Hindi poem : mother day poem बहुत याद आती है माँ जब भी होती थी मैं परेशान रात रात भर जग कर तुम्हारा ये कहना कि
माँ Mother day poem in hindi
मेरी माँ कविता |
बहुत याद आती है माँ
जब भी होती थी मैं परेशान
रात रात भर जग कर
तुम्हारा ये कहना कि
कुछ नहीं… सब ठीक हो जाएगा ।
याद आता है…. मेरे सफल होने पर
तेरा दौड़ कर खुशी से गले लगाना ।
याद आता है, माँ तेरा शिक्षक बनकर
नई-नई बातें सिखाना
अपना अनोखा ज्ञान देना ।
याद आता है माँ
कभी दोस्त बन कर
हँसी मजाक कर
मेरी खामोशी को समझ लेना ।
याद आता है माँ
कभी गुस्से से डाँट कर
चुपके से पुकारना
फिर सिर पर अपना
स्नेह भरा हाथ फेरना ।
याद आता है माँ
बहुत अकेली हूँ
दुनिया की भीड़ में
फिर से अपना
ममता का साया दे दो माँ
तुम्हारा स्नेह भरा प्रेम
बहुत याद आता है माँ
"धन्य हो तुम माँ सीता
तुमने नारी का मन जीता
बढाया था तुमने पहला कदम
जीवन भर मिला तुम्हें बस गम
पर नई राह तो दिखला दी
नारी को आज़ादी सिखला दी
तोडा था तुमने इक बंधन
और बदल दिया नारी जीवन
तुमने ही नव-पथ दिखलाया
नारी का परिचय करवाया
तुमने ही दिया नारी को नाम
हे माँ तुझे मेरा प्रणाम "
तुमने नारी का मन जीता
बढाया था तुमने पहला कदम
जीवन भर मिला तुम्हें बस गम
पर नई राह तो दिखला दी
नारी को आज़ादी सिखला दी
तोडा था तुमने इक बंधन
और बदल दिया नारी जीवन
तुमने ही नव-पथ दिखलाया
नारी का परिचय करवाया
तुमने ही दिया नारी को नाम
हे माँ तुझे मेरा प्रणाम "
"आंचल में ममता लिए हुए
नैनों से आंसु पिए हुए
सौंप दे जो पूरा जीवन
फिर क्यों आहत हो उसका मन "
उपर्युक्त कविता का श्रेय आदरणीय सीमा सचदेव जी को जाता है।
नैनों से आंसु पिए हुए
सौंप दे जो पूरा जीवन
फिर क्यों आहत हो उसका मन "
उपर्युक्त कविता का श्रेय आदरणीय सीमा सचदेव जी को जाता है।
"माँ तू क्यों कभी थकती नही?
क्यों तू कभी अपने कर्मो से बचती नही?
तेरी थकान की पीड़ा,
क्यों मुझे होती है।
क्यों ऐसे बलिदान की शक्ति,
सिर्फ तुझ मे होती है।
संघर्ष तो हम सब भी करते है,
क्यों इतने काम के बावजूद भी,
हम तुझसे और उम्मीद करते है।
क्या इसलिए?
क्यूंकि तूने कभी किसी से कुछ कहा नही।
मानली हमेशा अपनो की बात,
जैसे होगा बस वही सही।"
क्यों तू कभी अपने कर्मो से बचती नही?
तेरी थकान की पीड़ा,
क्यों मुझे होती है।
क्यों ऐसे बलिदान की शक्ति,
सिर्फ तुझ मे होती है।
संघर्ष तो हम सब भी करते है,
क्यों इतने काम के बावजूद भी,
हम तुझसे और उम्मीद करते है।
क्या इसलिए?
क्यूंकि तूने कभी किसी से कुछ कहा नही।
मानली हमेशा अपनो की बात,
जैसे होगा बस वही सही।"
"राजाओं की भी जो माता
क्यों हीन उसे समझा जाता "
क्यों हीन उसे समझा जाता "
सबसे प्यारी, सबसे न्यारी,
कितनी भोली भाली माँ.तपती दोपहरी में जैसे,शीतल छैया वाली माँ.
मुझको देख -देख मुस्काती, मेरे आँसु सह न पाती.मेरे सुख के बदले अपने,सुख की बलि चढ़ाती माँ.
इसकी 'ममता' की पावन,मीठी बोली है मन भावन,कांटो की बगिया में सुन्दर,फूलों को बिखराती माँ.
इसका आँचल निर्मल उज्जवल,जिसमे हैं, नभ - जल -थल.अपने शुभ आशिषों से, हम को सहलाती माँ.
माँ का मन न कभी दुखाना,हरदम इसको शीश झुकाना,इस धरती पर माता बनकर,ईश कृपा बरसाती माँ.
प्रेमभाव से मिलकर रहना,आदर सभी बड़ो का करना,सेवा, सिमरन, सत्संग वाली,सच्ची राह दिखाती माँ.
सबसे भोली सबसे प्यारी,सबसे न्यारी मेरी माँ.
कवयित्री : डॉ. ममता खत्री
"धन्य हो तुम माँ सीता
ReplyDeleteतुमने नारी का मन जीता
बढाया था तुमने पहला कदम
जीवन भर मिला तुम्हें बस गम
पर नई राह तो दिखला दी
नारी को आज़ादी सिखला दी
तोडा था तुमने इक बंधन
और बदल दिया नारी जीवन
तुमने ही नव-पथ दिखलाया
नारी का परिचय करवाया
तुमने ही दिया नारी को नाम
हे माँ तुझे मेरा प्रणाम "
famous poems about women
"आंचल में ममता लिए हुए
नैनों से आंसु पिए हुए
सौंप दे जो पूरा जीवन
फिर क्यों आहत हो उसका मन "
"राजाओं की भी जो माता
क्यों हीन उसे समझा जाता "
लिखें किंतु साहित्यिक मर्यादा का ध्यान अवश्य रखें । कविता में निहित ये पंक्तियाँ हमारी कविता से चुराई गई हैं । कम से कम हमारा नाम तो लिखा होता । बहुत दुख हुआ देखकर .....हमारी कविता बिना हमारे नाम के .......सीमा सचदेव
@ सीमा सचदेव जी. हमें खेद हैं की आपको आपका श्रेय नहीं दिया गया और मैं आपके दुःख का कारण बना. परन्तु यह भी सच है की आपकी यह रचना अतुलनीय है और मैं इसे प्रकाशित करने से खुद को रोक नहीं सका. दुर्भाग्यवश हमे इस कविता की रचयिता यानी आपका नाम नहीं पता चल पाया जो हमारी ही भूल है और इसके लिए मैं आपसे फिर माफ़ी मांगता हूँ. जल्दी ही इस कविता के नीचे आपका नाम डालकर इसे पुनः प्रकाशित कर दिया जाएगा. क्षमाप्रार्थी आकाश
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