नगर निगम के गठन एवं उसके कार्यों का वर्णन कीजिए: नगर-निगमों का गठन बड़े महानगरों में किया जाता है जिनकी आबादी 10 लाख से अधिक होती है। उदाहरणस्वरूप दिल
नगर निगम के गठन एवं उसके कार्यों का वर्णन कीजिए।
नगरों में स्थापित स्थानीय स्वशासन की इकाइयों को नगरपालिका या नगर पंचायत या नगर परिषद् कहते हैं। बहुत बड़े नगरों में उन्हें नगर निगम का स्तर प्रदान किया जाता है। राज्य के कानून द्वारा किसी नगर पालिका को नगर निगम का स्तर प्राप्त होता है। इसमें महानगर के लोगों द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि होते हैं। इसमें कुछ सरकारी मनोनीत सदस्य भी हो सकते हैं। नगर निगम नगर में रोशनी, सफाई, जल आपूर्ति, सड़क व पुल निर्माण, प्राथमिक चिकित्सा व शिक्षा आदि की व्यवस्था करता है। अपने काम को सुचारु तरीके से करने हेतु नगर निगम की अनेक समितियाँ बनाई जाती हैं।
नगर-निगम का गठन (Formation of Municipal Corporation in Hindi)
नगर-निगमों का गठन बड़े महानगरों में किया जाता है जिनकी आबादी 10 लाख से अधिक होती है। उदाहरणस्वरूप दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद इत्यादि। उल्लेखनीय हैं कि केंद्रशासित प्रदेश में संसद द्वारा बनाए गए नियमों और राज्यों में राज्य विधानमंडलों द्वारा बनाए गए अधिनियमों के माध्यम से इनका गठन किया जाता है। नगर निगम की संरचनाओं को तीन क्षेत्रों में विभाजित किया गया है - 1. परिषद्, 2. स्थायी समितियां एवं 3 आयुक्त ।
- परिषद् के सदस्यों का निर्वाचन जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से किया जाता है। जिसका प्रमुख मेयर कहलाता है। कुछ राज्यों में मेयर का चुनाव प्रत्यक्षतः जनता द्वारा किया जाता है तो कुछ राज्यों में पार्षदों द्वारा अर्थात् जनता द्वारा चुने गए सदस्यों द्वारा किया जाता है। मेयर की सहायता के लिए डिप्टी मेयर भी निर्वाचित किए जाते हैं।
- परिषद् नगर-निगम की संस्थागत विचारात्मक एवं विधायी शाखा है जिसमें जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित सदस्यों के साथ-साथ राज्य सरकार द्वारा मनोनीत कुछ सदस्य भी सम्मिलित होते हैं, जो नगरीय प्रशासन और समस्याओं के संदर्भ में जानकारी रखते हैं।
- नगर-निगम में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति और महिलाओं को आरक्षण भी दिया गया है।
- निगम की सहायता के लिए समितियां गठित की जाती हैं और यह विभिन्न मुद्दों पर कार्य करती हैं।
- प्रत्येक नगर-निगम का एक आयुक्त होता है जिनकी नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा की जाती है जो सामान्यतया आई.ए.एस. अधिकारी होता है।
- नगर-निगम आयुक्त परिषद् एवं अस्थायी समितियों द्वारा लिए गए निर्णयों को लागू करवाने के लिए जिम्मेदार होता है। वह नगरपालिका का मुख्य कार्यकारी अधिकारी होता है।
नगर निगम का कार्य (Functions of Municipal Corporation in Hindi)
- नगर नियोजन करना,
- भूमि का विनिमय-भवनों का निर्माण व उपयोग,
- सामाजिक व आर्थिक विकास योजनाएँ,
- सड़कों व पुलों का निर्माण व उचित व्यवस्था,
- घरेलू उद्योग,
- लोक स्वास्थ्य व स्वच्छता,
- अग्निशमन सेवाओं की व्यवस्था करना,
- नगर में वृक्षारोपण व पर्यावरण संरक्षण,
- शारीरिक एवं मानसिक दृष्टि से कमजोर वर्गों को संरक्षण,
- गन्दी बस्तियों में सुधार व उनका उत्थान,
- निर्धनता उन्मूलन योजनाएँ बनाना व उनका क्रियान्वयन,
- बागवानी, उद्यान, खेलकूद एवं व्यायाम आदि की सुविधाएँ,
- सांस्कृतिक व शैक्षणिक प्रगति के प्रयास करना,
- शवदाह गृहों की व्यवस्था करना,
- पशुओं की सुरक्षा व संरक्षण,
- जन्म एवं मृत्यु का पंजीकरण।
- सड़कों एवं अन्य मार्गों का विद्युतीकरण, वाहन खड़े करने की व्यवस्था,
- बूचड़खानों की व्यवस्था।
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