जिला परिषद के गठन एवं कार्यों का वर्णन करें: त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था की सर्वोच्च इकाई जिला परिषद है। जिला परिषद का कार्य पंचायत समिति व ग्राम
जिला परिषद के गठन एवं कार्यों का वर्णन करें (Zila Parishad ke Gathan evam Karyon ka Varnan Karen)
भारत में स्थानीय स्वशासन के क्षेत्र में लागू की गई त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था की सर्वोच्च इकाई जिला परिषद है। इस त्रि-स्तरीय व्यवस्था में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका मध्यवर्ती स्तर पंचायत समिति की है। अधिकांशतः स्थानीय शासन के समस्त कार्य ग्राम पंचायत व पंचायत समिति के स्तर पर निष्पादित किये जाते हैं तथा जिला परिषद का कार्य उन अधीनस्थ इकाइयों (पंचायत समिति व ग्राम पंचायत) के कार्यों का निरीक्षण, पर्यवेक्षण व मूल्यांकन करना होता है। जिला परिषद का सर्वप्रमुख दायित्व पंचायत समितियों के मध्य सामंजस्य स्थापित करना होता है। इस इकाई मौलिक कार्यक्षेत्र की अपेक्षा पर्यवेक्षण सम्बन्धी कार्य ही अधिक सौंपे गये हैं। नगरपालिका व छावनी बोर्ड स्थित जिलों को छोड़कर शेष सभी जिलों में एक जिला परिषद का प्रावधान है।
जिला परिषद का संगठन (Organisation of Zila Parishad in Hindi)
(1) जिला परिषद क्षेत्र के निर्वाचित सदस्य- इसमें सामान्य वर्ग के साथ-साथ आरक्षित वर्ग यथा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्ग एवं महिलाएँ भी सम्मिलित हैं। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में महिलाओं को 50% आरक्षण प्रदान कर महिलाओं की समानता में लाने का प्रयास किया गया है। वर्ष 2012 में 50% से अधिक स्थान प्राप्त कर यह सिद्ध भी कर दिया है कि यह निर्णय गलत नहीं है।
(2) जिला क्षेत्र में आने वाली सभी पंचायत समितियों के प्रमुखों को भी जिला परिषद में स्थान दिया जाता है।
(3) उस क्षेत्र के लोकसभा व विधानसभा सदस्य भी जिला परिषद के सदस्य होते हैं।
(4) विशिष्ट अनुभव प्राप्त व्यक्ति को राज्य सरकार द्वारा मनोनीत किया जाता है।
(5) जिला परिषद के सदस्य अपने में से ही एक अध्यक्ष व एक उपाध्यक्ष का चुनाव करते हैं।
(6) जिला विकास आयुक्त (District Development Officer) - यह राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित प्रशासकीय अधिकारी है। इसके अधीन अन्य अधिकारी होते हैं जैसे कि जिला शिक्षा अधिकारी, जिला लेखा अधिकारी तथा अन्य अधिकारी व कर्मचारी वर्ग। जिला विकास आयुक्त जिला परिषद का पदेन सचिव होता है।
'जिला परिषद' की प्रथम बैठक की तिथि 'जिला विकास आयुक्त' द्वारा निर्धारित की जाती है। एक तिहाई सदस्यों के लिखित प्रस्ताव पर यह बैठक आयोजित की जाती है। इसकी अध्यक्षता भी 'जिला विकास आयुक्त' द्वारा की जाती है। प्रथम बैठक के उपरान्त अन्य बैठकों में तीन महीने से अधिक का अन्तराल नहीं होना चाहिए तथा उनकी अध्यक्षता जिला परिषद के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष द्वारा की जाती है। किसी भी विवाद के सम्बन्ध में अधिकारी को निर्णायक मत देने का अधिकार होता है। निर्णय बहुमत के आधार पर लिये जाते हैं।
जिला प्रमुख के कार्य व शक्तियाँ (Functions and Powers of Zila Chief)
जिला प्रमुख के निम्नलिखित कार्य व शक्तियाँ हैं-
- जिला परिषद की बैठकें आयोजित करना।
- जिला परिषद की बैठकों की अध्यक्षता करना।
- जिला परिषद की निधि की सुरक्षा करना।
- जिला परिषद के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों पर नियन्त्रण स्थापित करना।
- परिषद सम्बन्धी सभी अभिलेखों पर नियन्त्रण स्थापित करना।
- जिले में प्राकृतिक आपदाओं के समय मुख्य कार्यकारी से सलाह मशविरा करके तुरन्त निर्णय करना।
- अधीनस्थ इकाइयों का मार्गदर्शन करके उन्हें लक्ष्य के प्रति उत्साहवर्द्धक बनाये रखना।
- जिला परिषद के वित्तीय एवं कार्यपालिका प्रशासन पर पूर्ण नियन्त्रण रखना।
जिला परिषद के कार्य (Functions of Zila Parishad in Hindi)
जिला परिषद के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-
- कृषि विकास को प्रोत्साहित करना। इस हेतु समुन्नत कृषि उपकरणों का विकास करना एवं भूमि सुधार व उत्पादन वृद्धि हेतु कृषकों को प्रशिक्षित करना सम्मिलित है।
- सिंचाई योजनाओं के विकास एवं जल के समान वितरण व उपभोग का प्रबन्ध करना।
- बागवानी को प्रोत्साहित करना।
- पशुपालन सम्बन्धी सुविधाएँ उपलब्ध कराना।
- पशु चिकित्सालयों की स्थापना करना।
- ग्रामोद्योग, कुटीर उद्योग व हस्त करघा उद्योगों को प्रोत्साहित करना।
- राज्य सरकार द्वारा प्रदत्त अनुदानों को पंचायत समितियों में वितरित करना।
- जिले में पंचायत समितियों द्वारा तैयार की गई योजनाओं के मध्य समन्वय स्थापित करना।
- जिले के अन्तर्गत आने वाली पंचायत समितियों के सदस्यों अथवा अध्यक्षों के सम्मेलन आयोजित करना।
- पंचायत समितियों द्वारा प्रस्तुत बजटों की समीक्षा करना।
- ग्राम पंचायतों के कार्यों में भी समन्वय स्थापित करना तथा उनके कार्यों का मूल्यांकन करना।
- जिले में आवास - व्यवस्था सम्बन्धी योजनाएँ बनाना व उनका कार्यान्वयन।
- निजी एवं सार्वजनिक जलाशयों में मत्स्य पालन को प्रोत्साहित करना।
- पंचायत समिति का गठन एवं कार्य बताइए।
- खंड विकास अधिकारी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- 73वें संविधान संशोधन में ग्राम पंचायत से संबंधित प्रावधान का वर्णन कीजिये।
- स्थानीय शासन और स्थानीय स्व-शासन में अन्तर बताइए।
- वार्ड समिति किस प्रकार गठित की जाती हैं?
- पंचायती राज की त्रिस्तरीय संरचना से क्या तात्पर्य है।
- ग्राम सभा तथा इसके कार्य पर टिप्पणी लिखिए।
- ग्राम पंचायत के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- पंचायती राज के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
- ग्राम पंचायत की आय के किन्हीं चार स्रोतों का वर्णन कीजिए।
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