मिस पाल का चरित्र चित्रण कीजिये: मिस पाल कहानी मोहन राकेश द्वारा रचित एक हिंदी कहानी है, जिसका मुख्य चरित्र मिस पाल है। मिस पाल एक अविवाहित, नौकरी पेश
मिस पाल का चरित्र चित्रण कीजिये (Miss Pal ka Charitra Chitran)
मिस पाल कहानी मोहन राकेश द्वारा रचित एक हिंदी कहानी है, जिसका मुख्य चरित्र मिस पाल है। मिस पाल एक अविवाहित, नौकरी पेशा महिला है। उनके चरित्र में स्वाभिमान, साहस और संवेदनशीलता जैसे गुण विद्यमान हैं। मिस पाल की चारित्रिक विशेषताएं निम्नलिखित हैं:-
स्वाभिमानी: बचपन से ही परिवार के प्यार से वंचित रहने के कारण मिस पाल एक आत्मसम्मानी स्त्री बन गई हैं। वह दूसरों के तानों और अपमानों को सहने के लिए तैयार नहीं है। दफ्तर के लोगों द्वारा किए जाने वाले व्यंग्यात्मक कटाक्ष उसे चुभते हैं और वह इन सब से दूर रहना चाहती हैं।
साहसी: मिस पाल साहसी और निर्णायक स्त्री है। पंद्रह साल की कम उम्र में ही वह घर छोड़कर दिल्ली आने का साहसी फैसला लेती हैं और एक नए जीवन की शुरुआत करती हैं। वह दिल्ली में सूचना विभाग के दफ्तर में नौकरी करती थी ।
अकेली: मिस पाल का जीवन अकेलेपन से भरा है। परिवार और दोस्तों के अभाव में उसे अपना दुख और खुशी अकेले ही सहनी पड़ती है। यह अकेलापन ही उसे अंदर से खोखला कर देता है। रायसन आकर भी मिस पाल के जीवन में कोई खास बदलाव नहीं होता है। यहाँ भी वह अकेली, उदास और अस्तव्यस्त रहती है।
असंतुष्ट: दिल्ली के दफ्तरी माहौल से मिस पाल असंतुष्ट है। दफ्तर में उसका दम घुटने लगा था और वहाँ नौकरी करना सजा भुगतने जैसा लग रहा था। रोजमर्रा की जिंदगी उसे नीरस और बेमानी लगती है। उसे लगता है कि वह अपनी जिंदगी को व्यर्थ गंवा रही है। इसीलिए वह कुल्लू जाकर चित्रकला करने का निर्णय लेती हैं परन्तु वहां भी उसे निराशा ही हाथ लगती है।
संवेदनशील: मिस पाल के अंदर गहरी संवेदना है। वह रणजीत जैसे दोस्तों के प्रति स्नेह और दयालुता दिखाती है। रणजीत के अस्पताल में भर्ती होने पर वह उसके लिए दूध और फल लेकर जाती थी। इसी प्रकार जब रणजीत मिस पाल से कहता है कि तुम अपना ध्यान नहीं रखती हो, उसकी आँखों में पानी आ जाता है।
आधुनिक पहनावा: साधारण रंग-रूप होने के कारण उसे बनाव-श्रृंगार पर खूब खर्च करती थी। वह छोटे बाल रखती थी और स्लीवलेस की कमीज पहनती थी, ताकि वह अपने मोटापे को छिपा सके।
कहानी में मिस पाल का चरित्र आधुनिक मनुष्य की विडंबना को दर्शाता है। एक स्वाभिमानी और साहसी स्त्री होते हुए भी मिस पाल जीवन में खुशी और संतुष्टि नहीं पा पाती है। मोहन राकेश ने मिस पाल के चरित्र के माध्यम से स्त्री मन की जटिलता और आधुनिक समाज में स्त्री के अकेलेपन को बखूबी उजागर किया है।
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