बढ़ती बेरोजगारी पर निबंध: बेरोजगारी किसी भी देश के विकास के रास्ते में एक बड़ी बाधा है। यह सिर्फ एक आर्थिक समस्या नहीं, बल्कि एक सामाजिक और मानवीय
बढ़ती बेरोजगारी पर निबंध - Essay on Unemployment in Hindi
बढ़ती बेरोजगारी पर निबंध: बेरोजगारी किसी भी देश के विकास के रास्ते में एक बड़ी बाधा है। यह सिर्फ एक आर्थिक समस्या नहीं, बल्कि एक सामाजिक और मानवीय त्रासदी भी है। जब किसी व्यक्ति के पास अपनी योग्यता और क्षमता के अनुसार काम नहीं होता, तो वह न केवल अपनी आजीविका खोता है, बल्कि उसके जीवन की दिशा भी डगमगाने लगती है। आज के समय में, बढ़ती हुई जनसंख्या और बदलते हुए आर्थिक परिदृश्य के कारण, बेरोजगारी एक विकराल रूप धारण कर चुकी है, जो हर वर्ग और हर आयु के लोगों को प्रभावित कर रही है।
बेरोजगारी के कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण है हमारी जनसंख्या में हो रही तीव्र वृद्धि। हर साल लाखों युवा शिक्षा पूरी करके रोजगार की तलाश में निकलते हैं, लेकिन नए रोजगार के नए अवसर उसी अनुपात में नहीं बढ़ पाते। दूसरा प्रमुख कारण है हमारी शिक्षा प्रणाली। हमारी शिक्षा सैद्धांतिक ज्ञान पर अधिक केंद्रित है, जबकि उद्योगों को व्यावहारिक कौशल से लैस युवाओं की आवश्यकता होती है। नतीजतन, डिग्री धारक तो बहुत हैं, लेकिन उद्योगों की जरूरतों के हिसाब से कुशल श्रमिक कम हैं। इसके अलावा, आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस और अन्य तकनीकों के आने से कई काम मशीनों द्वारा किए जा रहे हैं, जिससे मानवीय श्रम की आवश्यकता कम हो गई है।
कृषि क्षेत्र में मौसमी रोजगार भी एक बड़ी समस्या है, जहाँ किसानों और खेतिहर मजदूरों को साल के कुछ ही महीनों में काम मिलता है, बाकी समय वे बेरोजगार रहते हैं। वहीं, ग्रामीण इलाकों से शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन ने भी स्थिति को और जटिल बना दिया है।
बढ़ती बेरोजगारी के दुष्परिणाम बेहद गंभीर होते हैं। सबसे पहले यह गरीबी को बढ़ाती है, क्योंकि जब आय का कोई स्रोत नहीं होता तो लोग अपनी बुनियादी ज़रूरतें भी पूरी नहीं कर पाते। इससे समाज में निराशा और तनाव का माहौल बनता है, जो अपराध और सामाजिक अशांति को जन्म दे सकता है। कई युवा अवसाद और मानसिक बीमारियों का शिकार हो जाते हैं क्योंकि वे खुद को समाज के लिए बोझ समझने लगते हैं। इसके अलावा, शिक्षित युवाओं का विदेश में पलायन (ब्रेन ड्रेन) एक और गंभीर समस्या है, क्योंकि जब उन्हें अपने देश में सही अवसर नहीं मिलते तो वे बेहतर भविष्य की तलाश में दूसरे देशों में चले जाते हैं।
इस गंभीर चुनौती से निपटने के लिए एक बहुआयामी रणनीति की आवश्यकता है। सरकार को शिक्षा प्रणाली में सुधार करके उसे अधिक व्यावहारिक और रोजगार-उन्मुख बनाना चाहिए। व्यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा देना बहुत ज़रूरी है, ताकि युवा बाजार की जरूरतों के हिसाब से खुद को तैयार कर सकें। 'मेक इन इंडिया' और 'स्टार्टअप इंडिया' जैसी योजनाओं के माध्यम से छोटे और मध्यम उद्योगों और उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करना चाहिए, क्योंकि ये रोजगार के सबसे बड़े स्रोत होते हैं। सरकार को बुनियादी ढाँचे के विकास में भी निवेश बढ़ाना चाहिए, जिससे निर्माण और सेवा क्षेत्रों में नए रोजगार पैदा हों।
निष्कर्ष के तौर पर, बेरोजगारी एक ऐसी समस्या है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह सिर्फ सरकार की नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग की जिम्मेदारी है। जब हर नागरिक अपनी क्षमताओं को पहचाने और उन्हें सही दिशा में लगाए, और जब शिक्षा प्रणाली उसे सही मार्गदर्शन दे, तभी हम एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं जहाँ हर हाथ को काम मिले और हर व्यक्ति अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर सके।
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