पंचायत वित्त आयोग का वर्णन कीजिए: पंचायतों की वित्तीय स्थिति का पुनर्विलोकन करने के लिए अनुच्छेद-243 के तहत एक राज्य वित्त आयोग के गठन का प्रावधान कि
पंचायत वित्त आयोग का वर्णन कीजिए (Panchayat Vitt Aayog ka Varnan Kijiye)
73वें संशोधन अधिनियम में यह भी व्यवस्था है कि इसके लागू होने के एक वर्ष के भीतर और उसके पश्चात् प्रत्येक पांच वर्ष बाद राज्य सरकार पंचायतों की वित्तीय स्थिति का पुनर्विलोकन करने के लिए वित्त आयोग का गठन करेगी। पंचायतों की वित्तीय स्थिति का पुनर्विलोकन करने के लिए अनुच्छेद-243 के तहत एक राज्य वित्त आयोग के गठन का प्रावधान किया गया है। राज्यपाल प्रत्येक पांच वर्ष तक एक वित्त आयोग का गठन करता है। राज्य वित्त आयोग निम्नलिखित विषयों पर अपनी सिफारिश राज्य सरकार को प्रस्तुत करता है-
- राज्य द्वारा वसूले गए करों, शुल्कों, पथकरों और फीसों के राज्य और पंचायतों के बीच वितरण को।
- पंचायतों द्वारा विनियोजित किए जा सकने वाले कर, शुल्क, पथकर व फीसों की अवधारणा को।
- राज्य की संचित निधि से पंचायतों के लिए सहायता अनुदान को निर्धारित करते हैं।
- पंचायतों की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए अपेक्षित उपायों के बारे में सुझाव देता है।
- किसी अन्य विषय में जो राज्यपाल द्वारा पंचायतों के ठोस वित्त पोषण के हित में आयोग को निर्दिष्ट किया जाए।
- राज्य का विधानमंडल विधि द्वारा आयोग की संरचना, सदस्यों की योग्यताएं और उनके चयन की रीति निर्धारित करेगा।
- आयोग अपनी प्रक्रिया स्वयं अवधारित करेगा और उसे अपने कृत्यों के पालन के लिए ऐसी शक्तियां प्राप्त होंगी जो राज्य विधानमंडल विधि द्वारा उसे प्रदान करें।
- राज्यपाल आयोग द्वारा की गई प्रत्येक सिफारिश और उसके बारे में की गई कार्यवाही का स्पष्टीकरण (Explanatory Memorandum) राज्य विधानमंडल के समक्ष रखवाता है।
- राज्य द्वारा उद्गृहणीय और उनके बीच विभाज्य कर, शुल्क, पथकर और फीस के शुद्ध आगमों का राज्य और पंचायतों के बीच वितरण और पंचायतों के विभिन्न स्तरों में उसका आवंटन।
- कौन-से कर, शुल्क, पथकर और फीस पंचायतों को दिए जा सकते हैं?
- पंचायतों को सहायता अनुदान।
- वित्त आयोग का प्रतिवेदन और उस पर की गई कार्यवाही का ज्ञापन राज्य विधानमंडल के समक्ष रखा जाएगा।
पंचायती राज के संदर्भ में 11वें वित्त आयोग की सिफारिशें
- राज्य वित्त आयोग की रिपोर्ट में एक विशेष अध्याय वित्त पर शामिल हो तथा राज्य सरकारें राज्य वित्त आयोग की रिपोर्ट प्रस्तुत होने के बाद 6 माह के भीतर की गई कार्यवाही की रिपोर्ट राज्य विधानमंडल में रखेंगी।
- पंचायतों की सभी श्रेणियों के लेखा परीक्षण एवं नियंत्रण, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को सौंपा जाए।
- भूमि एवं कृषि फार्म की आय पर कर को स्थानीय निकायों द्वारा समुचित रूप से लगाकर इस धन का प्रयोग नागरिक सेवाओं में सुधार के लिए किया जाए।
- राज्य के लेखाशीर्ष पर 6 पदों का सृजन किया जाए जिनमें 3 पंचायती राज संस्थाओं के लिए तथा 3 शहरी स्थानीय संस्थाओं के लिए हो।
- पंचायतों के पास जहां प्रशिक्षित लेखाकार नहीं है, वहाँ प्रत्येक पंचायत पर 4,000 रुपए राशि प्रतिवर्ष लेखों के रख-रखाव पर खर्च की जाए।
- पंचायतों के वित्त पोषण के आंकड़ों को जिला, राज्य तथा केंद्र स्तर पर और कंप्यूटर तथा वी. सेट के माध्यम से जोड़कर विकसित किया जाए।
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