राजमुकुट नाटक का उद्देश्य : राजमुकुट नाटक के नाटककार का उद्देश्य ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित मार्मिक, सजीव, सशक्त तथा प्रभावोत्पादक अंशों एवं प्रसंगों का वर्णन करके भारत के लोगों में देशप्रेम की भावना को बलवती करना है। प्रस्तुत नाटक के उद्देश्य या संदेश को हम निम्नलिखित बिंदुओं के रूप में देख सकते हैं। राजमुकुट नाटक के लेखक ने राष्ट्रीय एकता का संदेश देते हुए यह दर्शाया है कि महाराणा प्रताप अंतिम समय तक अपने राष्ट्र की एकता के लिए संघर्ष करते रहे। वह मृत्यु के समय भी अपने वीर साथियों एवं नजदीकी करीबियों को मातृभूमि की रक्षा का संदेश देते हैं।
राजमुकुट नाटक का उद्देश्य
राजमुकुट नाटक के नाटककार का उद्देश्य ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित मार्मिक, सजीव, सशक्त तथा प्रभावोत्पादक अंशों एवं प्रसंगों का वर्णन करके भारत के लोगों में देशप्रेम की भावना को बलवती करना है।प्रस्तुत नाटक के उद्देश्य या संदेश को हम निम्नलिखित बिंदुओं के रूप में देख सकते हैं।
स्वाधीनता, देशप्रेम एवं एकता का संदेश : राजमुकुट नाटक के लेखक ने राष्ट्रीय एकता का संदेश देते हुए यह दर्शाया है कि महाराणा प्रताप अंतिम समय तक अपने राष्ट्र की एकता के लिए संघर्ष करते रहे। वह मृत्यु के समय भी अपने वीर साथियों एवं नजदीकी करीबियों को मातृभूमि की रक्षा का संदेश देते हैं।
सांप्रदायिक सद्भाव : लेखक व्यथित हृदय जी ने हिंदू-मुस्लिम एकता की भावना का प्रसार करने के लिए सांप्रदायिकता पर कुठाराघात किया है। महाराणा एवं अकबर का मिलन, सांप्रदायिक समन्वय की भावना को प्रदर्शित करता है।
जनता की सर्वोच्चता : इस नाटक के माध्यम से लेखक यह संदेश देना चाहता है कि सत्ता की वास्तविक शक्ति शासित होने वाली जनता में ही निहित है। जनसामान्य का दमन एवं शोषण करके कोई भी शासक चैन से नहीं रह सकता है। राजा या शासक प्रजा या जनसामान्य के केवल प्रतिनिधि भर हैं। उसे जनता का शोषण करने का कोई अधिकार नहीं है।
इस प्रकार प्रस्तुत नाटक के माध्यम से नाटककार अपने उद्देश्यों को पाठकों तक संप्रेषित करने में पूर्णतः सफल रहा है।
COMMENTS