नक़ल करते हुए पकड़े जाने पर छात्र और अध्यापक के बीच संवाद लेखन: अध्यापक: रवि, तुम फिर नक़ल कर रहे हो! रवि: (शर्मिंदा होकर) सर, गलती हो गई। अध्यापक: गल
नक़ल करते हुए पकड़े जाने पर छात्र और अध्यापक के बीच संवाद लेखन
अध्यापक: रवि, तुम फिर नक़ल कर रहे हो!
रवि: (शर्मिंदा होकर) सर, गलती हो गई।
अध्यापक: गलती? यह तुम्हारी पहली बार नहीं है। तुम बार-बार नक़ल करते हुए पकड़े जा रहे हो।
रवि: (आँखों में आँसू भरकर) सर, मैं माफी मांगता हूँ। मैं आगे से ऐसा नहीं करूँगा।
अध्यापक: माफी मांगने से कुछ नहीं होता। तुम्हें अपनी गलती का एहसास होना चाहिए। नक़ल करके तुम सिर्फ खुद को धोखा दे रहे हो।
रवि: (सर झुकाकर) मुझे पता है सर। मैं अपनी गलती सुधारूँगा।
अध्यापक: तुम्हें ऐसा करना होगा। तुम मेधावी छात्र हो। तुम्हें अपनी मेहनत पर भरोसा करना चाहिए।
रवि: (दृढ़ता से) जी सर, मैं अपनी मेहनत पर भरोसा करूँगा और आगे से कभी नक़ल नहीं करूँगा।
अध्यापक: मुझे तुम्हारी बात पर विश्वास है। अब तुम कक्षा में जाओ और ध्यान से पढ़ाई करो।
रवि: (धन्यवाद देते हुए) जी सर।
परीक्षा में नक़ल करते हुए पकड़े जाने पर विद्यार्थी और अध्यापक के बीच संवाद लेखन
अध्यापक: (आश्चर्य से) अरे अमित, ये क्या छिपा रहे हो?
अमित: (घबराहट में कागज छिपाते हुए) नहीं... कुछ नहीं, सर!
अध्यापक: (नोट्स को करीब से देखते हुए) नोट्स? अमित, ये तो पूरे के पूरे उत्तर हैं, वो भी शब्दशः वही जो मैंने प्रश्नपत्र में पूछे हैं!
अमित: (आवाज धीमी करते हुए) सर, दरअसल ये पूरा हफ्ता मैं बीमार था। तैयारी नहीं कर पाया.
अध्यापक: (अमित को बीच में रोकते हुए) ठीक है, पर नकल करना इसका हल नहीं है। इससे तुम कुछ भी नहीं सीख पाओगे।
अमित: (गंभीरता से) जी सर, मैं समझ गया। मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गयी।
अध्यापक: (हौसला देते हुए) घबराओ मत। अभी भी समय है। जितना याद है, उतना लिखो। बाकी के लिए चिंता मत करो। परीक्षा खत्म होने के बाद मुझसे मिलना। हम देखते हैं तुम्हारी तैयारी में कैसे मदद की जा सकती है।
रमेश: (थोड़ी देर चुप रहने के बाद) जी, सर। आप सही कहते हैं। मैं मेहनत करूँगा और आगे से कभी ऐसा नहीं करूंगा।
अध्यापक: (रमेश को विश्वास दिलाते हुए) अच्छा है। ये सुनकर अच्छा लगा। अब जाओ और अपना परीक्षा दो।
नक़ल करते हुए पकड़े जाने पर छात्रा और शिक्षक के बीच संवाद लेखन
अध्यापक: (गंभीरता से) रीमा, तुम क्या कर रही हो?
रीमा: (डरते हुए) सर, मैं... मैं कुछ नहीं कर रही हूँ।
अध्यापक: (रीमा के हाथ से किताब छीनते हुए) ये क्या है?
रीमा: (शर्मिंदगी से) सर, ये... ये मेरी दोस्त की किताब है।
अध्यापक: (नाराजगी से) रीमा, तुम नक़ल कर रही थीं?
रीमा: (आँखें नीची करके) हाँ सर, मुझे माफ़ कर दीजिए।
अध्यापक: (रीमा को समझाते हुए) रीमा, नक़ल करना गलत काम है। इससे तुम सिर्फ़ खुद को धोखा दे रही हो।
रीमा: (पश्चाताप से) सर, मुझे गलती का एहसास हो गया है। मैं आगे से कभी नक़ल नहीं करूँगी।
अध्यापक: (रीमा को प्रोत्साहित करते हुए) मुझे तुम्हारी बात पर यकीन है। तुम मेहनत करो और अपनी योग्यता पर विश्वास रखो।
रीमा: (आत्मविश्वास से) हाँ सर, मैं ऐसा ही करूँगी।
अध्यापक: (रीमा को थपथपाते हुए) अच्छा, अब तुम अपनी सीट पर जाओ।
रीमा: (धन्यवाद देते हुए) धन्यवाद सर।
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