माँ की ममता hindi poem on mother
बाजुओं में खींच के आजाये गी जैसे क़ाएनात
अपने बच्चे के लिए ऐसे बाहें फेलाती है माँ
ज़िन्दगी के सफ़र मै गर्दिशों की धुप में
जब कोई साया नहीं मिलता तब बहुत याद आती है माँ
प्यार कहते हैं किसे और ममता क्या चीज़ है
कोई उन बच्चों से पूछे जिनकी मर जाती है माँ
सफा-ए-हस्ती पे लिखती है असूल-ए-ज़िन्दगी
इसलिए तो मक़सद-ए-इस्लाम कहलाती है माँ
जब ज़िगर परदेस जाता है ए नूर-ए-नज़र
कुरान लेके सर पे आ जाती है माँ
लेके ज़मानत में रज़ा-ए-पाक की
पीछे पीछे सर झुकाए दूर तक जाती है माँ
काँपती आवाज़ में कहती है बेटा अलविदा
सामने जब तक रहे हाथों को लहराती है माँ
जब परेशानी में फँस जाते हैं हम परदेस में
आंसुओं को पोंछने ख्वाबों में आ जाती है माँ
मरते दम तक आ सका न बच्चा घर परदेस से
अपनी सारी दुआएं चौखट पे छोड़ जाती है माँ
बाद मरने के बेटे की खिदमत के लिए
रूप बेटी का बदल के घर में आ जाती है माँ....
ईश्वर की अनमोल कृति ''माँ'' को नमन।
ReplyDeleteBehtrin kavita...
ReplyDeleteJisne yeah Kavita likhi hai use Mera salam
ReplyDeleteha sahi kha
DeleteJisne bhi ise lekha h usko mera sllam
ReplyDeleteMera salam tumehe likhenge vale
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