत्ति के जरिए एनसीसी कैडेट छह हजार रुपये से तीस हजार रुपये तक
छात्रवृत्ति प्राप्त करने के लिए पात्र होते हैं।
खेल: एनसीसी की टीम और सदस्यों को राष्ट्रीय और
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं/प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन के लिए आकर्षक
नकद पुरस्कार भी दिया जाता है।
एनसीसी जो कि विश्व
में सबसे वृहत संगठित युवा बल है, इसने विगत वर्षों में राष्ट्र निर्माण के
साथ-साथ देश में युवाओं को सुधारने में एक अद्वितीय संगठन का मुकाम हासिल किया है।
यह संगठन अपने विभिन्न नवीन प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के जरिए तथा बड़ी संख्या में
राष्ट्रीय एकीकरण शिविरों का आयोजन कर राष्ट्रीय एकीकरण की उपलब्धि की दिशा में
अमूल्य योगदान दिया है। इतिहास दर्शाता है कि विगत वर्षों में एनसीसी ने कई
युवाओं को एक ख्याति प्राप्त और श्रेष्ठ नेता के रूप में तैयार किया है,
जिनके कार्य अनुकरणीय हैं। अग्रदूतों में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस,
पूर्व थल सेना अध्यक्ष एयर मार्शल सुब्रोतो मुखर्जी,
पूर्व थल सेना अध्यक्ष, एडमिरल निर्मल वर्मा,
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डा. एम.एस. गिल, संसद सदस्य सुश्री जया भादुड़ी,
ख्याति प्राप्त फिल्म नायिक तथा आर.डी. कैम्प – 1966 के श्रेष्ठ कैडेट तथा
अन्य ख्याति प्राप्त व्यक्ति शामिल हैं। एनसीसी की महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान
में रखते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एक पायलट परियोजना में एनसीसी को चिन्हित
स्नातक संस्थानों में एक चयनित विषय के रूप में शामिल करने का हाल ही में निर्णय
लिया है। यह कदम निश्चितरूप से एनसीसी के प्रयासों को बढ़ावा देगा।
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