प्रमस्तिष्क और अनुमस्तिष्क में अंतर: प्रमस्तिष्क, मस्तिष्क का सोचने वाला हिस्सा है। जबकि अनुमस्तिष्क का मुख्य कार्य मुद्रा समन्वय व संतुलन, एच्छिक पेश
प्रमस्तिष्क और अनुमस्तिष्क में अंतर
प्रमस्तिष्क | अनुमस्तिष्क |
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प्रमस्तिष्क मानव मस्तिष्क का सबसे बड़ा हिस्सा होता है व सम्पूर्ण मस्तिष्क का दो-तिहाई हिस्सा प्रमस्तिष्क का होता है प्रमस्तिष्क (Cerebrum) मस्तिष्क का सबसे बड़ा और विकसित हिस्सा होता है। | अनुमस्तिष्क मानव मस्तिष्क का दूसरा सबसे बड़ा भाग है इसे मेटेनेसिफेलॉन भी कहते हैं यह मस्तिष्क का अपेक्षाकृत छोटा भाग है जो प्रमस्तिष्क के आधार पर उसके नीचे स्थित होता है |
प्रमस्तिष्क अग्र मस्तिष्क का मुख्य भाग है। | अनुमस्तिष्क पश्च मस्तिष्क का मुख्य भाग है। |
प्रमस्तिष्क, मस्तिष्क का सोचने वाला हिस्सा है। यह स्वैच्छिक पेशियों को नियंत्रित करता है। यह सोच, बुद्धि, चेतना, स्मृति, स्पर्श, श्रवण, और दृष्टि की व्याख्या करने के लिए ज़िम्मेदार है। | अनुमस्तिष्क का मुख्य कार्य मुद्रा समन्वय व संतुलन, एच्छिक पेशियों की गतियों का नियंत्रण, शरीर का संतुलन बनाए रखना व कान के आंतरिक भाग से संवेदना ग्रहण करके शरीर को संतुलित करना है। |
प्रमस्तिष्क के बाहरी भाग (कॉर्टेक्स) में तंत्रिका-कोशिकाओं के कोशिका-काय स्थित होते हैं। यह भाग धूसर रंग का होने के कारण इसे धूसर द्रव्य कहते हैं । प्रमस्तिष्क के आंतरिक भाग में श्वेत द्रव्य (व्हाइट मैटर) होता है जिसमें तंत्रिका-कोशिकाओं के तंत्रिका तंत्र अथवा एक्सॉन होते हैं। | इसमें भी बाहरी भाग में धूसर द्रव्य (ग्रे मैटर) एवं आंतरिक भाग में श्वेत, द्रव्य होता है। |
इनकी बाहरी सतह कटकों और खाँचों की मौजूदगी के कारण अत्यधिक संवलित होती है। | इसमें संवलनों के स्थान पर अनेक खाँचें होती हैं। |
इसमें मस्तिष्क की पार्श्वगुहा पायी जाती है । | इसमें गुहा नहीं पाई जाती है यह ठोस होता है। |
(1) प्रमस्तिष्क: यह मस्तिष्क का सबसे बड़ा भाग है। यह अनुदैर्ध्य में दो आधे-आधे हिस्सों में बंटा होता है दायां एवं बायां प्रमस्तिष्क गोलार्ध । इनकी बाह्य सतह उभारों एवं खांचों में कुंडलित होती है। प्रमस्तिष्क के बाहरी भाग (कॉर्टेक्स) में तंत्रिका-कोशिकाओं के कोशिका-काय स्थित होते हैं। धूसर रंग का होने के कारण इसे ग्रे मैटर कहते हैं। प्रमस्तिष्क के आंतरिक भाग में श्वेत द्रव्य (व्हाइट मैटर) होता है जिसमें तंत्रिका-कोशिकाओं के तंत्रिका तंत्र अथवा एक्सॉन होते हैं।अति विकसित कॉर्टेक्स या धूसर द्रव्य हमें सोचने, तर्क, योजना एवं याद रखने की सामर्थ्य प्रदान करता है। कुल मिलाकर प्रमस्तिष्क बुद्धि, चेतना एवं इच्छा-शक्ति का केंद्र है। यह समस्त ऐच्छिक क्रियाओं को नियंत्रित करता है।
(2) अनुमस्तिष्क: यह प्रमस्तिष्क के नीचे स्थित मस्तिष्क का एक छोटा-सा क्षेत्र है। इसमें गुंथावट (कॉन्वोल्यूशन्स) नहीं होती किन्तु अनेकानेक खांचें होती हैं। इसमें भी बाहरी भाग में धूसर द्रव्य एवं आंतरिक भाग में श्वेत, द्रव्य होता है। अनुमस्तिष्क का मुख्य कार्य शरीर का संतुलन बनाए रखना तथा पेशीय गति की क्रियाओं का समन्वय करना है।
निष्कर्ष: प्रमस्तिष्क एवं अनुमस्तिष्क परस्पर बहुत समन्वित रूप में कार्य करते हैं। उदाहरण के लिए यदि आप खड़े होते हैं और चलते हैं तो इस क्रिया का आवेग प्रमस्तिष्क ( सेरिब्रम) में उत्पन्न होता है। चलने की क्रिया में अनेक पेशियों का समन्वित कार्य सम्बद्ध होता है। पेशियों के उचित समन्वय एवं उनके संकुचन एवं शिथिलीकरण के समय के लिए प्रमस्तिष्क ही उत्तरदायी है।:
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