काश बचपन लौट आता हिंदी निबंध: आह, बचपन! वह सुनहरा दौर जिसे याद कर हर किसी के चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है। बचपन वो उम्र है जहाँ हर पल एक उत्सव होता ह
काश बचपन लौट आता हिंदी निबंध - Kash Bachpan Laut Aata Essay in Hindi
काश बचपन लौट आता हिंदी निबंध: बचपन! वह सुनहरा दौर जिसे याद कर हर किसी के चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है। बचपन वो उम्र है जहाँ हर पल एक उत्सव होता है, जहाँ चिंताओं का बोझ नहीं होता, और जिंदगी एक खुली किताब लगती है जिसे सिर्फ पढ़ने की उत्सुकता होती है।
काश! वाकई बचपन लौट आता! फिर से बिना किसी फिक्र के हाफ पैंट पहनकर खुले आसमान के नीचे दौड़ना, आम के पेड़ों पर चढ़कर, मीठे रसीले आम तोड़ना, और बारिश के पानी में नहाना कितना अच्छा होता। स्कूल जाने की जल्दी भी न होती, बस दिन-भर दोस्तों के साथ, खेल में डूबा रहता।
यदि मेरा बचपन लौट आता, तो मैं शायद सबसे पहले अपनी दादी की गोद में जाकर बैठना चाहता। रात में उनसे कहानियाँ सुनना, उनका प्यार भरे हाथों से मेरे बालों को सहलाना, और फिर नींद आने पर मीठी लोरियां गाना, ये वो पल हैं जिन्हें मैं बहुत याद करता हूँ। मैं स्कूल के दोस्तों के साथ मिलकर एक बार फिर से लुका छिपी, लूडो और गिल्ली-डंडा खेलना चाहता हूँ। शाम को माँ के हाथ का बना गरमा गरम खाना खाकर रात को तारों को गिनते हुए सो जाना चाहता हूँ।
बचपन लौट आने पर मैं चीजों को फिर से उन्हीं मासूम आँखों से देखना चाहता हूँ। मैं फिर से तितलियों के पीछे भागना चाहता हूँ, रात को जुगनू पकड़ना चाहता हूँ, फूलों की खुशबू तलाशना चाहता हूँ। यकीनन दुनिया को फिर से उन्हीं आँखों से देखना बहुत ही रोमांचक होता।
बेशक, बचपन लौटने का मतलब जिम्मेदारियों से पीछे हटना नहीं है। लेकिन हाँ, उस वक्त सीखे गए मूल्य जैसे प्यार, ईमानदारी, और खुद पर भरोसा - आज भी मेरे काम आते हैं। बचपन लौट आने पर मैं इन्हीं मूल्यों को और मजबूत करना चाहता हूँ।
हालाँकि, यह तो सिर्फ एक ख्वाब है। बचपन एक बार ही आता है, और उसकी मासूमियत को संभाल कर रखना ही हमारी जिम्मेदारी है। अपने बचपन की यादों को दिल में संजोए रखते हुए आज का आनंद लेना और भविष्य की तरफ कदम बढ़ाना ही सही है।
फिर भी, कभी-कभी मन यही कहता है, "काश बचपन लौट आता!"
अगर बचपन लौट आये हिंदी निबंध
जीवन एक यात्रा है, एक नदी की धारा की तरह जो निरंतर बहती रहती है। रास्ते में हम बचपन, किशोरावस्था, जवानी और फिर बुढ़ापे के पड़ाव पार करते हैं। इन सभी चरणों का अपना ही महत्व है, परन्तु मन अनायास ही उस सुनहरे दौर की ओर लौट जाने की ख्वाहिश रखता है, जिसे हम बचपन कहते हैं। इसीलिए सोचता हूँ कि अगर बचपन लौट आये तो कितना अच्छा होता।
बचपन जीवन का सबसे खूबसूरत अध्याय है। बचपन एक ऐसा खुला आसमान है, जहाँ कल्पना के पंछी, बेफिक्र उड़ान भरते हैं। चिंताओं का बोझ हमारे कंधों पर नहीं होता। जिम्मेदारियों का जाल हमारे पैरों को नहीं जकड़ता। दुनिया एक अनजान परी कथा की तरह लगती है, हर कोने में रोमांच और खोज की संभावना छिपी होती है।
यदि मेरा बचपन वापस आ जाता तो सुबह का समय स्कूल जाने की जल्दी में, और शाम पेड़ों पर चढ़ने और पतंग उड़ाने की मस्ती में बीतती। दोस्तों के साथ मिलकर खेलना, हार-जीत की परवाह किए बिना हँसी-खुशी में डूब जाना, यही बचपन का असली मज़ा है। घुटनों पर छिल्लें पड़ना और माँ की प्यार भरी डाँट सुनना, यही वो यादें हैं जो जीवनभर हमारे साथ रहती हैं।
यदि मेरा बचपन वापस आ जाता, तो मैं सबसे पहले उन लापरवाह दिनों का फिर से आनंद लेना चाहता। मैं बिना किसी दबाव के खूब खेलता, कूदता, चिल्ला-चिल्लाकर गाता। पेड़ों पर चढ़कर आम तोड़ने की शरारत करता। बारिश में भीगना, कीचड़ में लोटना, ये सब दोबारा करता। रात को दादी-नानी की कहानियाँ सुनता और तारों को निहारते हुए सो जाता। बचपन लौट आने पर यह सब पल मैं दोबारा जीता।
लेकिन बचपन वापस लाने की ख्वाहिश के साथ मैं उस ज्ञान और अनुभव को भी अपने साथ रखना चाहूँगा जो मैंने अब तक हासिल किया है। बचपन की मासूमियत के साथ परिपक्वता का मिश्रण शायद कुछ नया और खूबसूरत रच सकता है। मैं उन गलतियों को दोबारा दोहराने से बचता जो बचपन में की थीं।
बचपन लौटने की ख्वाहिश शायद पूरी नहीं हो सकती, परन्तु उसके सुखद अनुभवों को याद करके हम वर्तमान का आनंद ले सकते हैं। बचपन की सीख हमें जीवन भर राह दिखाती रहती है जैसे प्यार करना, हँसना, और जिंदगी का हर पल जीना।
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